यह एक कृत्रिम झील है जिसे 1135 से 1150 ई. के बीच राजा अजयपाल चौहान के पुत्र अरूणोराज चौहान ने बनवाया। इन्हें ’अन्ना जी’ के नाम से पुकारा जाता था तथा इन्हीं के नाम पर आना सागर झील का नाम रखा गया ।...
जैसलमेर के पहले राजा रावल जैसल द्वारा यह झील 14वीं सदी में बनवाई थी। कुछ वर्षों बाद महाराजा गड़सीसर सिंह द्वारा इसे पुननिर्मित करवाया गया। जैसलमेर के दक्षिण की ओर यह झील ’तिलों की पोल’ क्षेत्र में बनी है।...
इस झील के प्राकृतिक वातावरण और कोलाहल से दूर होने के कारण यहाँ बड़ी संख्या में पक्षियों का बसेरा है। रमणीय झील गैप सागर डूंगरपुर का एक प्रमुख आकर्षण है इसके तट पर श्रीनाथ जी का मंदिर समूह है।...
अरावली पर्वतमाला की छवि इस कृत्रिम झील में देखी जा सकती है। सन् 1892 ई. में एक अंग्रेज इन्जीनियर मिस्टर फॉय द्वारा बनाई गई इस झील को, उस समय अकाल राहत कार्य द्वारा लोगों को सहायता देने के लिए बनवाया गया था।...
तारागढ़ क़िले से इस झील का विहंगम दृष्य नज़र आता है। यह एक कृत्रिम झील है तथा पास में बने महलों और क़िले का प्रतिबिम्ब इस झील में लहराता दिखाई देता है, जो कि अद्वितीय है।...
‘तीर्थराज’ के नाम से प्रसिद्ध पुष्कर सरोवर, सभी तीर्थस्थलों का राजा कहलाता हैं। इस सरोवर में डुबकी लगाने पर तीर्थयात्रा सम्पन्न मानी जाती है, ऐसी मान्यता है।...
अरावली के पश्चिमी छोर पर, पहाड़ों के बीच प्रसिद्ध सिलिसेढ़ झील स्थित है। अलवर से सरिस्का जाते समय, 15 कि.मी. की दूरी पर पर यह झील है। इसका निर्माण महाराजा विनयसिंह ने 1845 ई. में सिलिसेढ बांध के रूप में करवाया था।...
उदयपुर की पांच झीलों में से एक है उदय सागर झील। उदयपुर के पूर्व में 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, इस झील का निर्माण 1559 में महाराणा उदयसिंह द्वारा शुरू करवाया गया था।...
जैसलमेर के पश्चिमी क्षेत्र में लगभग 7 कि.मी. दूरी पर अमर सागर लेक स्थित है जो कि अमर सिंह पैलेस के पास ही है। 17वीं शताब्दी में बनवाया गया यह महल झील पत्थर के नक्काशीदार जानवरों के मुखौटो से घिरा है, जिन्हें शाही परिवार का संरक्षक माना जाता है।...
बड़ी झील उदयपुर में स्थित एक ताजे पानी की झील है। इसका निर्माण महाराणा राजसिंह द्वारा ‘‘बड़ी गाँव’’ से लगभग 12 कि.मी. दूर 1652-1680 के बीच करवाया गया था। पहले इसका नाम जियान सागर था, जो कि महाराणा राजसिंह की माता के नाम पर था।...
उदयपुर से लगभग 66 कि. मी. उत्तर दिशा में, राजनगर और कांकरोली के नगरों के बीच में, यह एक विशाल क्षेत्र में फैली हुई सुन्दर झील है। सन् 1662 और 1676 ए. डी. के मध्य में महाराणा राज सिंह प्रथम द्वारा गोमती केलवा और ताली नदियों पर बनाए गए डैम (बांध) के निर्माण स्वरूप दक्षिण - पश्चिम की ओर यह झील बनाई गई। इस झील को और बांध को (1661 में) बनाए जाने का मुख्य कारण यहाँ व्यापक रूप से फैले सूखे से त्रस्त जनता को रोज़गार उपलब्ध करवाना था तथा स्थानीय किसानों को नहर से खेतों की सिंचाई की सुविधा प्रदान करना था।...