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  • बाड़मेर

    बाड़मेर

    भारत का पांचवां सबसे बड़ा जिला

बाड़मेर

भारत का पांचवां सबसे बड़ा जिला

राजस्थान के बड़े क्षेत्रफल के ज़िलों में बाड़मेर का नाम गिना जाता है। लगभग 28,387 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस शहर में थार रेगिस्तान का एक हिस्सा शामिल है। इसके उत्तर में जैसलमेर तथा दक्षिण में जालोर शहर हैं। पूर्वी सीमा पर जोधपुर और पाली तथा इसकी पश्चिमी सीमा पाकिस्तान को छू रही है। गर्मी के मौसम में यहां का तापमान 500 से ऊपर पहुँच जाता है और सर्दियों में पारा गिरकर 00 पर आ जाता है। बाड़मेर ज़िले की सबसे लम्बी नदी’ लूनी नदी’ है जो कि लगभग 500 कि.मी. की लम्बी यात्रा के बाद जालोर से गुज़रते हुए, कच्छ के रण में विलीन हो जाती है। बाड़मेर के संस्थापक, परमार शासक ’बहाड़ राव’ थे, जिन्हें बाड़ राव (जूना बाड़मेर) के नाम से भी प्रसिद्ध था। 12वीं शताब्दी में यह क्षेत्र ‘मल्लानी’ के नाम से प्रसिद्ध था। बाद में परमार शासक ने एक छोटे से शहर का निर्माण किया जो वर्तमान में ‘जूना’ के नाम से पहचाना जाता है। यह शहर बाड़मेर से 25 कि.मी. की दूरी पर है। परमार के बाद, रावत लूका-रावल मल्लिनाथ के पौत्र ने, अपने भाई रावल मंडालक की सहायता से जूना बाड़मेर मे अपना राज्य स्थापित किया। उन्होंने जूना के परमारों को हराकर, इसे अपनी राजधानी बनाया। इसके बाद उनके वंशज, रावत भीमा, जो कि एक महान योद्धा थे, ने 1552 ई. में वर्तमान शहर बाड़मेर की स्थापना की और अपनी राजधानी को बाड़मेर से जूना ले आए। उन्होंने शहर के शीर्ष पर एक छोटे क़िले का निर्माण किया जो कि ’बाड़मेर गढ़’ के नाम से जाना जाता है। 676 फुट की ऊँचाई पर बना यह क़िला प्राकृतिक पहाड़ियों से घिरा है तथा यहाँ दो महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं - पहाड़ी का सबसे ऊँचा पर्वत मन्दिर, ’गढ़ मन्दिर’ जो 1383 फुट की ऊँचाई पर है और ’नागनेची माता’ मन्दिर जो 500 फुट पर है। नवरात्रा उत्सव के दौरान यहाँ मेले लगते हैं। इसी क्षेत्र के पास बाड़मेर के पूर्व शाही परिवार का निवास स्थान है। बाड़मेर शुरू से ही ऊँट व्यापार मार्ग बना रहा है, इसी कारण शिल्प क्षेत्र में समृद्ध है। यहाँ लकड़ी की नक़्काशी का फर्नीचर, मिट्टी के पात्र, कपड़ों पर काँच की कढ़ाई का काम, और ’अजरक प्रिन्ट’ बहुतायत से किया जाता है तथा पूरे भारत में यह कला प्रसिद्ध है।

बाड़मेर में आने और तलाशना आकर्षण और जगहें

बाड़मेर आएं और अद्भुत और विविध दर्शनीय स्थलों का आनंद लें। देखें, राजस्थान में बहुत कुछ अनूठा देखने को मिलता है।

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  • किराड़ू मन्दिर

    किराड़ू मन्दिर

    थार के रेगिस्तान में चमकते लाल माणक जैसे मन्दिर। शहर से यह मन्दिर लगभग 35 कि.मी. दूर है, जिन्हें आप जाकर देखें तो देखते ही रह जाएँ। सोलंकी वास्तुकला शैली में उभरे, कंगूरे, स्तम्भ और पत्थर पर की गई बारीक नक़्काशी का काम-इन मन्दिरों को भगवान शिव को समर्पित किया गया है। उल्लेखनीय मूर्तियाँ कुछ यथा स्थान, कुछ इधर उधर, रेत के धोरों में बिखरी पड़ी हैं। पत्थर बता रहे हैं, इमारत बुलन्द थी। ये पाँच मन्दिर हैं, जिनमें ’सोमेश्वर महादेव’ मन्दिर सर्वोच्च कोटि का है।

