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  • दौसा

    दौसा

    प्राकृतिक रूप से सुन्दर

दौसा

प्राकृतिक रूप से सुन्दर

संस्कृत में दौसा का नाम ‘‘ढौ-सा’’ है, जिसका अर्थ है - सुन्दर जैसे स्वर्ग। जयपुर से लगभग 55 कि.मी. दूरी पर बसा यह एक प्राचीन नगर है। राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर स्थित दौसा का नाम ’देव नगरी’ भी है। पूर्व कच्छवाहा राजपूत राजवंश का यह मुख्यालय था तथा इसका पुरातात्विक महत्व भी है। शहर की हलचल से दूर, ग्रामीण अनुभव प्रदान करता है दौसा।

दौसा में आने और तलाशने के लिए और भी आकर्षक जगह हैं

दौसा ज़िले के प्रमुख आकर्षण और दर्शनीय स्थलों का आनंद लें - राजस्थान में सदैव कुछ नया देखने को मिलता है।

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  • चाँद बावड़ी - आभानेरी

    चाँद बावड़ी - आभानेरी

    राजा चंद्र द्वारा स्थापित, जयपुर-आगरा सड़क पर आभानेरी की चाँद बावड़ी, दौसा ज़िले का मुख्य आकर्षण है। इसका असली नाम ’आभा नगरी’ था, परन्तु आम बोल चाल की भाषा में आभानेरी हो गया। पर्यटन विभाग द्वारा यहाँ प्रत्येक वर्ष सितम्बर-अक्टूबर में ‘आभानेरी महोत्सव’ आयोजित किया जाता है। यह दो दिन चलता है तथा पर्यटकों के मनोरंजन के लिए राजस्थानी खाना तथा लोक कलाकारों द्वारा विभिन्न गीत व नृत्य के कार्यक्रम होते हैं। उत्सव के दौरान गाँव की यात्रा ऊँट सफारी द्वारा कराई जाती है।

  • हर्षद माता मंदिर - आभानेरी

    हर्षद माता मंदिर - आभानेरी

    दौसा से 33 कि.मी. दूर, चाँद बावड़ी परिसर में ही स्थित, यह मंदिर हर्षद माता को समर्पित है। हर्षद माता अर्थात उल्लास की देवी। ऐसी मान्यता है कि देवी हमेशा हँसमुख प्रतीत होती है और भक्तों को खुश रहने का आशीर्वाद प्रदान करती है। देवी के मंदिर की स्थापत्य कला शानदार है।

  • झाझीरामपुरा

    झाझीरामपुरा

    पहाड़ियों और जल स्त्रोतों से भरपूर, झाझीरामपुरा प्राकृतिक तथा आध्यात्मिक रूप से समृद्ध है। दौसा से 45 कि.मी. दूर, बसवा (बांदीकुई) की ओर स्थित है। यह स्थान रूद्र (शिव), बालाजी (हनुमान जी) और अन्य देवी देवताओं के मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है।

  • भांडारेज

    भांडारेज

    आठवीं शताब्दी में निर्मित चाँद बावड़ी, भारत की सबसे गहरी बावड़ियों में से एक है तथा 19.5 मीटर चौड़ी व 13 मंज़िलों तक फैली हुई है। इसमें 1000 छोटी कलात्मक सीढ़ियाँ हैं, जो दर्शनीय हैं। महाभारत काल में यह स्थान ’भद्रावती’ के नाम से जाना जाता था। जब कच्छवाहा मुखिया दूल्हा राय ने बड़गुर्जर राजा को हराया और भांडारेज को जीत लिया, यह 11वीं शताब्दी की एतिहासिक घटना है। तभी से इसका इतिहास माना जाता है। इसकी प्राचीन सभ्यता यहाँ की मूर्तियाँ, सजावटी जालियाँ, टैराकोटा का सामान, बर्तन आदि को देखकर, इसकी समृद्ध संस्कृति का पता चलता है। जयपुर से लगभग 65 कि.मी. दूर, जयपुर आगरा राजमार्ग पर, दौसा से 10 कि.मी. दूरी पर भांडारेज स्थित है। यहाँ के क़ालीन दूर दूर तक प्रसिद्ध हैं।

  • लोट्वाड़ा

    लोट्वाड़ा

    जयपुर से लगभग 110 कि.मी. दूर यह एक गढ़ है जो कि 17वीं शताब्दी में ठाकुर गंगासिंह द्वारा बनाया गया था। लोट्वाड़ा ग्रामीण पर्यटन का आकर्षण है, जहां की ग्रामीण संस्कृति और लहलहाती फसलें बड़ी सुहानी लगती हैं। वहां तक पहुंचने के लिए आभानेरी से बस द्वारा यात्रा कर सकते हैं।

  • बांदीकुई

    बांदीकुई

    दौसा से लगभग 35 कि.मी. की दूरी पर है। प्रोटेस्टेंट ईसाइयों के लिए रोमन शैली का चर्च मुख्य यहां का आकर्षण है। बांदीकुई रेल्वे के बड़े भाग के लिए भी जाना जाता है जहां कि ब्रिटिश समय के निर्माण एवम् रेल्वे कर्मचारियों के बड़े बड़े घर हैं।

दौसा का प्रतिनिधित्व करते त्यौहारों और परम्पराओं का हिस्सा बनें। राजस्थान में हर दिन एक उत्सव है।

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  • आभानेरी उत्सव

    आभानेरी उत्सव

    आभानेरी उत्सव का नाम, दौसा ज़िले के एक गाँव ’आभानेरी’ के नाम पर रखा गया है, जो कि आगरा रोड पर, जयपुर से लगभग 90 कि.मी. की दूरी पर है। इस दो दिवसीय उत्सव ने पूरी दुनिया के पर्यटकों में अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त की है। इस बार यह उत्सव 11 से 12 अक्टूबर तक होने जा रहा है, जिसमें विभिन्न राजस्थानी और स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा कच्छी घोड़ी, कालबेलिया, घूमर और भवई आदि प्रदर्शन किए जाएंगे। सन् 2008 में, इस उत्सव की शुरूआत राजस्थान के पर्यटन विभाग द्वारा की गई थी तथा यह राजस्थान के लिए यह बहुत अधिक सार्थक और महत्वपूर्ण है। आभानेरी के गाँव का असली नाम ‘‘आभा नगरी’’ था, जिसका अर्थ होता है ‘‘आभा/चमक का शहर’’। यह स्थान, यहाँ पर स्थित एक हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी बावड़ी ‘‘चाँद बावड़ी’’ के कारण बहुत प्रसिद्ध है। यह बावड़ी राजस्थान की अन्य बावड़ियों में सब से अधिक विशाल है। आइए, आभानेरी में होने वाले इस संगीतमय उत्सव का हिस्सा बनिए, इसमें भाग लीजिए और राजस्थान के पारम्परिक संगीत के देहाती आकर्षण में डूब जाइए।

दौसा में गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान में करने के लिए सदैव कुछ निराला है।

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यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon जयपुर हवाई अड्डा, लगभग 62 कि.मी. की दूरी पर है।
  • Car Icon जयपुर तथा आगरा के लिए लेन निर्धारित हैं जिन पर बसें, टैक्सी आदि उपलब्ध हैं।
  • Train Icon दौसा रेल मार्ग से भली भांति जुड़ा हुआ है।

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दौसा के समीप देखने योग्य स्थल

  • भरतपुर

    126 कि.मी.

  • अलवर

    100 कि.मी.

  • जयपुर

    55 कि.मी.