Welcome to Rajasthan Tourism

  • शेखावाटी

    शेखावाटी

    शानदार हवेलियों का क्षेत्र

शेखावाटी

शानदार हवेलियों की नगरी

राव शेखा का घर-शेखावाटी। इस अंचल में चुरू, सीकर और झुझंनू सम्मिलित हैं। परीलोक जैसी हवेलियाँ, इस क्षेत्र को पर्यटकों के लिए स्वर्ग बनाती हैं। इस हवेलियों के वास्तुशिल्प और इनकी दीवारों पर की गई रंग बिरंगी, अद्भुत चित्रकारी देखकर, हर कोई ठगा सा रह जाता है। लगता है हम किसी कल्पना लोक में आ गए हैं। बहुरंगी राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा देने में, यहाँ की अद्भुत हवेलियों का विशेष सहयोग है। राजस्थान के उत्तरी भाग में स्थित शेखावाटी अपने शिल्प और स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। यहाँ की हवेलियाँ और भव्य आशियाने, अट्ठारहवीं और बीसवीं शताब्दी के मध्य बनाए गए थे। शेखावाटी में बड़े-बड़े सेठों - बिड़ला, डालमियां, चमड़िया, पोद्दार, कानोड़िया, गोयनका, बजाज, झुनझुनवाला, रूइया, खेमका, सर्राफ, सिंघानिया की हवेलियाँ अधिकतर खाली पड़ी हैं। यहाँ सिर्फ चौकीदार रहते हैं, क्योंकि सेठों के परिवार अधिकतर बड़े शहरों या विदेशों में हैं। इन सेठों ने विदेशों के खूब दौरे किए और जब भारत के गाँवों में बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी से आगे लोगों ने कुछ नहीं देखा था, उस समय इन सेठों ने अपनी हवेलियों में विदेशों में देखी कारों, हवाई जहाजों के चित्र बनवाए। आज जब विदेशी यहाँ आकर यह हवेलियाँ देखते हैं तो चित्रकारी को देखकर अचम्भित रह जाते हैं। पौराणिक कथाओं, भगवान राम और कृष्ण की वीरता की कथाएं और रंग बिरंगे फूल, पत्ते, बेल-बूंटे, चिड़ियाँ, मोर, शेर, सांप, हिरण, हाथी-सभी तरह के पशु- पक्षियों के चित्रों से सुसज्जित हवेलियाँ उस समय की कला यात्रा को जीवंत करती हैं। यहाँ हवेलियों के अलावा मंदिर व बावड़ियाँ भी कलात्मक रूप से सजाई गई हैं।

शेखावाटी में आने और तलाशने के लिए आकर्षण और जगहें

आइए, शेखावाटी के अद्भुत सौन्दर्य का अवलोकन करें - राजस्थान में देखने के लिए बहुत कुछ निराला है।

Pointer Icon
  • सेठानी का जोहड़ा

    सेठानी का जोहड़ा

    जोहड़ा मतलब जलाशय, तालाब। राजस्थान में रगिस्तान होने के कारण शुरू से पानी की कमी रही है। इसलिए यहाँ कच्चे और पक्के जलाशय बनाए जाते थे जिनमें वर्षा का पानी एकत्र करके रखा जाता था। चूरू से 5 कि.मी. पश्चिम में रतनगढ़ की ओर जाने वाली सड़क पर ’सेठानी का जोहड़ा’ है। सन् 1899 में भगवानदास बागला की विधवा ने इसे बनवाया था तथा इसमें एक मानसून से अगले मानसून तक पानी उपलब्ध रहता है। यहाँ के सेठों ने भी इसे बनवाने में योगदान दिया था।

  • कन्हैयालाल बागला की हवेली

    कन्हैयालाल बागला की हवेली

    मुख्य बाजार में यह हवेली 1880 में निर्मित की गई थी। इसमें बेजोड़ जालीदार काम है तथा अनूठी स्थापत्य कला है। हवेली के भित्ति चित्रों में प्रेम आधारित लोक आख्यानों का चित्रण किया गया है जैसे ढ़ोला-मारू की जीवन श्रृंखला, ऊँट पर बैठे प्रेमी - प्रमिका आदि।

