सवाई माधोपुर
रणथम्भौर का सिंहद्वार
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने वाला रणथम्भौर का क़िला, ऐतिहासिक और रोमांचक है। विन्ध्या और अरावली की पहाड़ियों से घिरा यह क्षेत्र क़िले, मंदिर और रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के लिए, पर्यटकों की पहली पसंद है। कुछ इलाके मैदानी, कुछ पहाड़ी और कुछ जंगलों से घिरे होने के कारण, यहाँ कई ऐतिहासिक स्थल हैं, जो अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। जयपुर व दिल्ली से राष्ट्रीय राजमार्ग 11 व 12 के द्वारा सवाई माधोपुर पहुँचा जा सकता है। 18वीं शताब्दी में जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम ने इस शहर की स्थापना की थी तथा उन्हीं के नाम पर, इसका नाम सवाई माधोपुर रखा गया। किले के प्रमुख शासक राव राजा हम्मीर सिंह चौहान थे, जिन्होंने 1296 ई. के आस पास यहाँ शासन किया तथा उनके द्वारा किले, तालाब और झील का निर्माण देख कर उनके कला-प्रेम का अन्दाज़ा लगाया जा सकता है। क़िले के अंदर स्थित गणेश मंदिर, बादल महल, जँवरा भँवरा अन्नागार, दिल्ली दरवाजा, हम्मीर महल, कचहरी, तोरणद्वार, सामंतों की हवेली, 32 खम्भों वाली छतरी, मस्जिद आदि दर्शनीय स्थल हैं। ब्रिटिश शासन काल के दौरान जयपुर और सवाई माधोपुर के बीच एक रेल लाइन बिछाई गई थी, जिसके कारण सवाई माधोपुर, पूरे राज्य में एक महत्वपूर्ण केन्द्र स्थान के रूप में जाना गया। अनेक राजपूत राजाओं, गोविन्द से वाग्भट्ट तक, राणा कुंभा से अकबर और औरंगजेब तक, इस शहर को सभी शासकों द्वारा संरक्षित, सवंर्धित किया गया। नवीनीकरण और सौन्दर्यीकरण राव हम्मीर सिंह के समय सर्वाधिक हुआ।