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  • उदयपुर

    उदयपुर

    झीलों की नगरी

उदयपुर

झीलों की नगरी

‘‘वेनिस ऑफ द ईस्ट’’ नाम दिया गया है इस शहर को। झीलों की नगरी उदयपुर अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। प्रसिद्ध लेक पैलेस पिछौला झील के मध्य में स्थित है जो कि उदयपुर के सबसे सुंदर स्थलों में से एक है। इसकी खूबसूरती दुनियां भर में मशहूर है। इस शहर की स्थापना 1553 ई. में महाराणा उदयसिंह द्वितीय ने की थी, जिसे मेवाड़ राज्य की राजधानी घोषित किया गया था। यह नागदा के दक्षिण पश्चिम की घुमावदार पहाड़ियों और गिर्वा घाटी में स्थित है। नीली झीलों, अरावली की पहाड़ियों और हरे भरे जंगलों से घिरा उदयपुर शहर एक वैभवपूर्ण पर्यटन स्थल है। यहाँ पिछोला झील के बीच, सीप में मोती की तरह नज़र आता है - लेक पैलेस, जो यहाँ के सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। एशिया की दूसरी सबसे बड़ी, मानव निर्मित मीठे पानी की जयसमंद झील भी उदयपुर ज़िले में है। वैभवशाली सिटी पैलेस और सज्जनगढ़ पैलेस स्थापत्य कला के बेहतरीन नमूने हैं। उदयपुर में संगमरमर और जस्ते की भी खानें हैं।

उदयपुर में आने और तलाशने के लिए आकर्षण और जगहें

उदयपुर पधारें और यहाँ के आकर्षणों में खो जाएं। राजस्थान में हमेशा कुछ नया देखने को मिलता है।

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  • उदयपुर सिटी पैलेस

    उदयपुर सिटी पैलेस

    पिछोला झील के तट पर स्थित सिटी पैलेस की भव्य इमारत अपने संरक्षण और उत्तम रख रखाव के कारण आकर्षक है। इसमें चार प्रमुख महल हैं तथा कई छोटेछोटे महल हैं-, इसमें एक मुख्य संग्रहालय हैं जिसमें अनेक प्राचीन कलाकृतियाँ, पेन्टिंग्स, अस्त्र शस्त्र -, जिरह - बख्तर, तलवारें, भाले, पोशाकें आदि रखे गए हैं। इसके अतिरिक्त इसमें मोर चौक, चीनी चित्रशाला, जनानामहल, सिल्वरगैलेरी मुख्य आकर्षण है। प्रतिदिन संध्याकाल में लाईट एण्ड साउण्ड शो का आयोजन किया जाता है, जिसमें मेवाड़ के इतिहास और परम्परा का चित्रण किया गया है।

  • लेक पैलेस

    लेक पैलेस

    पाँच सितारा होटल के रूप में, पिछोला झील के बीचों बीच यह जग निवास पैलेस, अब लेक पैलेस होटल के नाम से प्रचलित है। यह महल एक द्वीप पर बना है तथा यहाँ तक पहुँचने के लिए नाव से जाना पड़ता है। इसे महाराजा जगतसिंह द्वितीय ने सन् 1746 में अपने आराम करने के लिए बनवाया था। ग्रीष्म कालीन महल के रूप में यह लेक पैलेस ’जग निवास’ कहलाता था। इसके बाहर की तरफ, शानदार बरामदे, रंग बिरंगी लाइटों से सजा उद्यान तथा फव्वारे, इसकी शोभा को चार चाँद लगाते हैं।

  • जग मन्दिर

    जग मन्दिर

    एक अन्य द्वीप पर बना जग मंदिर भी पिछोला झील के बीच में ही स्थित है। इसका निर्माण 1620 में शुरू हुआ और 1652 के आस पास पूरा हुआ। गर्मियों की आरामगाह के रूप में उत्सवों की मेजबानी करने के लिए शाही परिवार द्वारा महल का उपयोग किया जाता था। शाहजहां (शहज़ादा ख़ुर्रम) अपने पिता सम्राट जहांगीर के ख़िलाफ विद्रोह करते हुए यहां आश्रय लिया था। ऐसा कहा जाता है कि इस महल से प्रेरित एवं प्रभावित होने के फलस्वरूप ही सम्राट शाहजहां ने आगे चलकर ताजमहल का निर्माण किया जो विश्व के सबसे शानदार महल के रूप में जाना जाता है।