  • अष्टखम्भा छतरी

    अष्टखम्भा छतरी

    सब्जी बाजार में सन् 1776 में बनी अष्ट खम्भा छतरी एक ऐतिहासिक महत्व वाला अष्ट खम्भा गुम्बद है। इसका बाहरी स्वरूप काफी नष्ट हो गया है। परन्तु इसके अन्दर की नक्काशी और भित्ति चित्र आज भी सलामत है।

  • रतनगढ़ किला

    रतनगढ़ किला

    आगरा - बीकानेर राजमार्ग पर बना रतनगढ़ किला, सूरत सिंह द्वारा बनवाया गया था तथा उनके पुत्र रतन सिंह के नाम पर इसका नाम रखा गया था। यह किला कई गाँवों से घिरा है तथा इसके मजबूत प्रवेश द्वार, अन्य स्मारक जो खण्डहर हो गए हैं और घंटाघर दर्शनीय हैं।

  • लक्ष्मी नारायण मंदिर

    लक्ष्मी नारायण मंदिर

    बाहर से साधारण दिखने वाला मंदिर भीतर से भव्य है। इसका प्रवेश द्वार, कटावदार मेहराब व भित्ति चित्रों से सुसज्जित है। यहाँ का शांत वातावरण मन को शांति प्रदान करता है।

  • दिगंबर जैन मंदिर

    दिगंबर जैन मंदिर

    इस मंदिर की आंतरिक सजावट एक शाही दरबार जैसी है। दीवारों पर कांच के अलंकरण, राजपूत युग की भव्यता दर्शाते हैं। 150 वर्ष पुराने इस जैन मंदिर में कुछ उत्कृष्ट चित्र स्वर्ण रंगों में चित्रित किए गए हैं जो कि नैतिक जीवन की शिक्षाओं पर आधारित हैं।

  • ताल छापर अभ्यारण्य

    ताल छापर अभ्यारण्य

    उछलते- कूदते, अठखेलियाँ करते, छोटे छोटे मृग शावक यानि हिरण के बच्चे आपका मन मोह लेंगे। ब्लैक मनी यानि काले हिरण की यह सैंक्चुअरी छापर गाँव में है, जो कि जयपुर से 210 कि.मी. दूर चूरू के सुजानगढ़ तहसील में है। काले हिरण का यह अभ्यारण्य, खुले मैदान, बड़े पेड़ों तथा लताओं से आच्छादित है। यहाँ हिरणों के साथ, रेगिस्तानी लोमड़ी, जंगली बिल्ली को भी देखा जा सकता है। पक्षी प्रेमियों के लिए भी यहाँ पर चील, आइबीज, दक्षिण यूरोप और मध्य एशिया में पाए जाने वाले सारस, क्रेन, चकवा, लका, कबूतर आदि देखने को मिलते हैं। यह अभ्यारण्य फॉरेस्ट डिपार्टमेन्ट के अधीन है तथा यहाँ बाकायदा उनका ऑफिस बना हुआ है, जहाँ से एन्ट्री की जाती है।

  • लक्ष्मणगढ़ किला

    लक्ष्मणगढ़ किला

    लक्ष्मणगढ़ नगर में यह किला गौरवशाली स्थापत्य का नमूना है। पूरे विश्व में यह स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है जो कि यहाँ बिखरी चट्टानों के टुकड़ों को संजो कर बनाया गया था। इसके शिखर पर चढ़कर नीचे बसे लक्ष्मणगढ़ का विहंगम दृश्य दिखाई देता है।

  • मनसा देवी मंदिर

    मनसा देवी मंदिर

    जिला झुंझुनू के उदयपुरवाटी से लगभग 25 किलोमीटर दूर खोह- गुड़ा ग्राम के पहाड़ो में मनसा माता पीठ स्थित है | मनसा माता मंदिर जीवन के तामझाम व कोलाहल से दूर प्रकृति की गोद में खोह ग्राम से लगभग 5 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में गगन चुंबी पर्वत श्रंखलाओं में विराजमान है | नवरात्रों में माता के मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं।

  • रघुनाथ जी मंदिर

    रघुनाथ जी मंदिर

    बड़ा मंदिर नाम से पहचान बनाने वाला यह मंदिर रतनगढ़ के पास है। 19वीं शताब्दी में बना मंदिर, भगवान विष्णु के अवतार, भगवान रघुनाथ या राम को समर्पित है। इसका प्रवेश द्वार काफी ऊँचा है तथा शीर्ष पर कपोलों की एक श्रृंखला है। जीवन के दुख दर्द दूर करने और शांति प्रदान करने के लिए इस मंदिर की बहुत मान्यता है।

