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  • कोटा

    कोटा

    सदा सलिला चम्बल

कोटा

सदा सलिला चम्बल

चम्बल नदी के पूर्वी तट पर बसा कोटा नगर राजस्थान के प्रमुख शैक्षणिक तथा पर्यटन महत्व का केन्द्र है। राजपुताने में कोटा तथा बूंदी राजधराने का गौरवशाली एवं समृद्व अतीत रहा है। यहां पर कला, संस्कृति और प्रकृति का अनूठा संगम दृष्टिगोचर होता है। बाहरवीं शताब्दी मे राव देवा ने जैता मीणा पर विजय प्राप्त कर बूंदी मे हाडा शासन की नींव डाली थी, तत्पश्चात बूंदी के राजकुमार को कोटा की जागीरी प्राप्त हुई थी। सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में रावमाधोसिंह ने कोटा के स्वंत्रत राज्य की स्थापना की जिसे मुगल सम्राट शहजहां द्वारा मान्यता प्राप्त हुई। राव माधोसिंह ने चंबल नदी के तट पर वर्तमान में गढ़ पैलेस के नाम से प्रसिद्व महल की नींव रखी। भविष्य में कोटा के राजाओं द्वारा अपनी अपनी रूची अनुसार अर्जुन महल, कंवर महल, जनाना महल, दरबार हॉल आदि सुंदर एवं कलात्मक भवनों का निर्माण करवाया गया। यहां के भित्ति चित्र तथा छतों पर की गई कलात्मक चित्रकारी विश्व प्रसिद्व है। किशोर सागर तालाब के मध्य स्थित जगमंदिर, राजपूत स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। ब्रज विलास महल तथा छत्रविलास उद्यान शहर के मध्य मे स्थित उल्लेखनीय दर्शनीय स्थल हैं। चम्बल नदी कोटा की जीवन रेखा है तथा इस पर निर्मित कोटा बैराज, जवाहर सागर और राणाप्रताप सागर यहां की सृमद्वि के प्रमुख स्त्रोत हैं। कोटा नगर में बनने वाली सूती तथा ज़री के काम वाली कोटा डोरिया साड़ी के लिए तथा यहां चटपटी स्वादिष्ट दाल की कचौरियों तथा कोटा मे खदानों से निकाले जाने वाले कोटा पत्थर के लिये कोटा भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्व हैं।

कोटा में आने और तलाशने के लिए आकर्षण और जगहें

कोटा के दर्षनीय स्थलों का आंनद लें। राजस्थान में सदैव कुछ नया नवेला देखने को मिलता है।

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  • गढ़ पैलेस

    गढ़ पैलेस

    कोटा में पर्यटको के आकर्षण का केंद्र 'गढ़ पैलेस ' है, यह विशाल परिसर, जिसे सिटी पैलेस के रूप में भी जाना जाता है, प्रमुखतः राजपूत स्थापत्य शैली में बनाया गया है। ये महल इतिहास के अलग-अलग समय पर राजपूत वंश के विभिन्न शासकों द्वारा निर्मित कमरों और खण्डों का एक विशाल परिसर है।

  • राव माधो सिंह संग्रहालय

    राव माधो सिंह संग्रहालय

    राव माधो सिंह संग्रहालय गढ़ पैलेस के भीतर स्थित है, राव माधो सिंह संग्रहालय कोटा-बूंदी शैली के भित्ति चित्र निर्मित है पर्यटक अनूठे शिल्प , अस्त्र-शस्त्र और अन्य ऐतिहासिक धरोहर का अवलोकन कर सकते है l

  • अभेड़ा महल एवं अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क

    अभेड़ा महल एवं अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क

    अभेड़ा महल का निर्माण 18 वीं शताब्दी में कराया गया था। यहां महल शाही आरामगाह की दृष्टि से कोटा से 8 किमी की दूरी पर निर्मित करवाया गया था, जिसमे राजकुमारी धीरदेह द्वारा पानी का कृत्रिम जलाशय निर्मित करवाया गया था, जिससे ज्यादा से ज्यादा वन्य जीव व पक्षी इस ओर आकर्षित हो सकें। महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय के शासनकाल में इस जलाशय में मगरमच्छ की विभिन्न्ा प्रजातियों को पाला जाता था तथा अभेड़ा का तालाब इसीके कारण प्रसिद्व था। अभेड़ा महल के समीप करनी माता मंदिर को भी देखा जा सकता है, तथा पर्यटक अभेड़ा बायोलोजिकल पार्क मे भी जंगली जानवरों को स्वछंद विचरण करते हुये देख सकते है l