  • बाड़मेर क़िला और गढ़ मन्दिर

    बाड़मेर क़िला और गढ़ मन्दिर

    रावत भीमा यहाँ के शासक थे। सन् 1552 ई. में नगर के वर्तमान शहर बाड़मेर में उन्होंने एक क़िला बनवाया, जहाँ पुराने शहर को वर्तमान बाड़मेर (जूना गाँव) बाड़मेर ज़िले में स्थानान्तरित कर दिया। शहर के शीर्ष पर स्थित क़िले को बाड़मेर गढ़ के रूप में भी जाना जाता है। क़िले का मुख्य प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में एवम् सुरक्षा बुर्ज, पूर्वी और पश्चिमी दिशा में बना है। चारों ओर से मन्दिरों तथा पहाड़ों से घिरा होने के कारण, यह क़िला पूर्णतया सुरक्षित है।

  • श्री नाकोड़ा जी जैन मन्दिर

    श्री नाकोड़ा जी जैन मन्दिर

    यह भव्य जैन मन्दिर, बहुत सारे हमले सह चुका है। मुगलों के समय में आलमशाह ने 13वीं शताब्दी में इस मन्दिर पर हमला किया और इसे लूट कर ले गया था। लेकिन भाग्यवश भगवान की प्रतिमा को नहीं ले जा सका था। गांव वालों को इस हमले का आभास होने पर उन्होंने इस मूर्ति को गाँव में ही ले जाकर छिपा दिया था। शांति होने के बाद, 15वीं सदी में प्रतिमा को वापस लाकर मंदिर में पुनः स्थापित किया गया। वैसे तीसरी शताब्दी में निर्मित इस मंदिर को कई बार पुननिर्मित किया जा चुका था।

  • देवका सूर्य मन्दिर

    देवका सूर्य मन्दिर

    बाड़मेर जैसलमेर रोड पर करीब 62 कि.मी. की दूरी पर एक छोटे से गाँव देवका में यह मंदिर 12वीं-13वीं शताब्दी में बनाया गया था। इसकी वास्तुकला अविश्वसनीय तथा अदभुत है। इसी गांव में दो और मंदिरों के खण्डहर मिलते हैं, जिनमें भगवान गणेश की मूर्तियाँ हैं।

  • विष्णु मन्दिर

    विष्णु मन्दिर

    इस मन्दिर को पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनाने में इसकी वास्तुकला तथा आस पास के बाजार का सहयोग मिला। खेड़ गाँव में स्थित यह विष्णु मन्दिर, हालांकि कई जगह से खण्डित हो रहा है, लेकिन आज भी इसके चारों तरफ एक भव्य आभा दिखाई देती है।

  • रानी भटियानी मन्दिर

    रानी भटियानी मन्दिर

    ’भुआ सा’ के नाम से प्रसिद्ध रानी भटियानी एक हिन्दू देवी हैं जो पश्चिमी राजस्थान आौर सिंध पाकिस्तान में पूजनीय है। बाड़मेर के जसोल गाँव में स्थित रानी भटियानी का मंदिर मुख्यतया ढोली जाति के लोगों द्वारा श्रृद्धा से माना जाता है। यह रानी जैसलमेर के जोगीदास गाँव की राजकुमारी थी तथा भाटी राजपूत थीं। राठौड़ राजा से शादी करके बाड़मेर आईं। परन्तु इनकी बड़ी रानी ने इन्हें तथा इनके पुत्र लालसिंह को ईर्ष्यावश ज़हर दिलवा कर मरवा दिया था। इनका यश इतना था कि इनकी मृत्यु के बाद, गांव के लोग इनके चबूतरे पर पूजा करने लगे तथा कई चमत्कार देखकर दूर दूर तक इनका यश फैल गया।

  • जूना किला और मन्दिर

    जूना किला और मन्दिर

    यह क़िला तथा मन्दिर, पुरानी विरासत के खण्डहरों में बदल चुका है। जूना पुराना बाड़मेर का शहर था जो कि राजा रावत भीमा ने बसाया था। 12वीं सदी में यहाँ मन्दिर की स्थापना की गई थी, जो कि पहाड़ियों से घिरा है। यहाँ एक छोटी झील भी है।

  • चिन्तामणी पार्श्वनाथ जैन मन्दिर

    चिन्तामणी पार्श्वनाथ जैन मन्दिर

    बाड़मेर शहर के पश्चिमी भाग में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित, यह जैन मन्दिर 16वीं शताब्दी में ’श्री निमाजी जीवाजी बोहरा’ द्वारा बनवाया गया था। इस मन्दिर में बहुत ही शानदार मूर्तियाँ हैं तथा इसे सुन्दर चित्रों से सजाया गया है। मन्दिर के अन्दर काँच की बनी, अद्भुत व अनोखी जड़ाई का काम किया गया है।