  • फ़तेहपुर

    फ़तेहपुर

    फतेहपुर शहर क़ायमखानी नवाब फतेह मोहम्मद ने 1508 ईस्वी में स्थापित किया था। उन्होंने 1516 में फतेहपुर के किले का निर्माण करवाया। यह शहर एक समय सीकर की राजधानी के रूप में भी जाना गया था। आज फतेहपुर, शेखावाटी की लोकप्रिय सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता हैं। यहाँ के दर्शनीय स्थलों में दो-जांटी बालाजी मंदिर, लक्ष्मीनारायण जी मंदिर, सिंघानिया हवेली , नादिन ली प्रिंस हवेली, गड़वा जोहड़ा और फतेहचंद की हवेली प्रमुख हैं।

  • रामगढ़

    रामगढ़

    सन् 1791 ई. में पोद्दार परिवार द्वारा स्थापित रामगढ़ भारत के सबसे वैभवशाली नगरों में गिना जाता है। रामगढ़ पुराने मंदिरों, छतरियाँ तथा हवेलियों में बने चित्रों के लिए प्रसिद्ध है। रामगोपाल की छतरी और पोद्दार हवेली, वैद्यनाथ रूईया हवेली, वेदारण्य हवेली पर्यटकों में लोकप्रिय है।

  • खेतड़ी महल

    खेतड़ी महल

    ’झुझंनू खेतड़ी महल’ कला और वास्तु संरचना के सर्वोत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है। इसे झुझंनू के हवा महल के रूप में भी जाना जाता है। सन 1770 में इस महल का निर्माण हुआ था आश्चर्यजनक तथ्य है कि खेतड़ी महल में कोई झरोखे या द्वार नहीं है फिर भी इसे हवा महल के नाम से जाना जाता है। खेतड़ी महल का अनोखापन, हवा के अबाध प्रवाह हेतु व्यवस्थित रूप से बनाये गये भवनों के निर्माण के कारण है। महल के लगभग सभी कक्षों में सुव्यवस्थित स्तम्भ और मेहराब एक दूसरे से जुडे़ हुए हैं जो कि किले को शानदार समृद्ध रूप प्रदान करते हैं।

  • सनसेट पॉइंट मोडा पहाड़

    सनसेट पॉइंट मोडा पहाड़

    सूर्यास्त देखने के लिए झुंझुनू शहर का मोडा पहाड़ एक लोकप्रिय स्थान है। अजीत सागर झील के किनारे पर स्थित यह स्थान कई प्रवासी पक्षियों का घर है।

  • रानी सती मंदिर

    रानी सती मंदिर

    रानी सती मंदिर राजस्थान में झुझंनू जिले में स्थित विख्यात मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास 400 से अधिक वर्षों का है। स्त्री शक्ति का प्रतीक यह मंदिर अपनी गरिमा और असाधारण चित्रों के लिए जाना जाता है। यह पुराने भारतीय तीर्थ के रूप में भी माना जाता है।

  • हजरत कमरूद्दीन शाह की दरगाह

    हजरत कमरूद्दीन शाह की दरगाह

    नेहरा पहाड़ की तलहटी में खेतड़ी महल के पश्चिम में स्थित कमरूद्दीन शाह की दरगाह एक खुला व्यवस्थित परिसर है। जिसमें मस्जिद और मदरसा है, (यहाँ प्राचीन भित्ति चित्र अभी भी देखे जा सकते हैं), इसके मध्य में सूफी संत कमरूद्दीन शाह की अलंकृत दरगाह है।

  • श्री पंचदेव मन्दिर

    श्री पंचदेव मन्दिर

    शेखावाटी में झुंझुनू में स्तिथ प्रसिद्ध श्री पंचदेव मंदिर स्थित है। मंदिर की स्थापत्य कला और रेखांकन, इसके सदाबहार उद्यान इसे एक मनभावन स्थल बनाता है।

  • बंदे के बालाजी मंदिर

    बंदे के बालाजी मंदिर

    बंधे का बालाजी झुंझुनू जिला मुख्यालय में स्तिथ एक आधुनिक मंदिर है जिसके आसपास शिखर और पर्वत शिखायें हैं। यह भारत के लोकप्रिय हनुमान मंदिरों में से एक है। बालाजी की प्रतिमा हनुमान की अन्य प्रतिमाओं से अलग है। अन्य हनुमान मूर्तियों के विपरीत, बालाजी को गोलाकार मुंह दिखाया जाता है, जो इसे दुनिया भर में सबसे अनोखी मूर्ति बनाता है।

