झालावाड़
ऐतिहासिक नगरी
सन् 1791 ए.डी. में कोटा स्टेट के दीवान राजपूत झाला जालिम सिंह ने घने जंगलों के बीच ‘छावनी उम्मेदपुरा’’ नाम से एक सैनिक छावनी स्थापित की थी। झालावाड़ को मराठों से बचाने के लिए इस छावनी को बनाया गया था। घने जंगलों में झाला जालिम सिंह अक्सर शिकार को आते थे और उन्हें यह जगह इतनी पसन्द थी कि उन्होंने यहाँ नगर बसाने का फैसला किया। अपनी समृद्ध प्राकृतिक संपदा से पहचाना जाने वाला ‘झालावाड़’ पहले ’बृजनगर’ कहलाता था। राजस्थान के अन्य शहरों से भिन्न झालावाड़ विपुल जल संपदा युक्त शहर है। नारंगी के फल के बग़ीचे झालावाड़ के सौन्दर्य के साक्षी बनते हैं। झालावाड़ इन फलों के उत्पादन में देश में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान रखता है। राजपूत और मुगल काल की स्थापत्य काल से संवरे, किले और महल यहाँ की अपूर्व सांस्कृतिक विरासत हैं, जिसमें विपुल मंदिर और अन्य विख्यात आस्था स्थल भी सम्मिलित हैं।