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  • भरतपुर

    भरतपुर

    विश्व धरोहर घना पक्षी अभ्यारण्य

    केओलादेओ  घाना  नेशनल  पार्क

भरतपुर

विश्व धरोहर घना पक्षी अभ्यारण्य

पर्यटकों के लिए भरतपुर मूलतः पक्षी विहार है। भरतपुर का नाम भगवान श्रीरामचन्द्र जी के भ्राता ’भरत’ के नाम पर रखा गया। दूसरे भाई लक्ष्मण, भरतपुर के राज परिवार के कुलदेवता के रूप में प्रतिष्ठित है तथा इनके नाम की राज मुहरें और राज चिन्ह यहाँ देखने को मिलते हैं। 5वीं शताब्दी ईसापूर्व, मत्स्य राज्य के विकास के साथ ही यहाँ का इतिहास जुड़ा हुआ है। 18वीं सदी के आरम्भ में महाराजा सूरजमल ने, इस कबीले के मुखिया खेमकरण को हराकर भरतपुर की नींव रखी। उन्होंने शहर का विस्तार कर कई किले, महल व डीग के सुन्दर महल बनवाए।

भरतपुर में आने और तलाशने के लिए आकर्षण और जगहें

अपने शांतिमय और मनमोहित करने वाले शहर भरतपुर में पधारें - राजस्थान में हमेशा कुछ अनूठा देखने को मिलता है।

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  • भरतपुर महल और संग्रहालय

    भरतपुर महल और संग्रहालय

    महल परिसर के ’कमरा ख़ास’ में एक संग्रहालय है जहाँ भरतपुर की कला, संस्कृति, मूर्तियाँ व सैकड़ो शिल्प व प्राचीन शस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। मुगल और राजपूत स्थापत्य कला के मिश्रण से ओतप्रोत, महाराजाओं द्वारा समय समय पर यह महल निखरता रहा। महल के कक्ष सुन्दर अलंकृत टाइलों से सजाए गए हैं। इस महल को देखकर शाही वैभव का अन्दाजा लगाया जा सकता है।

  • गंगा मंदिर

    गंगा मंदिर

    भरतपुर का लोकप्रिय मंदिर, राजपूत, मुगल तथा द्रविड़ स्थापत्य शैली का सुन्दर मिश्रण है। यह मंदिर महाराजा बलवंत सिंह द्वारा 1845 में बनाना शुरू किया गया था, जिसका निर्माण कार्य 90 वर्षों तक चला। उनके उत्तराधिकारी राजा बृजेन्द्र सिंह ने इस मंदिर में देवी गंगा नदी की मूर्ति की स्थापना की थी। ऐसी मान्यता है कि इसके निर्माण के लिए, राज्य के सभी कर्मचारियों तथा समृद्ध लोगों ने एक माह का वेतन दान किया था। यहाँ मुख्य आकर्षण भगवान कृष्ण, लक्ष्मीनारायण और शिव पार्वती की मूर्तियाँ हैं। गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा के अवसर पर यहाँ बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

  • लक्ष्मण मंदिर

    लक्ष्मण मंदिर

    भगवान राम के भाई लक्ष्मण को समर्पित इस मंदिर में राजस्थानी स्थापत्य शैली और गुलाबी रंग के पत्थरों पर अत्यन्त अनुपम नक़्काशी का काम किया गया है। दीवारों, छतों , मेहराबों व खंभों पर फूल पत्ते व पक्षियों के चित्र उकेरे गए हैं।

  • केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान

    केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान

    घने वृक्ष, तालाब तथा शोरगुल से दूर यह स्थान पक्षियों के लिए स्वर्ग समान है। इसे 1971 में संरक्षित पक्षी अभ्यारण्य तथा 1985 में ‘विश्व धरोहर’ भी घोषित किया गया। यहाँ हजारों की संख्या में विदेशी दुर्लभ पक्षी, प्रतिवर्ष सर्दियों में आते हैं, अपने घोंसले बनाते हैं, प्रजनन करते हैं तथा गर्मी की शुरूआत होते होते वापस अपने देश चले जाते हैं। लगभग 230 प्रजातियों के पक्षी यहाँ देखे जा सकते हैं। 18वीं सदी के मध्य में भरतपुर के दक्षिण-पूर्व में एक छोटे जलाशय के रूप में, ’घना पक्षी विहार’ निर्मित किया गया था। आज इसे विश्व का सबसे ज्यादा शानदार व आकर्षक पक्षी विहार होने का गौरव प्राप्त है। इसमें भारतीय सारस क्रेन, साइबेरियन क्रेन, जल मुर्ग़ी, चीनी मुर्ग़ी, हैरन, पेन्टेड स्टॉर्क, कार्मोरेन्ट, नॉब बिल्ड डक, व्हाइट स्पून बिल, सैण्ड पाइपर आदि विभिन्न प्रजातियों के पक्षी आते व विचरण करते हैं। पर्यटकों और फोटोग्राफर्स के लिए यह विशेष आकर्षण का केन्द्र है। केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान में बर्ड वाचिंग केवलादेव को एशिया के सबसे अच्छे पक्षी क्षेत्रों में गिना जाता है, और इसमें 375 से अधिक स्थानीय और प्रवासी प्रजातियां पाई जाती हैं। पर्यटक यहाँ पक्षियों की कई किस्मों को देख सकते हैं, जिनमें सारस और डेमोइसेल क्रेन तथा अनेक प्रवासी पक्षी शामिल हैं। इसके अलावा सुनहरे सियार, धारीदार लकड़बग्घा, मछली पकड़ने वाली बिल्ली, जंगली बिल्ली, नीलगाय, सांभर, काला हिरण और जंगली सूअर जैसे स्तनधारियों को देखने के लिए भी एक उत्कृष्ट स्थान है।