  • मंडावा

    मंडावा

    प्राचीन समय में मध्यपूर्व और चीन के मध्य का प्राचीन व्यापारिक मार्ग का एक मुख्य केन्द्र था मंडावा। यहाँ से सामान का आदान प्रदान किया जाता था। मंडावा में एक किला बनवाया तथा किले के चारों तरफ नगर बसाया। यहाँ अनेक बड़े व्यापारी आकर बस गए, जिन्होंने अनूठी, अद्भुत, अजब-गजब हवेलियों की नींव रखी और इस नगर को पर्यटकों का आकर्षण केन्द्र बना दिया। आज यह छोटा सा शहर अपनी हवेलियों के लिए मशहूर है। यहाँ हवेलियो की हर दीवार पर अलग-अलग तरह की पेंटिंग देखने को मिल जार्त। हैं। फिल्म शूटिंग के लिए भी मंडावा काफी चर्चित स्थल बन कर उभरा है।

  • डून्डलोद

    डून्डलोद

    झुझंनू का एक उपनगर डूंडलोद, अपने किले, हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है, जिसे शासक सरदार सिंह के पुत्र केसरी सिंह ने 1750 ई. में बनवाया था। दिल्ली जयपुर तथा बीकानेर से सड़क मार्ग पर स्थित यह किला राजपूत और मुगल शैली की स्थापत्यकला का मिश्रण है। किले के पास बनी रामदत्त गोयनका की छतरी 1888 ई. में बनवाई गई थी। इसके गुम्बद केन्द्र में फूलों के अलंकरण तथा चित्र सुसज्जित हैं। डूंडलोद में पाए जाने वाले मारवाड़ी घोड़ों की नस्ल पूरी दुनियां में प्रसिद्ध हैं।

  • अलसीसर

    अलसीसर

    मरूस्थल से घिरा, झुझंनू में एक गांव है ‘अलसीसर‘। अलसीसर ठाकुर समर्थ सिंह को सम्मानपूर्वक अपने पिता ठाकुर पहाड़ सिंह से मिला, जिन्होंने 1783 ईस्वी में इसे अपनी राजधानी बनाया था। प्रसिद्ध अलसीसर महल राजपूत स्थापत्यकला का एक अच्छा उदाहरण है। इसकी दीवारों पर शेखावत ठिकानेदार द्वारा ऐतिहासिक घटनाओं के सुंदर भित्ति चित्र उत्कीर्ण करवाये गये थे। अपने राजस्थानी आतिथ्य के लिए विख्यात अलसीसर और यहाँ के प्रसिद्ध महल, हवेली पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। यहाँ आप केजरीवाल हवेली, लक्ष्मीनारायण मंदिर, ठाकुर चाटू सिंह की छतरी, रामजस झुनझुनवाला की हवेली और अन्य स्थलों को देखना न भूलें।

  • बिसाऊ

    बिसाऊ

    बिसाऊ गांव ठाकुर केसरी सिंह को उनके पिता महाराव शार्दुल सिंह जी द्वारा दिया गया था। केसरी सिंह ने एक किला और रक्षात्मक दीवार का निर्माण कराकर इसकी सीमा को मजबूत किया। 1746 ईस्वी में उन्होंने इसका नाम बिसाऊ रखा। यह छोटा सा शहर अपनी हवेलियों के लिए मशहूर है। यहां की हवेलियों की हर दीवार को अलग-अलग तरह की पेंटिंग से सजाया गया है

  • नवलगढ़

    नवलगढ़

    अगर आप एक कला प्रेमी हैं तो आपको नवलगढ़ की यात्रा जरुर करनी चाहिए। झुंझनू और सीकर के बीच स्थित, नवलगढ़ अपनी सुन्दर हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की हवेलियों में कुछ बेहतरीन भित्तिचित्र आप देख सकते हैं। यहां की प्रसिद्ध हवेलियों हैं- भगतों की हवेली खोरारका हवेली, ग्रैंड हवेली, कूलवाल कोठी, रूख मिचीस पैलेस, भगतों की हवेली, मोरारका हवेली, आठ हवेली आदि। यहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी की गई है, जिसमें कुछ भारतीय तथा कुछ विदेशी फिल्में भी हैं। डॉ. रामनाथ पोद्दार संग्रहालय नवलगढ़ शहर में स्थित एक आकर्षक संग्रहालय है।