  • मानसून पैलेस

    मानसून पैलेस

    ‘सज्जनगढ़’ अब मॉनसून पैलेस के नाम से भी प्रसिद्ध है। एक ऊँची पहाड़ी पर बने इस महल को महाराणा सज्जन सिंह ने अपनी शिकारगाह के रूप में बनवाया था। 19वीं शताब्दी में बने इस महल को एक खगोलीय केन्द्र के रूप में बनवाया गया था। परन्तु महाराणा सज्जन सिंह की अकस्मात मृत्यु के कारण यह योजना सफल न हो पाई। अब यह एक प्रसिद्ध सन-सैट पॉइंट है।

  • आहड़ संग्रहालय

    आहड़ संग्रहालय

    इस संग्रहालय में मिट्टी के बर्तनों का एक छोटा, लेकिन दुर्लभ संग्रह हैं। जिनमें से कुछ 1700 ईसा पूर्व के हैं। पुरातात्विक खोजों से प्राप्त प्रतिमाएं भी यहाँ देखी जा सकती हैं। यहां का विशेष आकर्षण बुद्ध की 10वीं शताब्दी की धातु प्रतिमा है।

  • जगदीश मंदिर

    जगदीश मंदिर

    उदयपुर और उसके आस पास के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक जगदीश मंदिर। 1651 में इंडो-आर्यन् शैली में बना हुआ स्थापत्य कला का एक अच्छा उदाहरण है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका स्थापत्य, नक़्काशीदार खंभे, सुदर छत और चित्रित दीवारें एक सुंदर संरचना का निर्माण करते हैं। यह महाराणा जगत सिंह द्वारा तीन मंज़िला मंदिर के रूप में बनवाया गया था।

  • फ़तेह सागर झील

    फ़तेह सागर झील

    पिछोला के उत्तर में, पहाड़ों और वन संपदा के किनारे स्थित यह रमणीय झील, एक नहर द्वारा पिछोला झील से जुड़ी एक कृत्रिम झील है। झील के मध्य सुंदर नेहरू गार्डन के साथ साथ एक द्वीप पर उदयपुर की सौर वेधशाला भी है। इसे पहले ’कनॉट बन्ध’ कहा जाता था क्योंकि इसका उद्घाटन ड्यूक ऑफ कनॉट के द्वारा किया गया था।

  • पिछोला झील

    पिछोला झील

    पिछोला झील का सौन्दर्य ढलती शाम के समय, सूर्य की लालिमा में सोने की तरह दमकता है। पिछोली गाँव के कारण झील को ’पिछोला’ नाम दिया गया है। जगनिवास और जगमंदिर द्वीप इस झील में स्थित है। झील के पूर्वी किनारे पर सिटी पैलेस है। सूर्यास्त होने पर झील में नाव की सवारी, झील और सिटी पैलेस का मनमोहक दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करता है।

  • सहेलियों की बाड़ी

    सहेलियों की बाड़ी

    सहेलियों की बाड़ी यहाँ का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय द्वारा महिलाओं के लिए एक बगीचे के रूप में निर्मित किया गया था। एक छोटे से संग्रहालय के साथ साथ इसमें संगमरमर के हाथी, फव्वारे, मण्डप और कमल कुण्ड जैसे कई आकर्षण हैं।

  • बर्ड पार्क गुलाब बाग

    बर्ड पार्क गुलाब बाग

    गुलाब बाग में स्थित बर्ड पार्क 5.11 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है। इसमें 12 अहाते हैं। इसमें एसाँरटेड पैरेट हाउस, मैकॉ और कँकाटू कोर्टयार्ड, लैसर पैरसीन सेक्शन, गैलीफॉर्म्स रनवे, फ्लाइटलेस बर्ड्स सेक्शन, एक्वेटिक एविफौना सेक्शन हैं। इसमें ग्रीन मुनिया, ग्रेट व्हाइट पेलिकन सल्फर-क्रेस्टेड काँकाटू, ब्लू और गोल्ड मैकॉ और पक्षियों की कुल 28 प्रजातियां हैं।