  • दाढ़ देवी मंदिर

    दाढ़ देवी मंदिर

    कोटा से करीब 15 कि.मी. की दूरी पर कोटा के पूर्व शाही परिवार की कुलदेवी का प्राचीन मंदिर है। यहां पर चैत्र नवरात्रा मे 9 दिवसीय मेला लगता है।

  • चरण चौकी

    चरण चौकी

    कोटा से करीब 15 कि.मी. की दूरी पर दाढ़ देवी मंदिर मार्ग पर ही चरण चौकी स्थित है। प्राचीन किवंदंती के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा से द्वारका की यात्रा के समय इसी स्थान पर विश्राम किया था। इसी स्थान पर भगवान श्री कृष्ण की चरण पादुका के चिन्ह अंकित हैं। भगवान श्री कृष्ण के बल्लभसंप्रदाय के अनुयायी बड़ी संख्या मंे प्रतिवर्ष दर्शनार्थ यहां आते हैं।

  • किशोर सागर जगमंदिर

    किशोर सागर जगमंदिर

    कोटा महाराव दुर्जनशाल सिंह जी की महारानी तथा उदयपुर की राजकुमारी ब्रज कंवर जी ने यह कृत्रिम जलाशय किशोर सागर तथा जगमंदिर का निर्माण 1743-45 के मध्य करवाया गया था। किशोर सागर कोटा शहर के मध्य स्थित है, यहां पर पर्यटकों हेतु पावर मोटर बोट, आदि की सुविधा उपलब्ध है। किशोर सागर के किनारे पर ही खान पान हेतु चौपाटी निर्मित है। इसके अतिरिक्त यहां पर सांय के समय लेजर फिल्म एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है। यह स्थान कोटा का प्रमुख पर्यटन स्थल है।

  • गार्डेन ऑफ जॉय  (सिटी पार्क)

    गार्डेन ऑफ जॉय (सिटी पार्क)

    कोटा शहर के मध्य झालावाड़ रोड पर 30 हेक्टर क्षेत्रफल मे विकसित पार्क है जिसके 85 प्रतिशत भाग सघन वार्क्ष्रोपण किया गया जिसके मध्य मे 1.25 किमी की नहर विकसित की गयी है, पार्क मे पर्यटको हेतु फूड ज़ोन, केफे, सिटी बाजार एम्पिथियटर, बच्चो के आकर्षण हेतु किड्स ज़ोन, ओपेन जिम, बोटनिकल गार्डेन, शर्बस गार्डेन, एवं बोटिंग का लुत्फ उठा सकते है

  • चंबल रिवर फ्रंट

    चंबल रिवर फ्रंट

    कोटा शहर मे कोटा बैराज से नयापुरा पुलिया तक 2.75 किमी की लंबाई मे चंबल नदी के दोनों तटो पर खूबसूरत चंबल चंबल रिवर फ्रंट विकसित किया गया है I चंबल रिवर फ्रंट भारत में विकसित पहला हेरिटेज रिवर फ्रंट है। इस रिवर फ्रंट के दोनों किनारों पर 26 घाटों का निर्माण करवाया गया है। इन घाटों को अलग-अलग थीम पर तैयार किया गया है। चंबल रिवर फ्रंट पर बने वर्ल्ड हेरिटेज घाट पर विश्व के अलग-अलग देशों की 9 प्रसिद्ध इमारतें और वास्तुकलाओं को बनाया गया है। जिस तरह किशोर सागर तालाब के किनारे सेवन वंडर्स पार्क बनाया गया है, जहाँ पर देश-दुनिया के सात अजूबे बनाए गए हैं, उसी तर्ज पर रिवर फ्रंट के वर्ल्ड हेरिटेज घाट पर विश्व की नौ प्रसिद्ध इमारतों की कलाकृति का निर्माण किया गया है। करीब 240 मीटर क्षेत्र में एक के बाद एक कतार से यह वास्तुकलाएँ बनाई गई है, जिसमें भारत की शान लाल किला, गोपुरम् टैंपल, चाइनीज पगोड़ा, हिस्ट्री पार्क, वेस्ट मिंस्टर, टेवी फाउंटेन, वारम टैंपल, मास्क्यू और लॉवरे म्यूज़ियम देख सकते है । बार्सिलोना फाउंटेन की तर्ज पर यहां भी फाउंटेन बनाया गया है। यहाँ आने वाले पर्यटक रंग बिरंगी रोशनी और म्यूजिक के साथ फाउंटेन शो एंजॉय कर सकते है l इसके अलावा यहाँ पर देश का पहला एलईडी गार्डन भी बनाया गया है। यहाँ आने वाले लोगों को वास्तविक पेड़-पौधे पक्षियों की जगह एलईडी एलिमेंट दिखाई देंगे। रिवर फ्रंट के पूर्वी जोन में जोडियक घाट भी विकसित किये गए हैं जिसमें अलग-अलग राशि चक्र हैं।