  • लोहागढ़ क़िला

    लोहागढ़ क़िला

    नाम से ही प्रभावित करने वाला यह क़िला कई ब्रिटिश हमलों का सामना कर चुका है और अंततः ब्रिटिश सैन्य अधिकारी आर्थर वैलस्ले ने इस पर कब्जा कर लिया था। इसके मजबूत गेट अष्ट धातु व लकड़ी के बने हैं तथा दुश्मनों से बचने के लिए, इसके चारों और गहरी खाई है जिसमें पानी भर दिया जाता था। क़िले के अन्दर सुन्दर स्मारकों में कोठी ख़ास, महल ख़ास, मोती महल और किशोरी महल हैं। राजा सूरजमल ने मुगलों और अंग्रेजों पर विजय प्राप्ति पश्चात् जवाहर बुर्ज और फतेह बुर्ज बनवाया था।

  • डीग

    डीग

    भरतपुर से 32 कि.मी. की दूरी पर जाट राजा बदन सिंह की राजधानी था सन् 1725 ई. में उन्होंने यह महल बनवाया। इस महल में बने बगीचों, फलों के पौधे, झाड़ियाँ, पेड़ तथा अनूठे डिज़ायन वाले फौवारे, दिल्ली व आगरा के मुगलों के बगीचों व महलों से प्रेरित होकर, बनवाए गए थे। दो बड़े पानी के टैंक गोपाल सागर और रूप सागर सभी फौवारों से जुडे़ हैं तथा गर्मियों में महलों को ठण्डा रखने के लिए फौवारों की बौछार, बरसात का एहसास दिलाती थी। महल की छतों पर रखे बडे़- बड़े गोल गोल पत्थरों को लुढ़काया जाता था, जिससे बादलों के गरजने का अनुमान होता था। डीग के महल और बग़ीचे वास्तुकला में परिपूर्ण तथा अति उत्तम बनाए गए हैं।

  • बंध बारेठा

    बंध बारेठा

    यह भरतपुर के शासकों का पुराना वन्यजीव अभ्यारण्य है, जहाँ शिकार खेलने के लिए केवल शाही परिवार आते थे। अभी यह वन विभाग के अधीन है। महाराजा जसवंत सिंह ने ककुंद नदी पर 1866 ई. में बांध का निर्माण कराया था और 1897 ई. में महाराजा रामसिंह ने इसे पूरा करवाया था। इस बांध के निकट ’शाही महल’ महाराजा किशन सिंह ने बनवाया था, जो कि अब भरतपुर शाही परिवार की निजी सम्पत्ति है। बंध बरेठा में चौपाये जानवरों के अलावा लगभग 200 से अधिाक प्रजातियों के पक्षी विचरण करते हैं।

  • कामां

    कामां

    एक तरफ उत्तर प्रदेश व दूसरी तरफ हरियाणा के बॉर्डर पर यह छोटा क़स्बा ’कामां’, बृज क्षेत्र का एक हिस्सा है। भगवान कृष्ण के दादाजी कामसेन ने इसका नाम ’कामावन’ रखा। भाद्रपद (जुलाई अगस्त) के माह में यहाँ वैष्णव सम्प्रदाय के लोग वनयात्रा हेतु आते हैं। बारिश के मौसम में यहाँ ’परिक्रमा मेला’ लगता है। यहाँ गोविन्द देव जी, कामेश्वर महादेव शिव मंदिर, ’विमल’ कुण्ड और चौरासी खम्भा मंदिर हैं।

  • धौलपुर पैलेस

    धौलपुर पैलेस

    यह महल ’राज निवास पैलेस’ के नाम से भी जाना जाता है। लाल रंग के पत्थरों से निर्मित इस महल को 19वीं सदी में बनवाया गया था। ब्रिटिश सरकार के समय में, उनके ख़ास मेहमानों को यहाँ ठहराया जाता था। आज़ादी की लड़ाई के समय, ब्रिटिश सरकार इस महल की हिफ़ाज़त करती थी। आज भी पर्यटक इस महल की शान देखकर अभिभूत हो जाते हैं।

भरतपुर के उत्सव और परम्पराओं के आनन्द में सम्मिलित हों। राजस्थान जहाँ हर दिन एक उत्सव है।

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  • ब्रज होली उत्सव

    ब्रज होली उत्सव

    प्रतिवर्ष होली से कुछ दिन पहले, फाल्गुन माह (मार्च) के शुक्ल पक्ष में भरतपुर-डीग-कामां में 2 दिन तक होली उत्सव मनाया जाता है। होली भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम का भी प्रतीक है तथा ऐसी मान्यता है कि ब्रज क्षेत्र में कृष्ण जी ने काफी समय बिताया था। होली के अवसर पर रासलीला नृत्य किया जाता है। जिसमें पर्यटक तथा स्थानीय लोग बड़े उत्साह से सम्मिलित होते हैं। इस समय पूरा शहर रंगों में सराबोर हो जाता है, बाहर से आने वाला भी कोई अछूता नहीं रहता।

भरतपुर में गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान में हमेशा कुछ निराला देखने को मिलता है।

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यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon सबसे निकटतम आगरा का हवाई अड्डा है, जो लगभग 56 कि.मी. दूर है।
  • Car Icon लगभग सभी शहरों से बसों द्वारा जुड़ा हुआ है भरतपुर।
  • Train Icon दिल्ली मुम्बई, ब्रॉडगेज पर है भरतपरु तथा सवाई माधोपुर, कोटा व आगरा से भी जुड़ा हुआ है।

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भरतपुर के समीप देखने योग्य स्थल

  • अलवर

    103 कि.मी.

  • जयपुर

    185 कि.मी.

  • अजमेर

    318 कि.मी.