  • सुखाड़िया सर्कल

    सुखाड़िया सर्कल

    सुखाड़िया सर्कल उदयपुर के उत्तर में स्थित है। इसमें एक छोटा कुंड है जिसमें 21 फीट लम्बे संगमरमर के फव्वारे हैं। रात के प्रकाश में ये बहुत सुंदर लगते हैं। इसका नाम राजस्थान के पूर्व मुख्य मंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के नाम पर रखा गया है। पर्यटकों की चहल पहल वाले इस शहर के बीच फव्वारों से घिरा हुआ यह उद्यान स्वर्ग समान लगता है।

  • भारतीय लोक कला मंडल

    भारतीय लोक कला मंडल

    भारतीय लोक कला मंडल, उदयपुर का एक सांस्कृतिक संस्थान है जो राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश की संस्कृति, त्यौहारों, लोक कला और लोकगीत के लिए समर्पित है। लोक संस्कृति के प्रचार के अलावा, यह एक संग्रहालय भी है जो राजस्थानी संस्कृति के विभिन्न स्वरूपों पर लोक कलाकृतियों का प्रदर्शन करता है।

  • बागौर की हवेली

    बागौर की हवेली

    इसका निर्माण 1751-1781 ईस्वी के बीच मेवाड़ शासक के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद्र बड़वा की देखरेख में किया गया था। इस हवेली में राज परिवार के अलावा किसी का भी प्रवेश वर्जित था। इसमें मूल्यवान वस्तुएं रखने के लिए एक अलग तहख़ाना बना हुआ था। यहां स्थित नीम चौक में संगीत और नृत्य का कार्यक्रम एक आनंददायी अनुभव होता है।

  • शिल्पग्राम

    शिल्पग्राम

    70 एकड़ में फैला ग्रामीण कला और शिल्प परिसर एक जीवित संग्रहालय माना जाता है। यह उदयपुर शहर से 7 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में स्थित है और भारत के पश्चिमी क्षेत्र के जनजातीय लोगों की जीवन शैली को दर्शाता है।

  • उदयसागर झील

    उदयसागर झील

    उदयपुर की पांच झीलों में से एक है उदय सागर झील। उदयपुर के पूर्व में 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, इस झील का निर्माण 1559 में महाराणा उदयसिंह द्वारा शुरू करवाया गया था। झील बेड़च नदी पर बनाया एक बांध है। जिससे राज्य को पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सके। उदय सागर झील की 4 कि.मी. लम्बाई, 2.5 किलोमीटर की चौड़ाई और 9 मीटर की गहराई है।

  • हल्दी घाटी

    हल्दी घाटी

    यह स्थान मेवाड़ के महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है तथा उदयपुर से 40 कि.मी. की दूरी पर है। इस घाटी की मिट्टी हल्दी के रंग जैसी पीली है, इसीलिए इसका यह नाम पड़ा। हल्दीघाटी अरावली की पहाड़ियों में स्थित है। सन् 1576 ई. में हुए युद्ध में महाराणा प्रताप के गौरव और शौर्य को दर्शाने वाली हल्दीघाटी में उनके प्रिय घोड़े चेतक की समाधि भी स्थित है।

  • दूध तलाई

    दूध तलाई

    छोटी पहाड़ियों के बीच, पिछोला झील के लिए जाने वाली सड़क पर एक ओर दूध तलाई है। कई लघु पहाड़ियों के मध्य बसी ये तलाई, पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण है। ’दीनदयाल उपाध्याय उद्यान’ और ’माणिक्यलाल वर्मा बाग’, इस रमणीय तलाई के किनारे अन्य मनोरम स्थल हैं।

  • जयसमंद झील

    जयसमंद झील

    दो पहाड़ियों के बीच में ढेबर दर्रा को कृत्रिम झील का स्वरूप दिया गया। एशिया की दूसरे नम्बर की सबसे बड़ी मानव निर्मित मीठे पानी की झील है। इसका निर्माण महाराज जयसिंह ने 17वीं शताब्दी में करवाया था। जयसमंद के किनारे पर बनी कलात्मक सीढ़ियाँ और छतरियाँ, इसके सौन्दर्य को निखारती हैं। इस झील के आस पास, कई तरह के पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ नज़र आती हैं।

