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  • माउण्ट आबू

    माउण्ट आबू

    राजस्थान का हिल स्टेशन

माउण्ट आबू

अधिकतर लोगों का पसंदीदा अवकाश गंतव्य

राजस्थान के सूखे रेगिस्तान में, माउण्ट आबू एक ताज़ा हवा की तरह है। अरावली की पहाड़ियों की सबसे अधिक ऊँचाई पर, लगभग 1,722 मीटर समुद्र तल से ऊपर माउण्ट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। महाराजाओं के शासन के समय शाही परिवारों के लिए, अवकाश बिताने का यह सर्वाधिक पसंदीदा स्थल हुआ करता था। यहाँ पर बने विशाल, आरामदेय बड़े-बड़े घर, ब्रिटिश स्टाइल के बंगले, हॉलिडे लॉज अपना अलग अनोखा अन्दाज दर्शाते हैं, वहीं दूसरी तरफ यहाँ के जंगलों में बसने वाली आदिवासी जातियों के डेरे भी देखे जा सकते हैं। प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर इस हिल स्टेशन में बहुत से हरे-भरे जंगल, झरने और झीले हैं। इस क्षेत्र में फलने-फूलने वाले अदभुत प्रजाति के पौधे, फूल और वृक्ष भी अचम्भित करते हैं। माउण्ट आबू में एक अभ्यारण्य भी है जिसमें लंगूर, सांभर, जंगली सूअर और चीते भी देखे जा सकते हैं। माउण्ड आबू कई धार्मिक स्मारकों के लिए भी प्रसिद्ध है जिसमें दिलवाड़ा के मंदिर, ब्रह्माकुमारी आश्रम, गुरूशिखर और जैन-तीर्थ मुख्य हैं। प्राकृतिक सुन्दता के गंतव्य के साथ ही माउण्ट आबू एक पवित्र तीर्थ-स्थल भी हैं।

माउण्ट आबू में खोजने और देखने योग्य आकर्षक स्थल

माउण्ट आबू आएं और अद्भुत और विविध दर्शनीय स्थलों का आनंद लें। देखें, राजस्थान में बहुत कुछ अनूठा देखने को मिलता है।

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  • नक्की लेक (नक्की झील)

    नक्की लेक (नक्की झील)

    माउण्ट आबू के मध्य में स्थित ’नक्की लेक’ भारत की पहली मानव निर्मित झील है। लगभग 80 फ़ुट गहरी और 1/4 मील चौड़ी इस झील को देखे बिना, माउण्ट आबू की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती। कई किंवदंतियों में से एक किंवदंती यह है कि इस झील को देवताओं ने अपने नाख़ूनों से खोद कर बनाया था इसी लिए इसका नाम नक्की ( नख यानी नाख़ून) झील पड़ा तथा एक किंवदंती यह है कि ऐसा माना जाता है कि नक्की झील गरासिया जनजाति के लिए बहुत पवित्र झील मानी जाती है; परन्तु इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि इस स्थान का दर्शन लाभ आपको प्रकृति और प्राकृतिक दृश्यों के नजदीक लाता है। जब आप नक्की झील में नाव की सैर करते हैं तो मंत्रमुग्ध करने वाली पहाड़ियाँ, आश्चर्यजनक, अद्भुत आकार की शिलाएं और हरी भरी वादियों से भरपूर नज़ारे आपको अभिभूत कर देते हैं। इसी नक्की झील के पास सन् 1984 में स्व० महात्मा गांधी की अस्थियों का कुछ अंश भी प्रवाहित किया गया था। जिसके बाद गांधी घाट का निर्माण किया गया। प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफर्स के लिए झील का साफ सुथरा नीला पानी, हरी भारी वादियां और चारों तरफ की प्राकृतिक छठा ,रूमानी, कल्पित तथा अद्भुत अंश ,स्वप्निल और तृप्त करने वाले हैं तथा इस आकर्षण भरे स्थल को देखने को बाध्य करते हैं।

