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  • फलौदी

    फलौदी

फलौदी

पारम्परिक और आधुनिक वैभव का अभूतपूर्व संगम

राजस्थान राज्य के नवीनतम जिलों मे से एक फलौदी जिले का गठन राज्य सरकार की 6 अगस्त 2023 को जारी अधिसूचना द्वारा किया गया है। राज्य का सबसे शुष्क जिला फलौदी नमक एवं सौर उर्जा के उत्पादन में अग्रणी स्थान रखता है। प्राचीनकाल में फलौदी को विजयनगर, विजयपाटन एवं फलवृद्धिका के नामों से जाना जाता था। अपने गौरवशाली इतिहास, प्रमुख धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों, प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास स्थलों, हस्तशिल्प उत्पादों के कारण फलौदी जिला पर्यटन के मानचित्र में प्रमुख स्थान रखता है।

फलौदी में आने और तलाशने के लिए आकर्षण और जगहें

आइए, फलौदी के आकर्षक स्थलों की सैर करें। राजस्थान में बहुत कुछ नया-निराला है, देखने के लिए।

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  • फलौदी दुर्ग

    फलौदी दुर्ग

    फलौदी शहर के मध्य स्थित ऐतिहासिक फलौदी दुर्ग वर्तमान में राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा सुरक्षित स्मारकों की सूची में है। चारों तरफ से ऊंचे एवं मजबूत परकोटे युक्त दुर्ग में अनेक बुर्ज बने हुए हैं। दुर्ग मे तीन मंजिला गवाक्ष युक्त महल तथा विशालकाय रैंप निर्मित है। दुर्ग का निर्माण विक्रम संवत 1525 (1468 ई॰) में राठौड वंशीय महाराजा नरसिंह के पुत्र राव हम्मीर द्वारा करवाया गया था। तत्कालीन समय में सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। दुर्ग से विभिन्न शिलालेख प्राप्त हुए हैं जो इसके इतिहास पर प्रकाश डालते हैं। दुर्ग में प्रवेश निःशुल्क है तथा प्रातः 09:30 से सायं 06:30 बजे तक प्रवेश की अनुमति है।

  • कल्याण राय जी का मंदिर, फलौदी

    कल्याण राय जी का मंदिर, फलौदी

    फलौदी दुर्ग के सम्मुख प्राचीन कल्याण राय जी का मंदिर स्थित है। मंदिर में प्राप्त 1188 ईसवीं, 1639 ईसवीं एवं 1717 ईसवीं के शिलालेखों से तत्समय मंदिर प्रागंण में किये गये विभिन्न ऐतिहासिक स्थापत्य एवं धामिक कार्यों का उल्लेख मिलता है। यह मन्दिर प्राचीन नागर शैली में बना हुआ है, इसलिए इसकी बनावट दक्षिण भारत के मंदिरों से मिलती जुलती है।

  • श्री लटियाल माता का मंदिर, फलौदी

    श्री लटियाल माता का मंदिर, फलौदी

    श्री लटियाल माता का प्राचीन मंदिर फलौदी शहर के मध्य स्थित है। मंदिर परिसर में दो मंदिर बने हुए हैं जिसमें एक छोटा मंदिर जिसे स्थानीय निवासी जूना मंदिर कहते है तथा दूसरा अपेक्षाकृत थोड़ी ऊँचाई पर स्थित मुख्य मंदिर है, जिसमें देवी महिषासुर मर्दिनी का मूल विग्रह लटियाल माता के रूप में स्थापित है। मंदिर में स्थित शमी वृक्ष (खेजड़ी) तथा अनेक वर्षो से अनवरत रूप से जल रही जोत विशेष रूप से दर्शनीय है। प्रतिवर्ष नवरात्रि में मंदिर में मेले का आयोजन होता हैं जिसमें हजारों श्रद्धालुगण देश-विदेश से आते है। मंदिर दर्शन का समय प्रातः 05%00 से दोपहर 12%00 बजे तक एवं सायं 05%30 से रात्रि 09%00 बजे तक है।

  • श्री गौड़ी पार्श्वनाथ जैन मंदिर

    श्री गौड़ी पार्श्वनाथ जैन मंदिर

    फलौदी शहर के मध्य में श्री गौड़ी पार्श्वनाथ जैन मंदिर स्थित है। मंदिर में प्रवेश हेतु त्रिपोलिया दरवाजा बना हुआ है। मंदिर के दूसरे तल में श्वेत पाषाण की मूलनायक श्री पार्श्वनाथ जी की मूर्ति स्थापित है। मंदिर की छत और दीवारों में रंग बिरंगे कांच और स्वर्ण परत की कलात्मक पञ्चीकारी की गई है। मंदिर के अनुठे स्थापत्य के कारण पूरा मंदिर सूर्य की किरणों से प्रकाशमान रहता है। मंदिर के विभिन्न तलों में विभिन्न जैन तीर्थंकरों की मूर्तियां स्थापित है। मंदिर दर्शन का समय प्रातः 05:30 से 11:30 बजे तक तथा सायं 05:30 से 08:30 बजे तक है।