  • उदयपुर बायोलॉजिकल पार्क

    उदयपुर बायोलॉजिकल पार्क

    सिटी सेन्टर से 8 कि.मी. की दूरी पर मॉनसून पैलेस के नीचे की तरफ उदयपुर का बायोलॉजिकल पार्क बनाया गया है, जिसे ’सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क’ के नाम से जानते हैं। इस क्षेत्र के जीव-जन्तुओं तथा पौधों को संरक्षित रखने हेतु इस पार्क का निर्माण किया गया था। पार्क के उद्घाटन के बाद एक माह में लगभग 46 हज़ार दर्शक यहाँ आए, जो कि अपने आप में उत्साहवर्धक है। वैसे तो यह पार्क पूरे वर्ष खुला है परन्तु इसे देखने का सर्वोत्तम समय जुलाई से सितम्बर मॉनसून का समय है। मॉनसून में यह क्षेत्र हरियाली से आच्छादित दिखाई पड़ता है तथा इसमें विभिन्न प्रकार की चिड़ियां व जानवर देखे जा सकते हैं। इस पार्क में लगभग 60 प्रकार के पशुओं की 21 प्रजातियाँ उपलब्ध हैं, जिनमें चीतल, सांभर, जंगली सूअर, शेर, लंगूर, हिमालयन काले हिरण, घड़ियाल, मगरमच्छ आदि दिखाई देते हैं, जो कि वन्य जीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान है।

  • विन्टेज कार कलैक्शन

    विन्टेज कार कलैक्शन

    गार्डन होटल के प्रांगण में विन्टेज ( विशिष्ट पुराने वाहन ) तथा क्लासिक ( उत्तम श्रेणी के वाहन ) की कारों का विविध संग्रह उपलब्ध है, जैसे:- कैडिलैक, शैवरलैट, मॉरिस आदि, जो कि उदयपुर के महाराणाओं की सम्पत्ति हुआ करती थीं। वे लोग इन गाड़ियों को अपने शानदार यातायात के रूप में काम में लेते थे।

  • नागदा

    नागदा

    छठी शताब्दी के अंश को समाहित किए, नागदा उदयपुर से 22 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। अरावली की पहाड़ियों की गोद में बसा नागदा, जटिल नक्काशीदार ‘‘सहस्त्रबाहु मंदिर’’ के लिए प्रसिद्ध है जो कि आम लोगों में ‘सास बहू मंदिर’’ के नाम से पहचाना जाता है। नवीं-दसवीं शताब्दी में निर्मित किए गए इस मंदिर का वास्तुशिल्प अतुलनीय है तथा इसका तोरणद्वार अद्भुत बनाया गया है। यहाँ पर स्थित एक और शानदार ‘अद्भुद्जी’ जैन मंदिर भी दर्शनीय है।

  • बड़ी झील

    बड़ी झील

    बड़ी झील उदयपुर में स्थित एक ताजे पानी की झील है। इसका निर्माण महाराणा राजसिंह द्वारा ‘‘बड़ी गाँव’’ से लगभग 12 कि.मी. दूर 1652-1680 के बीच करवाया गया था। पहले इसका नाम जियान सागर था, जो कि महाराणा राजसिंह की माता के नाम पर था। इसका निर्माण गांव के लोगों को बाढ़ से राहत दिलाने के लिए मदद के तौर पर करवाया गया था। सन् 1973 में आई बाढ़ के दौरान, इस झील के कारण लोगों को काफी मदद मिली आौर आज यह झील स्थानीय लोगों तथा पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र बन गई है। तीन तरफ से छतरियों से घिरी यह झील देश की सबसे बढ़िया ताजे पानी की झील है तथा उदयपुर के पर्यटक - आकर्षणों में से एक है। शहर की भीड़ भरी जिन्दगी से लगभग 12 कि.मी. की दूरी पर यह झील शांत वातावरण में प्राकृतिक सुन्दरता से परिपूर्ण है।

  • मेनार

    मेनार

    ’सिटी ऑफ लेक्स’ के नाम से पहचाना जाने वाला शहर, उदयपुर, कई सुन्दर झीलों का घर है। यहाँ एक गाँव है मेनार, जहाँ पर सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा रहता है। यहाँ के ब्रह्म तालाब और डंड तालाब, प्रवासी पक्षियों का आतिथ्य करते हैं और उन्हें आकर्षित करते हैं। यह गाँव एक अनछुआ पर्यटक आकर्षण का स्थल है तथा पक्षी प्रेमियों के लिए यह एक अच्छा पसन्दीदा विकल्प बन सकता है। उदयपुर चित्तौड़गढ़ रोड पर यह उदयपुर से लगभग 48 कि.मी. की दूरी पर स्थित है तथा मेनार आने व घूमने का सबसे अच्छा मौसम सर्दियों का है, जब इन तालाबों पर प्रवासी पक्षियों के झुण्ड नजर आते हैं। यहाँ घूमने पर आप यहाँ आने वाले प्रवासी पक्षियों में ग्रेटर फ्लेमिंगो, व्हाइट टेल्ड, लैपविंग मार्श हैरियर, ब्लैक काइट (काली चील), जंगल क्वेल (काली बटेर), क्रो फीजैन्ट, (चेड़ लम्बी पूंछ वाला पक्षी) इत्यादि देख सकते हैं। पर्यटकों की भीड़ से दूर आप यहाँ के तालाब के किनारे शांत वातावरण में तथा गांव की नीरव और शांतिमय जलवायु में विश्राम कर सकते हैं।