  • गुरू शिखर

    गुरू शिखर

    अरावली की पहाड़ियों का सबसे ऊँचा शिखर गुरू-शिखर की चोटी है। आध्यात्मिक कारणों तथा के साथ ही, 1722 मीटर समुद्रतल से ऊपर गुरू शिखर से माउण्ट आबू का विहंगम दृश्य देखने के लिए, प्रकृति की छठा को निहारने के लिए गुरू शिखर की यात्रा अनुपम है। गुरू शिखर पर चढ़ने से पहले, भगवान दत्तात्रेय का मंदिर दिखाई देता है, जिसके लिए माना जाता है कि भगवान, ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने ऋषि आत्रे और उनकी पत्नी अनूसुइया को दत्तात्रेय के रूप में एक पुत्र प्रदान किया था। वैष्णव समुदाय के लिए यह एक तीर्थ स्थल है। यह दत्तात्रेय का मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। पास में ही एक अन्य मंदिर है जो कि महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या को समर्पित है। मंदिर से कुछ ही दूरी पर एक बड़ा पीतल का घंटा लटका हुआ है जिस पर 1141 ई. उत्कीर्ण है। पुराने असली घंटे के खराब हो जाने के कारण, यह नया घंटा लगाया गया है जिसकी झन्कार दूर-दूर तक सुनाई देती है। यह एक आम बात है कि यहाँ आने वाला प्रत्येक दर्शक इस घंटे तक पहुँच कर, इसे बजाना चाहता है तथा इसकी आवाज की मधुर लहरी को महसूस करना चाहता है।

  • टोड रॉक व्यू प्वाइंट

    टोड रॉक व्यू प्वाइंट

    अजीबो-गरीब चट्टानों से घिरी नक्की लेक दर्शकों के लिए बहुत से आयाम प्रस्तुत करती है। नक्की लेक का सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थल टोड रॉक व्यू प्वाइंट को माना जाता है। माउण्ट आबू के ‘शुभंकर’ के रूप में पहचान बनाने वाला टोड रॉक व्यू प्वाइंट झील के पास की पगडंडी पर स्थित है। टोड यानी मेंढक के आकार में प्राकृतिक रूप से बनी यह विशालकाय चट्टान अग्निमय चट्टानों में से एक है। पूरे हिल स्टेशन में यह स्थान, दर्शकों के लिए सर्वप्रिय है तथा बड़ी उत्सुकता से लोग इसे देखने आते हैं। इस पर चढ़ना आसान है तथा अधिकतर नवविवाहित व बच्चे इसके पास खड़े होकर फोटो ज़रूर खिंचवाते हैं। यहाँ से नक्की लेक तथा आसपास के सुरम्य वातावरण और हरियाली को निहारना अद्भुत लगता है। आपको यहाँ आने पर इस चट्टान को देखने के साथ ही लुभावने परिदृश्यों का अनुभव भी सुकून देगा।

  • दिलवाड़ा जैन मन्दिर

    दिलवाड़ा जैन मन्दिर

    पूरे विश्व में माउण्ट आबू के जैन मंदिरों की तीर्थ यात्रा महत्वपूर्ण मानी जाती है। बाहर से साधारण सा दिखने वाला यह मंदिर, भीतर पहुँचने पर आपको अद्वितीय वास्तुशिल्प और इसमें की गई पत्थरों पर शानदार नक्काशी से अचम्भित कर देगा। इसकी आंतरिक सज्जा में कलाकारों की बेहतरीन कारीगरी दिखाई पड़ती है। इस मंदिर को 12वीं-13वीं शताब्दी में बनाया गया था तथा इसकी छतों, मेहराबों और खम्भों पर की गई कारीगरी को देखकर आप ठगे से रह जाएंगे। दिलवाड़ा के मंदिरों की अपरिभाषित सुन्दरता और मंदिर के आस पास का हरियाली से भरपूर शांत वातावरण लाजवाब है। इस मंदिर को 5 भागों में बांटा गया है।

