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  • राजसमन्द

    राजसमन्द

    कुम्भलगढ़

राजसमन्द

राजस्थान की संगमरमरी भूमि

उदयपुर से लगभग 65 कि.मी. दूरी पर राजसमन्द ज़िला स्थित है। मार्बल उत्पादन के लिए पहचान बनाने वाले राजसमन्द ज़िले में सुन्दर झीलें, अलौकिक महल, ऐतिहासिक वास्तुकला और वन्य जीव अभ्यारण्य पार्क भी हैं। किसी भी पर्यटक के लिए राजसमन्द अपनी कसौटी पर पूरा उतरता है और उम्मीद से कुछ ज़्यादा ही देखने को मिलता है। महाराणा प्रताप की जन्म भूमि होने का गौरव प्राप्त है यहाँ के कुम्भलगढ़ क़िले को; इसके अलावा हल्दीघाटी के युद्ध का मैदान, द्वारिकाधीश, चारभुजा तथा बहुत से शिव मन्दिर भी यहाँ हैं। राजसमन्द की यात्रा आपको अभिभूत कर देगी अपने समृद्ध इतिहास, धर्म, संस्कृति तथा यहाँ की खानें भी उद्योग जगत में अभूतपूर्व हैं। राजसमन्द के आकर्षक और अद्भुत स्थलों की सैर कीजिए।

राजसमन्द के आकर्षक और अद्भुत स्थलों की सैर कीजिए।

आइए, यहाँ आपको बहुत कुछ आश्चर्यचकित करने वाले स्थल और स्मारक दिखाई देंगे। राजस्थान में हमेशा कुछ नया देखने को मिलता है।

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  • कुम्भलगढ़ का क़िला

    कुम्भलगढ़ का क़िला

    मेवाड़ के सशक्त, सबल और प्रसिद्ध योद्धा की जन्मस्थली - उदयपुर से उत्तर की तरफ, लगभग 84 कि.मी. दूरी पर जंगलों के बीच मेवाड़ क्षेत्र में चित्तौड़गढ़ के बाद दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण किला है कुम्भलगढ़। राणा कुम्भा द्वारा 15वीं शताब्दी में बनवाया गया यह क़िला अरावली की पहाड़ियों की गोद में बसा है। मेवाड़ को शत्रुओं से बचाने व सुरक्षित रखने में इस क़िले की मुख्य भूमिका रही है। जब बनबीर ने विक्रमादित्य की हत्या कर, क़िले पर कब्ज़ा कर लिया था तो मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह को उनके बचपन में इसी क़िले में पनाह मिली थी। महाराणा प्रताप की जन्मस्थली होने के कारण लोगों की भावनाएं इस क़िले से जुड़ी हैं। यह क़िला सभी प्रकार से अपने आप में समृद्ध तथा सुरक्षित है। इसकी सुरक्षा को केवल एक बार मुग़ल तथा आमेर की सेना द्वारा पीने के पानी की कमी के कारण धक्का लगा था। यहाँ बहुत ही सुन्दर व समृद्ध मंदिर हैं, जिन्हें मौर्य साम्राज्य के दौरान बनवाया गया था तथा एक बहुत ही सुरम्य व चित्रांकित स्थल है ’बादल महल’। कुम्भलगढ़ का क़िला अति सुन्दर विहंगम दृश्य प्रस्तुत करता है। क़िले की दीवारें इतनी मजबूत तथा इतनी चौड़ी हैं कि आठ घुड़सवार एक साथ उस पर चल सकते हैं और लगभग 36 कि.मी. के क्षेत्र में फैली हुई हैं। 19वीं शताब्दी में महाराणा फतेह सिंह द्वारा इस क़िले का नवीनीकरण किया गया था। स्कॉलर्स तथा विद्यार्थियों के लिए क़िले में बिखरी अतीत की निशानियाँ बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

  • गोलेराव जैन मंदिर

    गोलेराव जैन मंदिर

    ’गोलेराव जैन मंदिर’ मंदिर कुम्भलगढ़ क़िले पास ही हैं तथा यहाँ के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आकर्षण हैं। यह नौ मंदिरों का एक समूह है जो कि बहुत सुन्दर व सुरम्य क्षेत्र में स्थित है। ’भवन देवी मंदिर’ के काफी पास में स्थित गोलेराव जैन मंन्दिरों में बहुत आकर्षक रूप में देवी देवताओं की मूर्तियाँ दीवारों व खम्भों पर बनी हैं।

  • नीलकण्ठ महादेव

    नीलकण्ठ महादेव

    प्रसिद्ध शिव मंदिर जिसे नीलकण्ठ महादेव मंदिर कहते हैं, कुम्भलगढ़ क़िले के पास ही स्थित है। यह मंदिर 1458 ई. में बनवाया गया था, जिसमें पाषाण से बना 6 फुट ऊँचा शिवलिंग दर्शनीय है। इस मंदिर की सबसे महत्त्वपूर्ण रचना है इसमें चारों ओर से प्रवेश द्वार, जिन्हें सर्वतोभद्र कहा जाता है। इसके अलावा इसमें एक खुला मंडप है जिसे दूर से देखा जा सकता है। प्रत्येक शाम को नीलकण्ठ महादेव परिसर में वेदी के पवित्र स्थल के पास पर्यटकों हेतु ’लाइट एण्ड साउण्ड शो’ आयोजित किया जाता है। यहाँ के वातावरण, समृद्ध इतिहास तथा मंदिरों व क़िले की भव्यता को देखकर आप अभिभूत हो जाएंगे।

  • कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य (सैंक्चुअरी)

    कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य (सैंक्चुअरी)

    उदयपुर और कुम्भलगढ़ घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए, कुम्भलगढ वन्यजीव अभ्यारण्य एक अच्छा विकल्प है। उदयपुर से लगभग 65 कि.मी. की दूरी पर स्थित यह पार्क उदयपुर पाली जोधपुर रोड पर है और कुम्भलगढ के विशाल किले को चारों तरफ से घेरे हुए हैं। आप चाहे एक वन्यजीव प्रेमी हों या प्रकृति के साथ घनिष्ठता की भावना रखते हों, कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभ्यारण्य आपके लिए उत्तम वातावरण प्रदान करता है। अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों के आस पास फैला यह अभ्यारण्य विलुप्त होते, संकटग्रस्त पशु पक्षियों का घर है। यहाँ घूमने के लिए आने पर आपको जंगल कैट्स (जंगली बिल्ली), हाइना (लकड़बग्घा), जैकॉल्स (गीदड), लैपर्ड्स (तेंदुआ), स्लॉथ बियर (आलसी भालू), नीलगाय, सांभर, चौसिंगा, चिंकारा (हिरण, बारहसिंगा), हेयर्स (खरगोश) नजर आएंगे। आप यहाँ भेड़ियों को देखकर, उनका पीछा करके, उनके कार्यकलाप भी देख सकते हैं। इस अभ्यारण्य में आप पशुओं के अलावा विभिन्न प्रजाति की चिड़ियां भी देख सकते हैं। कुम्भलगढ़ वन्यजीवन अभ्यारण्य विविध प्रकार के पेड़ पौधों से भी समृद्ध है, छोटे पौधे और बड़े आकार के पेड़ जिन की जड़ी-बूंटियाँ दवाइयां बनाने के काम में भी आती हैं, जो यहां बहुतायत में उपलब्ध हैं। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में आने के बाद यदि आपने प्रकृति से अन्तरंग भेंट नहीं की तो आप बहुत कुछ खो देंगे; अब तो आप ऐसा नहीं करना चाहेंगे न, क्या आप ऐसा करेंगे?

  • राजसमन्द (राजसमुद्र) झील

    राजसमन्द (राजसमुद्र) झील

    उदयपुर से लगभग 66 कि. मी. उत्तर दिशा में, राजनगर और कांकरोली के नगरों के बीच में, यह एक विशाल क्षेत्र में फैली हुई सुन्दर झील है। सन् 1662 और 1676 ए. डी. के मध्य में महाराणा राज सिंह प्रथम द्वारा गोमती केलवा और ताली नदियों पर बनाए गए डैम (बांध) के निर्माण स्वरूप दक्षिण - पश्चिम की ओर यह झील बनाई गई। इस झील को और बांध को (1661 में) बनाए जाने का मुख्य कारण यहाँ व्यापक रूप से फैले सूखे से त्रस्त जनता को रोज़गार उपलब्ध करवाना था तथा स्थानीय किसानों को नहर से खेतों की सिंचाई की सुविधा प्रदान करना था। विश्व युद्ध द्वितीय के दौरान, राजसमन्द झील को लगभग छः वर्षों तक ‘इम्पीरियल एयरवेज़’ द्वारा समुद्री विमान आधार के रूप में उपयोग में लिया जाता था। राजसमन्द झील को राजस्थान में सबसे पुराने राहत कार्यों में से एक माना जाता है तथा इस कार्य के लिए उस समय लगभग चालीस लाख रूपए खर्च किए गए थे। इस झील की परिधि 22.5 स्कवेयर कि. मी., गहराई तीस फीट तथा जल ग्रहण क्षेत्र (तालाब) लगभग 524 स्कवेयर कि. मी. के दायरे में है तथा यह इस झील का विस्मय प्रेरक अर्थात अचरज भरा क्षेत्रफल है। इतनी लम्बी चौड़ी परिधि में फैली होने के बावजूद भी यह माना जाता है कि यह झील भीषण तथा व्यापक रूप से फैले सूखे के समय में सूख जाया करती है जैसे कि सन् 2000 में सूखा पड़ने के कारण यह एक विशाल घाटी की सूखी सतह और दरारों भरे कीचड़ के समान बन गई थी।

राजसमन्द के उत्सव और परम्पराओं के आंनद में सम्मिलित हों। राजस्थान में हर दिन एक उत्सव है।

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राजसमन्द में गतिविधियाँ, पर्यटन और रोमांच आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। राजस्थान में करने के लिए सदैव कुछ निराला है।

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 यहां कैसे पहुंचे

यहां कैसे पहुंचे

  • Flight Icon महाराणा प्रताप हवाई अड्डा, दाबोक, उदिपुर, राजसमंद से लगभग 75 किमी की निकटतम हवाई अड्डा है
  • Car Icon जयपुर, जोधपुर, दिल्ली, अहमदाबाद, मुम्बई आदि जैसे सभी प्रमुख शहरों को सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
  • Train Icon निकटतम रेलवे स्टेशन उदयपुर शहर (जंक्शन नहीं) के बारे में 68 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर है

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  • उदयपुर

    65 कि.मी.

  • पाली

    129 कि.मी.

  • अजमेर

    205 कि.मी.