उदयुपर के उत्सव और परम्पराओं का हिस्सा बनें। राजस्थान में हर दिन एक उत्सव है।

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  • मेवाड़ फेस्टिवल

    मेवाड़ फेस्टिवल

    गणगौर पर्व बसंत ऋतु के स्वागत के लिए, उदयपुर में बड़े जोश के साथ मनाया जाता है। पिछोला झील में सजी नौकाओं का जुलूस और गणगौर घाट पर महिलाओं द्वारा देवी पार्वती की मूर्तियों की पूजा अर्चना, सैलानियों के लिए अप्रतिम नज़ारा होता है। तीन दिन तक चलने वाले इस उत्सव में गणगौर की सवारी, पारंपरिक नृत्य, लोेक गायन सहित अन्य आकर्षण होते हैं।

  • कुम्भलगढ़ फेस्टिवल

    कुम्भलगढ़ फेस्टिवल

    उदयपुर से 84 कि.मी. की दूरी पर ऊँचे पहाड़ पर स्थित कुंभलगढ़ किला, महाराणा कुम्भा द्वारा 15वीं सदी में बनवाया गया अनुपम स्मारक है। यह 36 कि.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ प्रतिवर्ष राजस्थान पर्यटन विभाग ’कुम्भलगढ़ फेस्टिवल’ आयोजित करता है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा लोक नृत्य, संगीत तथा शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। पर्यटकों के लिए पगड़ी बांधने, जैसी आकर्षक प्रतियोगिताएं भी यहां होती हैं। यहां पर प्रकाश व ध्वनि का कार्यक्रम भी रोजाना आयोजित किया जाता है।

उदयपुर में कई गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच आपकी बाट जोह रहे हैं। >> राजस्थान में हमेशा कुछ नया करने के लिए है।

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  • भारतीय लोक कला मंडल में कठपुतली शो देखें

    भारतीय लोक कला मंडल में कठपुतली शो देखें

    कठपुतली के पारंपरिक कला का आनंद भारतीय लोक कला मंडल में लिया जा सकता है।

  • उदयपुर रोप वे यात्रा

    उदयपुर रोप वे यात्रा

    माछला मगरा तथा करणी माता मंदिर देखने के लिए, दीन दयाल उपाध्याय पार्क से एक रोप वे शुरू किया गया है। यह रोप वे करणी माता मंदिर के दर्शन और शहर का विहंगम दृश्य देखने के लिए पर्यटकों कोआनन्दित कर देती है।

यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon निकटतम हवाई अड्डा डबोक, जिसे महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के रूप में भी जाना जाता है। षहर के केन्द्र के लगभग 25 किमी उत्तर-पूर्व में है। जेट एयरवेज, एयर इंडिया और स्पाइसजेट द्वारा जयपुर और मुम्बई से दैनिक उड़ानें हैं।
  • Car Icon जयपुर, चित्तौड़गढ़, अमहदाबाद, जोधपुर, बीकानेर, आगरा, दिल्ली, मुम्बई, और खजुराहो सहित, सड़क मार्ग तक उदयपुर आसानी से पहंुचा जा सकता है।
  • Train Icon भारत में चित्तौड़गढ़, अहमदाबाद, अजमेर, सवाई माधोपुर, जयपुर, आगरा, दिल्ली, मुम्बई और खजुराहो सहित उदयपुर कई प्रमुख षहरों से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है।

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उदयपुर के समीप दर्षनीय स्थल

  • चित्तौड़गढ़

    117 कि.मी.

  • डूंगरपुर

    103 कि.मी.

  • माउंट आबू

    165 कि.मी.