  • चंबल उद्यान

    चंबल उद्यान

    चंबल नदी के तट पर निर्मित यह सुंदर तथा प्राकृतिक सुरम्य वातावरण का पार्क है। यह स्थानीय नगर निगम द्वारा संचालित है तथा बड़े ही आकर्षक ढंग से यह निर्मित है। यहंा पर आधुनिक शैली में बच्चों के लिए बनाए गए झूले, लक्ष्मण झूला, तथा प्रमुख रूप से चम्बल नदी मंे पावर मोटर बोट की सैर, पर्यटकांे को खूब लुभाती है। पार्क के अंदर तथा बाहर खान पान की स्वादिष्ट स्टॉल्स उपलब्ध हैं।

  • सैवन वंडर्स पार्क

    सैवन वंडर्स पार्क

    किशोर सागर के किनारे पर ही सैवन वंडर्स पार्क स्थित है। यह स्थान फिल्म शूटिंग तथा सैल्फी पॉइंट के रूप में विख्यात है। विश्व के सात अजूबे आश्चर्य के मॉडल्स यहां पर खूबसूरती से प्रर्दर्शित हैं। जिनको देखने लोग दूर दराज से कोटा आते हैं। विदेशी सैलानी इस पार्क मंे आ कर इसकी सुदरता निहारते हैं। यहां खान पान के स्टॉल्स बाहर तथा अंदर दोनांे जगह स्थित हैं। पर्यटक यहां आकर फोटोशूट कर ऐसा अहसास करता है कि उसने यहंा आ कर विश्व की सैर कर ली हो।

  • खड़े गणेश मंदिर

    खड़े गणेश मंदिर

    यह एक प्राचीन तथा आस्था का प्रतीक मंदिर है। यहंॅ भगवान गणेश की प्रतिमा खडे़ रूप में है। प्रत्येक वर्ष गणेश चतुर्थी पर तथा प्रत्येक सप्ताह के बुधवार के दिन यहां भक्तजन दर्शनार्थ आते हैं तथा गणेश चतुर्थी पर मेला भी लगता है।

  • कर्णेश्वर मंदिर

    कर्णेश्वर मंदिर

    कर्णेश्वर मंदिर कोटा से झालावाड़ मार्ग पर राष्ट्रीय राजमार्ग 12 पर कोटा से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है l

  • गोदावरी धाम

    गोदावरी धाम

    चम्बल गार्डन से रावतभाटा की ओर प्रमुख मार्ग पर यह मंदिर चम्बल नदी के तट पर निर्मित है। यहां भगवान हनुमान जी की पूजा अर्चना की जाती है। यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रतीक है। यहां प्रत्येक मंगलवार तथा शनिवार को भारी संख्या मंे भक्तजन दर्शनार्थ आते हैं।

  • आलनिया बांध

    आलनिया बांध

    कोटा से झालावाड़ मार्ग पर लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर आलनियां नदी के किनारे बनीं चट्टानों पर प्रागैतिहासिक काल की गुफाएं तथा रॉक पेंटिंग्स बनी हुई हैं। रॉक पेंटिंग्स पर शोध करने वाले तथा इस क्षेत्र मंे रूचि रखने वाले पर्यटक इस स्थल को देखने अवश्य आते हैं।