  • जीणमाता मंदिर

    जीणमाता मंदिर

    जीणमाता मंदिर रेवासा गांव से 10 किमी दूर पहाड़ी के पास स्थित है। जीण माताजी का मंदिर जयपुर से लगभग 108 किमी और सीकर से 30 किमी दूर है। यह घने जंगलों से घिरा हुआ है। इस मंदिर का निर्माण करीब 1000 साल पहले हुआ था। प्राचीन समय से ही यह मंदिर एक प्रमुख तीर्थस्थल रहा है, जिसकी मरम्मत और पुनर्निर्माण कई बार किया गया । जीण माता विभिन्न जातियों की कुलदेवी है।

  • खाटू श्याम मंदिर

    खाटू श्याम मंदिर

    खाटू श्यामजी मंदिर सीकर जिले से 55 किमी दूर है। राजस्थान के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में से खाटू गांव में स्थित खाटू श्यामजी मंदिर, अपने भक्तों को आकर्षित करता है। भगवान श्री कृष्ण को ही खाटू श्याम के रूप में पूजा जाता है। फरवरी/मार्च माह में 10 दिवसीय खाटू श्यामजी मेले का आयोजन किया जाता है। खाटू श्यामजी के मेले के दौरान कई भक्त भैरूजी मंदिर (रींगस) से अपनी पदयात्रा शुरू करते हैं।

  • हर्षनाथ

    हर्षनाथ

    हर्षनाथ मंदिर सीकर शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन शिव मंदिर के भग्नावशेषों पर अरावली पर्वतमाला पर अवस्थित है। अरावली पर्वतमाला के नैसर्गिक सौदर्ययुक्त अद्भुद स्थापत्य कला का निर्माण 10 वी शताब्दी में चैहान वशं के राजा विग्रहराज के द्वारा करवाया गया था। विभिन्न हिन्दू देवी, देवताओं की उकेरी गयी मूर्तियां बहुत ही मनमोहक है। प्रतिवर्ष नवरात्रि तथा महाशिवरात्रि पर हजारों श्रृद्वांलु हर्षनाथ पर्वत पर पूजा अर्चना हेतु आते है।

  • शाकम्बरी माता

    शाकम्बरी माता

    शाकम्बरी माता मंदिर उदयपुरवाटी के पास सकराय ग्राम मे स्थित है। यहां पर सिंह पर सवार महिषासूरमर्दनी ब्रम्हाणी तथा रूद्राणी की र्मूिर्तया विराजमान है। ब्रम्हाणी माता मार्बल पत्थर से बनी है तो रूद्राणी माता काले पत्थर से निर्मित है,दोनों में एकमात्र यही अन्तर है। हिन्दु दर्शनानुसार शाकम्बरी माता शिव के ईश्वरी का अवतार है। शाकम्बरी हरियाली की देवीय माता कहलायी। नाथ पंथ के साधू इस मंदिर के पुजारी होते है। शाकम्बरी मंदिर अरावली पर्वतमाला के तलहटी में स्थित है। अनेक श्रृद्वालु यहा पर श्रृद्वा अर्पित करने आते है। नवरात्रि पर भारत के विभिन्न भागों से यहा तीर्थयात्री आते है।

  • राजकीय संग्रहालय

    राजकीय संग्रहालय

    राजकीय संग्रहालय भवन मुख्य बस स्टैण्ड से लगभग 3 कि.मी. तथा रेलवे स्टेषन से लगभग 4 कि.मी. की दूरी पर बड़ा तलाब व रानीसती मंदिर के पास सांवली रोड पर स्थित है। संग्रहालय की उत्खनन दीर्घा में गणंेष्वर उत्खनन से प्राप्त 3000 ई.पू. की पुरासामग्री प्रदर्षित है। हर्षनाथ मंदिर से प्राप्त प्रतिमाओं के षिल्पखण्ड संग्रहालय के मुख्य प्रांगण में प्रदर्षित किया गया है।