  • फलौदी की हवेलियां

    फलौदी की हवेलियां

    फलौदी शहर की लाल पत्थर से निर्मित हवेलियां अपनी भव्यता और नक्काशी के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। सेठ सांगिदास थानवी, लालचंद ढड्ढा, फूलचंद गुलेच्छा और मोतीलाल अमरचंद की हवेलियां प्रमुख रूप से दर्शनीय है।

  • फलौदी  नगर के जलाशय

    फलौदी नगर के जलाशय

    फलौदी शहर के प्रमुख जलाशयों मे रानीसर तालाब और शिवसर तालाब है। वर्षा जल पर निर्भर इन रियासत कालीन तालाबो पर निर्मित घाट और मंदिर दर्शनीय है। अनेक सामाजिक एवं धार्मिक समारोहो का आयोजन इन तालाबों पर होता है।

  • देचू

    देचू

    फलौदी शहर से 40 किलोमीटर दूर स्थित देचू तहसील अपने रेतीले धोरों के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक इन रेतीले धोरों पर कैमल व जीप सफारी कर सकते हैं। देचू में बाण माता का मंदिर भी दर्शनीय है।

  • खींचन

    खींचन

    फलौदी शहर से 4 किलोमीटर दूर स्थित खींचन गांव साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षी कुरजां (डोमिसाइल क्रेन) के शीतकालीन विश्रामस्थली के रूप में पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। खींचन में प्रतिवर्ष सितंबर से मार्च के मध्य अनुमानित बीस से पच्चीस हजार डोमिसाइल क्रेन शीतकालीन प्रवास पर आते हैं। खींचन में पक्षियों को देखने हेतु खींचन तालाब एवं पक्षी चुग्गाघर के अलावा लाल पत्थर से बनी हुई पचास से अधिक नक्काशीदार हवेलियां आदि दर्शनीय है। खींचन में कुरजां पक्षियों के अलावा अनेक प्रवासी एवं देशी पक्षियों की प्रजातियां देखी जा सकती हैं।

  • पाबूजी का मंदिर, कोलू गाँव

    पाबूजी का मंदिर, कोलू गाँव

    फलौदी शहर से देचू गांव जाने वाले मार्ग पर 27 किलोमीटर दूर स्थित कोलू गांव मे राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता पाबूजी का मंदिर है। मंदिर परिसर मे लाल पत्थर से निर्मित एक पुराना मंदिर है जिसे जूना मंदिर कहते है तथा समीप स्थित श्वेत मंदिर है जो नया मंदिर के नाम से जाना जाता है । मंदिर के समीप राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा लोक देवता पाबूजी की पैनोरमा का निर्माण करवाया गया है। यहाँ पर प्रत्येक चैत्र अमावस्या पर कोलू पाबूजी में विशाल मेला भरता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

  • हड़बूजी का मंदिर, बैंगटी गाँव

    हड़बूजी का मंदिर, बैंगटी गाँव

    फलौदी शहर से 19 किलोमीटर दूरी पर स्थित बैंगटी गाँव में राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हड़बूजी महाराज का मंदिर है। राजस्थान तथा समीपवर्ती राज्यों के ग्रामीण अंचल मे हड़बूजी को लोक देवता के रूप में, दयालू संत, गौरक्षक, प्रकर्ति प्रेमी आदि के रूप मे पूजा जाता है। बड़ी बैंगटी गाँव मे स्थित लोक देवता हड़बूजी महाराज के मंदिर की विशेषता यह है की यहाँ हड़बूजी महाराज की बैलगाड़ी की पूजा की जाती है। प्रतिवर्ष भाद्रपद कृष्ण षष्ठी को बैंगटी में विशाल मेला भरता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

  • लोकदेवता मेहुजी मांगलिया का मंदिर, बापिनी

    लोकदेवता मेहुजी मांगलिया का मंदिर, बापिनी

    फलौदी शहर से 80 किलोमीटर दूर बापिनी ग्राम में लोक देवता मेहुजी मांगलिया का मंदिर स्थित है। राजस्थान के ग्रामीण अंचल में लोक देवता मेहुजी मांगलिया को लोक देवता और गौरक्षक के रूप में पूजा जाता है। भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन बापिनी गांव में लोकदेवता मेहुजी मांगलिया का मेला भरता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

