क्रिस्टल ( बिल्लौरी / पारदर्शी उत्तम कोटि के काँच की कटिंग के सामान की गैलेरी )
ऑसलर ( काँच के झूमर बनाने वाली यू. के. की प्रसिद्ध कम्पनी ) के कट ग्लास की उत्तम दर्जे की कम्पनी का बेहतरीन संग्रह उदयपुर की क्रिस्टल गैलेरी में मौजूद, सब से बड़े और महंगे संग्रह में से एक है। सजावटी कला की दुनियां में, इन वस्तुओं में अन्तर और क्वालिटी का वैभव देखने पर, आप कह सकते हैं कि यह एक मात्र अनुपम संग्रह है। उदयपुर के महाराणा सज्जन सिंह ने सन् 1878 में इस संग्रह को जमा किया, साधिकार प्राप्त किया तथा उसमें से अधिकतर फर्नीचर के सामान के संग्रह को सन् 1881 में ऑसलर कम्पनी को दे दिया गया। वर्तमान में इस अति सुन्दर क्रिस्टल गैलेरी में उपलब्ध डाइनिंग टेबल से लेकर, टेबल, सोफा सैट, धुलाई करने के बड़े कटोरे ( प्याले ), जाम ( शराब के प्याले ), ट्रे, शीशे की सुराही, परफ्यूम की बोतलें, मोमबत्ती लगाने के स्टैण्ड, क्रॉकरी और यहाँ तक कि काँच के बने बैड्स भी हैं। इस गैलेरी का मुख्य आकर्षण हीरे - जवाहरात जड़ा हुआ एक कार्पेट ( ग़लीचा ) है, जो कि अनुपम वर्ग में शामिल है। इस गैलेरी में एक शाही, बड़ा, हाथ से खींच कर चलाने वाला एक पंखा है, जिस पर लाल रंग का साटिन का कपड़ा चढ़ा हुआ है, जिस में कशीदाकारी द्वारा सूर्य की छवि बनाई गई है जो कि मेवाड़ राज्य का प्रतीक माना जाता है। इस क्रिस्टल गैलेरी में मुख्य रूप से जो सामान प्रदर्शित किया गया है, वह ’एफ एण्ड सी ऑसलर’ कम्पनी द्वारा तैयार किया गया है, जो कि विक्टोरियन युग के सब से महत्वपूर्ण स्मरणार्थ कट ग्लास के भोग विलास के सामान के रचयिता रहे हैं तथा उसके बाद भी इन का यह अद्भुत कार्य महत्वपूर्ण रहा है। सन् 1807 में बर्मिंघम ( यू. के. ) में स्थापित की गई ’ऑसलर कम्पनी’ ने अपने कला क्षेत्र में कट ग्लास उद्योग में संरचनात्मक सभ्यावनाएं तलाश करते हुए, स्मरणार्थ आकृति के रूप में बिल्लौरी काँच ( क्रिस्टल ग्लास ) की अवधारणा को मूर्त रूप देकर, क्रान्ति ला दी थी, जिसका सबसे बढ़िया उदाहरण उदयपुर संग्रह में पाया जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी में ’’एफ एण्ड सी. ऑसलर कम्पनी’’ ने ब्रिटेन तथा भारत, दोनों देशों में अपना व्यवसाय बहुत ही सफलतापूर्वक चलाया।