  • मुकुंदरा हिल्स बाघ अभयारण्य

    मुकुंदरा हिल्स बाघ अभयारण्य

    कोटा से लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर रावतभाटा मार्ग पर सेलझर तथा कोलीपुरा गिरधपुरा होते हुये दरा गाँव तक तथा कोटा से 50 किमी झालावाड़ रोड पर दरा गाँव से कोलीपुरा सेलझर तक इस अभ्यारण्य का दृश्यावलोकन किया जा सकता है। यह अभ्यारण्य सघन वन क्षेत्र है। यहाँ पैंथर, भालू, हिरण, जंगली सूअर, लोमड़ी, सियार तथा काफी संख्या में स्थानीय एंव प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। अभ्यारण्य क्षेत्र मे वन विभाग से स्वीकृत प्राप्त कर निर्धारित शुल्क भुगतान कर भ्रमण किया जा सकता है l अभ्यारण्य मे प्राकृतिक वातावरण में जंगली जीव जंतुओ को स्वछंद विचरण करते हुये देखा जा सकता है।

  • गरडिया महादेव

    गरडिया महादेव

    कोटा से डाबी उदयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 76 पर कोटा से 24 किमी की दूरी पर मोड़ से 5 कि.मी. अंदर दुर्गम वन क्षेत्र मे यह नैसर्गिक सौंदर्य का स्थल तथा चम्बल की कराइयों में प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। यहां से चम्बल के ख़ूबसूरत व्यू को देखा जा सकता है। पर्यटक यहां शांति तथा प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करता है। यह स्थल मुकुंदरा हिल्स अभ्यारण्य मे शामिल होने के कारण, यहां वन विभाग के नियमानुसार पर्यटक तथा वाहन का प्रवेश शुल्क का भुगतान कर भ्रमण किया जा सकता है l

  • कंसुआ शिव मंदिर

    कंसुआ शिव मंदिर

    कोटा एयरपोर्ट सर्किल से डी सी एम रोड पर कंसुआ क्षेत्र में यह प्राचीन मंदिर 738 ए.डी. में निर्मित है। यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला से पर्यटकों को आनंदित कर देता है। यह मंदिर भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग के अधीन है। यहां सुंदर उद्यान तथा भगवान शिव की पूजा अर्चना करने हेतु पुरातन समय का शिव मंदिर है। शिवरात्रि तथा प्रत्येक सोमवार को यहंा भारी संख्या में भक्त दर्शनार्थी आते हैं।

  • मथुराधीश मंदिर

    मथुराधीश मंदिर

    कोटा शहर के परकोटे के भीतर पाटनपोल में प्रथम बल्लभपीठ श्री मथुरेश जी का मंदिर स्थित है। रियासतकाल से कोटा कृष्ण भक्ति का प्रधान केन्द्र रहा है। यहां के प्रथम पीठ के अनुयायी पूरे विश्व मे रहते हैं तथा जन्माष्टमी जैसे उत्सव-त्योंहारों पर पूरे परिवार सहित दर्शनार्थ कोटा आते हैं। प्रथम पीठ के साथ ही इसी क्षेत्र मे श्री महाप्रभुजी का बड़ा मंदिर, रियासत कालीन श्री ब्रजनाथ जी का मंदिर, श्री फूलबिहारी जी का मंदिर, श्री मथुराधीश जी का छोटा मंदिर, प्रमुख रूप से स्थित हैं।

  • गेपरनाथ मंदिर

    गेपरनाथ मंदिर

    कोटा से रावतभाटा मार्ग पर 22 किमी की दूरी पर गेपरनाथ मंदिर चम्बल नदी के समीप दुर्गम पहाड़ियों में निर्मित है। यहां पर्यटक सीढ़ियां उतरकर तलहटी मे बने प्राचीन शिव मंदिर के दर्शन कर सकते हैl यह स्थान वर्षा ऋतु में काफी सुरम्य तथा आकर्षक दिखाई देता है, यहाँ कल कल करते झरने तथा प्राकृतिक नैसर्गिक, चम्बल की घाटी का सौंदर्य देखा जा सकता है l

कोटा के उत्सव और परम्पराओं के आंनद में सम्मिलित हों। राजस्थान में हर दिन एक उत्सव है।