  • जाम्भोलाव धाम, गाँव जाम्बा

    जाम्भोलाव धाम, गाँव जाम्बा

    विश्नोई संप्रदाय के संस्थापक गुरु श्री जंभेश्वर का मुख्य तीर्थ स्थल जाम्भोलाव धाम] फलौदी जिले के बाप तहसील के जांबा गांव में स्थित है। जांबा गांव में श्री जंभेश्वर का मंदिर तथा जंभ सरोवर प्रमुख रूप से दर्शनीय है। प्रतिवर्ष चैत्र अमावस्या पर यहां मेला भरता है जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

  • श्री करणी माता धाम, सुवाप

    श्री करणी माता धाम, सुवाप

    फलौदी शहर से 58 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में आउ गांव के समीप सुवाप गांव में श्री करणी धाम का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। श्री करणी माता धाम के अलावा सुवाप में आवड माता का मंदिर] श्री करणी माता के जन्म स्थान पर निर्मित स्मारक दर्शनीय है। प्रति वर्ष नवरात्रि मे सुवाप में मेला लगता है जिसमें भव्य शोभायात्रा भी निकाली जाती है जिसमें हजारोa श्रद्धालुगण भाग लेते हैa।

  • नाथ का मगरा

    नाथ का मगरा

    फलौदी जिले से 10 किलोमीटर दूर मलार गांव के समीप स्थित नाथ का मगरा मारवाड़ के इतिहास में प्रमुख स्थान रखता है। ख्यातो के अनुसार मारवाड़ के शासक जसवंत सिंह जी प्रथम की मृत्यु 1678 इसवीं मे होने के उपरांत मुगल शासक औरंगजेब ने मारवाड़ पर कब्जा कर लिया था। शिशु युवराज महाराज अजीत सिंह जी के प्राणों की रक्षार्थ स्वामी भक्त सरदार वीर दुर्गादास राठौड नाथ के मगरा में साधु के भेष में छह वर्षो तक गुप्त रूप से रहे थे। जिस स्थान पर महाराजा अजीत सिंह जी को छुपा कर रखा गया था उसके खंडहर आज भी देखे जा सकते हैं।

  • शैतान सिंह नगर

    शैतान सिंह नगर

    1962 के भारत और चीन युद्ध के दौरान कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन की चार्ली सी कंपनी का नेतृत्व करते हुवे लद्दाख की रेजांग ला पोस्ट पर 18 नवम्बर 1962 को चीनी सैनिको के आक्रमण के दौरान मेजर शैतान सिंह अभूतपूर्व शौर्य का प्रदर्शन करते हुवे शहीद हुए। भारत सरकार द्वारा 1963 मे मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।मेजर शैतान सिंह के सम्मान में जहां वो शहीद हुए थे वहां कुमाऊं रेजीमेंट द्वारा एक स्मारक का निर्माण करवाया गया तथा उनके पैतृक गांव बाणासर का नाम बदलकर शैतान सिंह नगर कर दिया गया था।-

  • हिरण उद्यान श्री गुरु जंभेश्वर, गाँव साथरी

    हिरण उद्यान श्री गुरु जंभेश्वर, गाँव साथरी

    फलौदी शहर से 30 किलोमीटर दूर लोहावट उपखंड के साथरी गांव में हिरण उद्यान स्थित है। विशालकाय क्षेत्रफल में फैले हुए तथा चारदिवारी युक्त उद्यान में वर्तमान में 250 से अधिक हिरण है। पर्यटकों हेतु उद्यान प्रातः 9%00 बजे से सायं 6%00 बजे तक खुला रहता है।

फलोदी के उत्सव और परम्पराओं के आंनद में सम्मिलित हों। राजस्थान में हर दिन एक उत्सव है।

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जोधपुर में गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान में करने के लिए सदैव कुछ निराला है।

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यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon फलौदी दिल्ली और मुम्बई से जुड़ा है और हवाई अड्डा शहर के केन्द्र से लगभग 135 किलोमीटर की दूरी पर है।
  • Car Icon सड़क से सभी प्रमुख शहरों और कस्बों से जोधपुर अच्छी प्रकार जुड़ा हुआ है।
  • Train Icon फलौदी भारत के सभी महानगरों और प्रमुख शहरों से सीधे रेलगाड़ियों से भली प्रकार जुड़ा हुआ है।

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फलौदी के समीप देखने योग्य स्थल

  • पुष्कर

    86 कि.मी.

  • जैसलमेर

    286 कि.मी

  • उदयपुर

    257 कि.मी.