  • माउण्ट आबू अभ्यारण्य

    माउण्ट आबू अभ्यारण्य

    राजस्थान में वन्यजीव अभ्यारण्यों की कमी नहीं है और उनमें से यह एक महत्वपूर्ण अभ्यारण्य है ’माउण्ट आबू अभ्यारण्य’। अरावली की सबसे प्राचीन पर्वतमाला के पार, यह अभ्यारण्य काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है तथा बड़ी संख्या में वन्यजीवों का घर है। माउण्ट आबू में आने वाले दर्शकों के लिए इस अभ्यारण्य में विभिन्न प्रजाति के पेड़-पौधे, फूलों के वृक्ष तथा विविध पक्षियों की प्रजातियाँ भी देखी जा सकती हैं, जो कि इस स्वर्ग समान प्राकृतिक स्थल को परितंत्र अनुकूल पर्यटक स्थल बनाती हैं। माउण्ट आबू की पहाड़ियों के निचले स्तर पर जहाँ कांटेदार झाड़ियाँ, उप उष्ण कटिबंधीय जंगली पेड़ मिलते हैं, वहीं ऊपरी हिस्से में हरे-भरे जंगल भी हैं। यह लुप्तप्राय पशुओं का घर है तथा इसमें चीते, गीदड़, भालू, जंगली सुअर, लंगूर, साल (बड़ी छिपकली), खरगोश, नेवला, कांटेदार जंगली चूहा आदि भी पाए जाते हैं। लगभग 250 प्रकार के पक्षी भी इस अभ्यारण्य को पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग बनाते हैं।

  • पीस पार्क, माउण्ट आबू

    पीस पार्क, माउण्ट आबू

    अरावली पवर्तमाता की दो प्रसिद्ध चोटियों गुरू शिखर और अचलगढ़ के बीच में बसा है पीस पार्क, जो कि ब्रह्म कुमारियों के प्रतिष्ठान का ही एक भाग है। यह पार्क शांतिपूर्ण परिवेश और प्रशांत व निस्तब्ध वातावरण के साथ ही सुन्दर पृष्ठभूमि में सुकून भरा जीवन प्रदान करता है। पीस पार्क में आकर आप रॉक-गार्डन देख सकते हैं जिसमें बहुत सारी विविध प्रजाति के पेड-पौधे - कैक्टसी (नागफनी), ऑरचार्ड (फल वाटिका), सिट्रस कॉर्नर (नींबू, संतरे आदि के पेड़) तथा साथ में विभिन्न फूलों की बहार भी दिखाई देती है जैसे कोलियस, श्रब्स (झाड़ियां) हिबिस्कस, क्रीपर्स (लताएं) और पेड़ों पर चढ़ने वाली बेलें तथा एक अति सुन्दर रोज़ गार्डन (गुलाब के फूलों का बग़ीचा)। पार्क में और भी कई अन्य क्षेत्र हैं जैसे स्टोन केव (पत्थर की गुफा) तथा झोपड़ियां, जहाँ लोग शांतमय वातावरण में ध्यान लगा सकते हैं। इस पार्क का एक निर्देशित ट्यूर ब्रह्म कुमारियों द्वारा भी कराया जाता है और आप एक छोटी विडियों फिल्म भी देख सकते हैं, जिसमें योगा और ध्यान लगाने के मनोरंजक तरीके बताए गए हैं। इस एंकातमय, शांत स्थल पर प्रकृति की गोद में आपको यह अनुभव अवश्य लेना चाहिए।

  • लाल मंदिर, माउण्ट आबू

    लाल मंदिर, माउण्ट आबू

    दिलवाड़ा या देलवाड़ा रोड पर, देलवाड़ा जैन मंदिर के समीप ही यह छोटा मंदिर है जो कि भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर बहुत ही शांतिपूर्ण परिवेश प्रदान करता है और माउण्ड आबू में स्थित सभी पवित्र स्थलों में से सबसे ज्यादा पुराना माना जाता है। इस छोटे और संुदर मंदिर ‘लाल मंदिर’ के नाम के पीछे यह तथ्य है कि इसकी सभी दीवारंे लाल रंग में पेन्ट की हुई हैं। भक्तों तथा धार्मिक आस्था रखने वाले पर्यटकों के लिए, माउण्ट आबू में यह स्थल अवश्य देखने लायक़ है। यह मंदिर ‘स्वयंम्भू शिव मंदिर’ होने के कारण काफी अधिक प्रचलित है तथा इसका यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इस मंदिर में प्रतिष्ठित शिव भगवान की मूर्ति को जनेऊ धारण किए हुए देखा जा सकता हैं।

माउण्ट आबू के उत्सव और परम्पराओं के आंनद में सम्मिलित हों। राजस्थान में हर दिन एक उत्सव है।

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  • समर-फैस्टिवल-माउण्ट आबू (ग्रीष्म उत्सव)

    समर-फैस्टिवल-माउण्ट आबू (ग्रीष्म उत्सव)