  • शेखावाटी उत्सवः

    शेखावाटी उत्सवः

    पर्यटन विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा 3 दिवसीय शेखावाटी उत्सव का आयोजन प्रतिवर्ष मार्च माह में किया जाता है। इस उत्सव का आयोजन शेखावाटी क्षेत्र मे पर्यटन को बढावा देने एवं यहा की समृद्व सांस्कृतिक विरासत के बारे में पर्यटकों को जानकारी देने के लिये किया जाता है।

  • गज केसरी हवेली

    गज केसरी हवेली

    गज केसरी हवेली चुरू जिले (राजस्थान) के रतननगर शहर में स्थित है, यह राजस्थान के महान शेखावाटी क्षेत्र का प्रवेश द्वार भी है. जहां विशाल थार रेगिस्तान शुरू होता है। नियोजित शहर को वास्तु के अनुसार ग्रिड पैटर्न में बनाया गया था दीवार में स्थित चार खंड. नगर की सुरक्षा के लिए चारों कोनों पर बुर्ज बनाये गये। यह हवेली अपनी 1500 दीवार भित्तिचित्रों और गलियारों के लिए व्यापक रूप से जानी जाती है। यह विशाल हवेली 1899 में राजपूत, शेखावाटी, फ़ारसी और यूरोपीय नव-शास्त्रीय जैसी विभिन्न स्थापत्य शैलियों के साथ अपनी पूरी भव्यता और सुंदरता के साथ बनाई गई थी। 24 कैरेट सोने की फिटिंग, ब्रोकेड, मिरर वर्क, 3 डी पेंटिंग, हाथ से पेंट किए गए भित्तिचित्र, प्लास्टर, क्रिस्टल झूमर, प्राचीन वस्तुएं और अनमोल कलाकृतियों के साथ अलंकृत है

शेखावाटी के उत्सव का हिस्सा बनें। आइए राजस्थान, जहां हर दिन एक उत्सव है।

Pointer Icon
  • शेखावाटी हस्तशिल्प एवं पर्यटन मेला, आबूसर,  जिला झुंझुनू

    शेखावाटी हस्तशिल्प एवं पर्यटन मेला, आबूसर, जिला झुंझुनू

    झुंझुनू जिला मुख्यालय से 4 किमी की दूरी पर स्थित आबू गांव के ग्रामीण हाट में प्रत्येक वर्ष जनवरी-फरवरी के महीने में दस दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। जिला प्रशासन एवं उद्योग विभाग द्वारा आयोजित इस मेले में पर्यटन विभाग द्वारा 2 सांस्कृतिक संध्याओं का आयोजन किया जाता है जिसमे विभिन्न राजस्थानी लोक कलाकारों की आकर्षक प्रस्तुतियां दी जाती है। यह शेखावाटी क्षेत्र की संस्कृति और विरासत के लिए एक आदर्श प्रदर्शन है। शेखावाटी क्षेत्र और देश के अन्य राज्यों के बुनकरों, कारीगरों और छोटी हस्तशिल्प औद्योगिक इकाइयों द्वारा 100 से अधिक स्टालों की स्थापना की जाती है, जो हस्तशिल्प की खरीदारी के सर्वोत्तम अवसर प्रदान करते हैं।

विविध गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच शेखावाटी में आपका इन्तजार कर रहे हैं। राजस्थान में करने के लिए सदैव कुछ अनूठा है।

Pointer Icon
  • विरासत की सैर - (हैरिटेज वॉक)

    विरासत की सैर - (हैरिटेज वॉक)

    पुराने शहर चूरू में बहुत ही सुंदर भित्तिचित्रित हवेली, संकरी गलियां और पुरानी विरासत संरचनाएँ है। चुरू के समृद्ध इतिहास और विरासत की एक झलक पाने के लिए यहां पर सुबह - शाम चले जाईये।

यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon निकटतम हवाई अड्डा जयपुर - 113 किलोमीटर है।
  • Car Icon दिल्ली और राजस्थान के अन्य प्रमुख शहरों से शेखावाटी की ओर सीधी बसें हैं।
  • Train Icon दिल्ली और जयपुर से नियमित रेल सेवायें उपलब्ध हैं।

मैं शेखावाटी का दौरा करना चाहता हूं

अपनी यात्रा की योजना बनाएं

शेखावाटी के समीप दर्शनीय स्थल

  • जयपुर

    203 कि.मी.

  • बीकानेर

    180 कि.मी.

  • नागौर

    194 कि.मी.