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  • कोटा दशहरा मेला

    कोटा दशहरा मेला

    अक्टूबर नवम्बर माह मंे प्रतिवर्ष नौ दिन नवरात्रों के उपरांत दशहरा के अवसर पर, कोटा दशहरा मेला ग्राउंड मंे भारत का प्रसिद्व 15 दिवसीय दशहरा मेले का शुभारम्भ होता है। नवरात्र स्थापना से मेले की हलचल शुरू हो जाती है तथा प्रति दिन नौ दिन तक आकर्षक व मनोहारी प्रस्तुतियों की रामलीला का मंचन यहां पर किया जाता है। इस अवधि में राम बारात, शाही परम्परानुगत निकाली जाती है। इसके उपरांत दशहरा के दिन 80-100 फुट के रावण, कुम्भकरण, मेधनाद के पुतलों का आकर्षक आतिशबाजी के साथ शाही परम्परा अनुसार दहन किया जाता है। जिसको देखने के लिये स्थानीय शहरवासियांे के अतिरिक्त विदेशी पर्यटक, तथा सूदूर क्षेत्रों से लोग कोटा आते हैं। पूरा माहौल जोश ख़रोश से परिपूर्ण होता है, बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व मे सभी पारस्परिक रूप से इस दिन हर्ष उल्लास का जश्न मनाते हैं।

कोटा में गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान में करने के लिए सदैव कुछ निराला है।

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  • हैरीटेज वॉक

    हैरीटेज वॉक

    सुव्यवस्थित कोटा शहर की भीतरी गलियों तथा परकोटे के अंदर बसे शहर को पर्यटक पैदल घूमकर देखा जा सकता हैं। यहां रामपुरा बाजार में बनी सुंदर तथा कलात्मक भवनों जैसे महात्मा गांधी स्कूल, महारानी स्कूल, बजाज खाना, घंटाघर, पाटनपोल तथा किशोरपुरा की पुरानी खूबसूरत हवेलियां अतीत की कहानी बयां करती हैं। हैरिटेज वॉक के दौरान पर्यटक स्थानीय व्यंजन जैसे दूध-जलेबी, कचौरी, कड़के सेव का भी आनंद ले सकते है I तथा कोटा डोरिया की प्रसिद्ध साड़ियो की दुकानों का भी अवलोकन कर खरीद सकते हैI

  • किशोर सागर चौपाटी एवं सैर सपाटा

    किशोर सागर चौपाटी एवं सैर सपाटा

    पर्यटक दोपहर बाद किशोर सागर की चौपाटी के आसपास भ्रमण कर नेसर्गिक सोंदर्य का आनंद ले सकता है तथा चटपटे जायकेदार व्यंजनो का भी चौपाटी पर लुत्फ उठाया जा सकता है l

  • बोट सफारी

    बोट सफारी

    कोटा मे पर्यटको हेतु चंबल नदी मे बोट सफारी आकर्षण का केंद्र है जिसको की चंबल उद्यान के समीप वन विभाग के बोटिंग प्लैटफ़ार्म से गरडिया महादेव तक सफारी का लुत्फ उठाया जा सकता हैI सफारी के दौरान पर्यटको को चंबल नदी की कराईया तथा विभिन्न प्रकार की वनस्पति के साथ साथ प्रवासी तथा स्थानीय प्रजाति के विभिन्न प्रकार के पक्षी के साथ साथ भारत मे पाये जाने वाले मगरमच्छ को भी देखा जा सकता हैl

यहाँ कैसे पहुंचें

यहाँ कैसे पहुंचें

  • Flight Icon निकटतम हवाई अड्डा जयपुर में सांगानर हवाई अड्डा हैं जो कि 244 किलोमीटर दूर है।
  • Car Icon राजस्थान में सभी शहरों और कस्बा से कोटा के लिए नियमित बसें उपलब्ध हैं।
  • Train Icon दिल्ली-मुंबई लाइन पर, पश्चिमी रेलवे क्षेत्र में कोटा एक प्रमुख जंक्शन है। अधिकतर ट्रेनों कोटा से गुजरती हैं

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कोटा के समीप देखने योग्य स्थल

  • बूंदी

    35 कि.मी.

  • चित्तौड़गढ़

    178 कि.मी.

  • उदयपुर

    290 कि.मी.