    राजस्थान की धरती जब तेज गर्मी से तपती है तो माउण्ट आबू का हिल स्टेशन ही राहत दे सकता है, उसी समय यहाँ दो दिवसीय ग्रीष्म उत्सव मनाया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन से शुरू होकर यह उत्सव तीन दिन तक राजस्थानी संस्कृति को प्रदर्शित करता है। अभिभूत करने वाले गाथा-गीत से प्रारम्भ होकर, मंत्रमुग्ध करने वाले गैर, घूमर, डफ आदि लोकनृत्य भी प्रदर्शित किए जाते हैं। शामे-क़व्वाली का गायन सर्वाधिक पसन्द किया जाता है जिसमें भारत के विभिन्न भागों के लोक कलाकार भाग लेते हैं। लोक संस्कृति के प्रदर्शन के साथ ही यहाँ घुड़दौड़, रस्साकशी, सी.आर.पी.एफ. द्वारा बैण्ड वादन, तथा नक्की लेक में नावों की दौड़ का भी आनन्द लिया जा सकता है। चकाचौंध कर देने वाली आतिशबाजी, माउण्ट आबू के परिदृश्य और झीलों व पहाड़ियों का सौन्दर्य इस समारोह को यादगार बना देता है। इस सबके साथ यह ग्रीष्मोत्सव अपने चरम पर पहुंचकर समाप्त होता है।

  •  विन्टर-फैस्टिवल (शरद उत्सव) माउण्ट आबू

    विन्टर-फैस्टिवल (शरद उत्सव) माउण्ट आबू

    शरद उत्सव राजस्थान की सम्पन्न व बहुमूल्य संस्कृति का नज़ारा प्रस्तुत करता है तथा दिसम्बर माह में माउण्ट आबू में मनाया जाता है। एक प्राकृतिक परिदृश्य में दर्शाये जाने वाले इस उत्सव में, संस्कृति की हलचल, चटकीले रंगों की हस्तकलाएं और राजस्थानी व्यंजन आपको आकर्षित करते हैं। राज्य के सभी कोनों से आने वाले हस्तकला के कारीगर और प्रदर्शक इस तीन दिवसीय मनोरम उत्सव में अपनी कलाओं का प्रदर्शन करते हैं। यहाँ आयोजित किए जाने वाले खेलों में पतंग उड़ाना, पानी पर नावों की दौड़ देखना और कविता पाठ का कार्यक्रम महत्वपूर्ण होते हैं। राजस्थान का यही एक ऐसा उत्सव है जहाँ पर खेलों की शुरूआत क्रिकेट के खेल से की जाती है। उत्सव की शुरूआत एक बड़े जुलूस (यात्रा) के साथ होती है तथा कार्यक्रम के अन्त में नक्की लेक पर ‘दीपदान’ किया जाता है, जिसमें सैंकड़ों दीए प्रज्वलित कर आदर के साथ पानी में बहाए जाते हैं। सतरंगी आतिशबाजी के साथ इस भव्य प्रदर्शन का समापन होता है। यहाँ से उदयपुर एयरपोर्ट केवल 175 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।

माउण्ट आबू में गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान में करने के लिए सदैव कुछ निराला है।

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यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon नज़दीकी एयरपोर्ट उदयपुर एयरपोर्ट है जो कि 175 कि.मी. दूर है, परन्तु अहमदाबाद से देश के सभी बड़े शहरों के लिए नियमित उड़ानें आसानी से मिलती हैं, जो कि माउण्ट आबू से 221 कि.मी. की दूरी पर है।
  • Car Icon माउण्ट आबू से नीचे उतरने पर 28 कि.मी. दूर आबूरोड रेलवे स्टेशन है। यहां से बस तथा टैक्सी सेवा उपलब्ध है।
  • Train Icon माउण्ट आबू से आबू रोड रेल्वे स्टेशन 28 कि.मी. दूर है। नियमित रेल सेवा दिल्ली व मुम्बई के बीच है तथा जयपुर व अहमदाबाद के लिए भी नियमित रेल सेवा है।

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माउण्ट आबू के समीप देखने योग्य स्थल

  • उदयपुर

    163 कि.मी.

  • चित्तौड़गढ़

    271 कि.मी.

  • जोधपुर

    270 कि.मी.