केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान
घने वृक्ष, तालाब तथा शोरगुल से दूर यह
स्थान पक्षियों के लिए स्वर्ग समान है। इसे 1971 में संरक्षित पक्षी
अभ्यारण्य तथा 1985 में ‘विश्व धरोहर’ भी घोषित किया गया। यहाँ हजारों की संख्या में विदेशी दुर्लभ पक्षी, प्रतिवर्ष सर्दियों में आते हैं, अपने
घोंसले बनाते हैं, प्रजनन करते हैं तथा गर्मी की शुरूआत होते होते वापस
अपने देश चले जाते हैं। लगभग 230 प्रजातियों के पक्षी यहाँ देखे जा सकते हैं। 18वीं सदी के मध्य में भरतपुर के दक्षिण-पूर्व में एक छोटे जलाशय के रूप में, ’घना पक्षी विहार’ निर्मित किया गया था। आज इसे विश्व का सबसे ज्यादा शानदार व आकर्षक पक्षी विहार होने का गौरव प्राप्त है। इसमें भारतीय सारस क्रेन, साइबेरियन क्रेन, जल मुर्ग़ी, चीनी मुर्ग़ी, हैरन, पेन्टेड स्टॉर्क, कार्मोरेन्ट, नॉब बिल्ड डक, व्हाइट स्पून बिल, सैण्ड पाइपर आदि विभिन्न प्रजातियों के पक्षी आते व विचरण करते हैं। पर्यटकों और फोटोग्राफर्स के लिए यह विशेष आकर्षण का केन्द्र है।
केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान में बर्ड वाचिंग
केवलादेव को एशिया के सबसे अच्छे पक्षी क्षेत्रों में गिना जाता है, और इसमें 375 से अधिक स्थानीय और प्रवासी प्रजातियां पाई जाती हैं। पर्यटक यहाँ पक्षियों की कई किस्मों को देख सकते हैं, जिनमें सारस और डेमोइसेल क्रेन तथा अनेक प्रवासी पक्षी शामिल हैं। इसके अलावा सुनहरे सियार, धारीदार लकड़बग्घा, मछली पकड़ने वाली बिल्ली, जंगली बिल्ली, नीलगाय, सांभर, काला हिरण और जंगली सूअर जैसे स्तनधारियों को देखने के लिए भी एक उत्कृष्ट स्थान है।