  • महाबार सैण्ड-ड्यून्स ( रेत के धोरे ) - बाड़मेर

    महाबार सैण्ड-ड्यून्स ( रेत के धोरे ) - बाड़मेर

    बाड़मेर में स्थित ’महाबार सैण्ड ड्यून्स’ के बारे में पर्यटन के क्षेत्र में कम ही जानकारी मिलती है। बाड़मेर के यह रेत के धोरे, जैसलमेर में मिलने वाले ’सम सैण्ड ड्यून्स’ के जितने ही सुन्दर व आकर्षक हैं और यह भी तय है कि यह आपको हतप्रभ करने के लिए काफी हैं। महाबार सैण्ड ड्यून्स तक पहुँचने के लिए आपको बाड़मेर - अहमदाबाद हाइवे की तरफ से जाना होगा। यहाँ जाने वाली सड़क मोटर गाड़ी द्वारा सफर करने के लिए अच्छी है तथा आप को इस सड़क द्वारा महाबार सैण्ड ड्यून्स तक पहुंचने में कोई विशेष परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। शहर के शोरगुल और हलचल से दूर, इन रेत के धोरों पर आपको बड़ा आराम मिलेगा क्योंकि यह शांत स्थल है तथा यहाँ पर भीड़ भाड़ नहीं है और विशेष बात यह है कि अन्य पर्यटन स्थलों की अपेक्षा में इस जगह की पहचान होना अभी बाक़ी है। आइए, महाबार सैण्ड ड्यून्स पर आकर आनंदित हो जाइए तथा यहाँ से दिखाई देने वाले सूर्योदय और सूर्यास्त के शानदार और प्रभावशाली दृश्य का अविस्मरणीय अनुभव लीजिए।

  • सफेद अखाड़ा

    सफेद अखाड़ा

    ’महाबार सैण्ड ड्यून्स’ की तरफ जाते हुए रास्ते में आप ’सफेद अखाड़ा’ देख सकते हैं, जो कि ’सिद्धेश्वर महादेव’ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है तथा यह एक मंदिरों का समूह है जहाँ एक बग़ीचा भी है। इस मंदिरों के समूह में भगवान शिव, भगवान कृष्ण और राधा तथा हनुमान जी की समाधियों के साथ ही अन्य समाधियां भी मौजूद हैं। मंदिरों के आस पास बड़े बड़े बग़ीचे भी हैं, जहाँ आप मोरों को अपनी पूरी सुंदरता के साथ विचरते हुए, नाचते हुए, चारों ओर घूमते हुए, देख सकते हैं। इस मंदिर समूह के साथ ही यात्रियों व पर्यटकों के ठहरने की भी अस्थायी व्यवस्था उपलब्ध है। आइए, ’सफेद अखाड़ा’ के इस प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लीजिए और इसके बग़ीचों के शांतिमय वातावरण में, शहर के कोलाहल और भीड़ भरे जीवन से दूर, आराम कीजिए।

  • बाड़मेर की हस्तकलाएं

    बाड़मेर की हस्तकलाएं

    बाड़मेर के प्रसिद्ध हस्तशिल्प आपको बाड़मेर की किसी भी जानी मानी दुकान पर मिल जाएंगे, जहाँ भारतीय ग्रामीण परिवेश से सम्बन्धित बढ़िया हस्तशिल्प मिलते हैं। आप यहाँ पर पारम्परिक तथा मानव जातियां सम्बन्धी उत्पाद भी ले सकते हैं जैसे कशीदाकारी के कपड़े, हाथ से बुनी गई ऊनी दरियां, कार्पेट, लकड़ी पर खुदाई करके बनाई गई वस्तुएं, पारम्परिक रूप से रंगे गए कपड़े, पेन्टिंग्स / चित्रकारी और बंधिनी के सुन्दर कपड़े, आदि। बाड़मेर की हस्तकलाओं ने ही आज इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण का केन्द्र बना दिया है, जहाँ बाड़मेर द्वारा उच्च कोटि की पारम्परिक वस्तुएं आपको उपलब्ध कराई जाती हैं। यदि आप पारम्परिक हस्तकलाओं की खोज में हैं तो ’विजय लक्ष्मी हैण्डीक्राफ्ट्स’ नामक दुकान में आप देख सकते हैं।

बाड़मेर के उत्सव और परम्पराओं के आंनद में सम्मिलित हों। राजस्थान में हर दिन एक उत्सव है।

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बाड़मेर में गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान में करने के लिए सदैव कुछ निराला है।

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यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon बाड़मेर से नज़दीकी हवाई अड्डा जोधपुर है, जो क़रीब 220 कि.मी. दूरी पर है।
  • Car Icon राज्य के अधिकांश शहर, यहाँ से बसों द्वारा जुड़े हैं।
  • Train Icon यहाँ का रेल्वे स्टेशन जोधपुर से सीधा जुड़ा हुआ है तथा वहाँ से सभी शहरों के लिए रेल सेवा उपलब्ध है।

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बाड़मेर के समीप देखने योग्य स्थान

  • जालोर

    130 कि.मी.

  • जैसलमेर

    156 कि.मी.

  • जोधपुर

    201 कि.मी.