Rajasthani Cuisine: Traditional Flavors - Rajasthan Tourism

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स्वाद राजस्थान के

द राजस्थान के - राजस्थानी व्यंजन भी इतने ही मजे़दार, रसीले और विपरीत प्रवृत्ति के होते हैं जैसे यहाँ के लोग और परम्पराएं। इस मरूस्थल के स्वादपूर्ण व्यंजनों की ख़ुश्बू और ज़ायका आपके मुँह में पानी ला देगा। अपने तीखे मसालों के लिए प्रसिद्ध यह राज्य इन मसालों की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु प्रदान करता है। यह मसाले यहाँ पर बनाई जाने वाली दालों तथा शाकाहारी व्यंजनों में अच्छी मात्रा में डाले जाते हैं। इसके साथ ही यहाँ बनाए जाने वाले दूध के व्यंजन, जिनमें मिठाइयाँ मुख्य हैं, भी बेहद स्वादिष्ट होते हैं।

राजस्थान के राजपूत योद्धा जो कि कई हफ्तों बल्कि महीनों अपने घरों से दूर रहते थे इसलिए उनका खान पान भी युद्ध के दौरान, युद्ध जैसा ही हो जाता था। उनके घर वापसी पर वे स्वादिष्ट व्यंजनों की मांग करते थे ताकि उन व्यंजनों का स्वाद वे काफी लम्बे समय तक याद रख सकें तथा ऐसे व्यंजन भी बनवाते थे जो आसानी से बांध कर साथ ले जाए जा सकें। उनकी इसी मांग के कारण ही आज के राजस्थान के व्यंजनों का स्वाद तीखा तथा तेज मसालेदार होता है।

राजस्थान की यात्रा, यहाँ पर बनाए गए तीखे, मीठे तथा स्वादिष्ट व्यंजनों को खाए बिना अधूरी है।.

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लाल मांस (रैड मीट)

लाल मांस एक मांसाहारी व्यंजन है, जो कि तेज मिर्च मसालेदार मुँह में पानी लाने वाला होता है। यह राजस्थान का पारम्परिक व्यंजन है। राजस्थान की शाही रसोई से निकला लाल मसालेदार मांस का सालन (करी), मांस के बढ़िया टुकड़ों को लेकर बनाया जाता है जिसे पहले दही लगाकर मैरिनेट किया जाता है।

यह व्यंजन राजस्थान की तीखी गर्मी और पानी की कमी का ही नतीजा है तथा इसीलिए यह भोजन यहाँ काफी प्रचलित हैं। इसे पकाने का अनोखा तरीक़ा, पकने के बाद काफी समय तक इसे सुरक्षित रखता है तथा इसमें प्रयोग किए गए मसाले पाचनशक्ति को सही रखते हैं व बीमारियों से बचाव करते हैं। रोटी और चावल के साथ लाल मांस खाना बेहद पसंद किया जाता है।

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सफेद मांस (व्हाइट मीट)

राजस्थान के अधिकतर घरों में, व्हाइट मीट को ’रॉयल लैम्ब कोरमा’ के नाम से जाना जाता है। यह मज़ेदार मांस मेमने का होता है तथा इसमें डलने वाले मसाले, जिनमें प्याज़, लहसुन, अदरक, काली मिर्च, गरम मसाला, इलायची होते हैं जो कि इसकी क्रीमी सॉस करी को बहुत ज़ायकेदार बना देते हैं।

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दाल बाटी चूरम

दाल बाटी चूरमा खाए बिना राजस्थान का खाना अधूरा माना जाता है, जो कि यहाँ पर बनाया तथा खाया जाने वाला विशेष व्यंजन है। इसमें दालें, सफेद आटे से बनी बाटी (बॉल के शेप में) और चूरमा बनाने के लिए बाटी बनाकर, सेंक कर देशी घी में डुबो कर उसे खूब कूटा जाता है। बारीक़ होने पर बूरा (पिसी चीनी) मिला कर ख़ूब सारा देशी घी मिलाया जाता है, जिसे दाल बाटी के साथ परोसा जाता है। इस चूरमे में ख़ूब सारे सूखे मेवे तथा खुश्बू तथा स्वाद के लिए गुलाब की सूखी पत्तियाँ भी डाली जाती हैं। यह व्यंजन लाल मिर्च की चटनी, लहसुन की चटनी तथा हरी मिर्च के टिपोरों के साथ खाया जाता है।

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गट्टे की खिचड़ी

राजस्थान में बेहद पसन्द की जाने वाली गट्टे की खिचड़ी या ’राम पुलाओ’ के नाम से जाना जाने वाला यह व्यंजन, चावल, हरी, सब्ज़ियों तथा बेसन से बनाया जाता है। मसाले, हरी मटर मिलाकर बेसन को गूंध कर, लम्बे आकार में गोल गोल काट लिया जाता है। इन्हें हल्का उबाल कर, मसाला भून कर पकाया जाता है, फिर चावल के साथ फ्राई करके पकाते हैं। यह मज़ेदार खिचड़ी अधिकतर पश्चिमी राजस्थान में बेहद पसन्द की जाती है तथा इसे चटनी व दही के साथ परोसा जाता है। कचोरी - राजस्थान में नाश्ते के लिए कचोरी बनाई जाती है। यह तीखी मसालेदार तथा मावे की मीठी कचोरी बेहद प्रसिद्ध है, जिसमें प्याज़ की नमकीन मसालेदार कचोरी और मीठी मावा कचोरी जिसमें सूखे मेवे डाले जाते हैं तथा चीनी की चाश्नी में डुबोकर खाया जाता है, बहुत पसन्द की जाती है। पूरे भारत में, राजस्थानी रेस्टॉरेन्ट्स ने इस व्यंजन को बहुत प्रसिद्धि दिलाई है तथा देशी व विदेशी पर्यटक भी इसका स्वाद अवश्य चखना चाहते हैं। शाही गट्टे - शाही गट्टे या ’गोविन्द गट्टे’ के नाम से जाना जाने वाला यह व्यंजन बेसन (चने का आटा) से बनाया जाता है। बेसन को मसालों के साथ गूंध कर हाथ से रोल बनाकर, काटकर फ्राई किया जाता है। इनमें सूखे मेवे भी काटकर डाले जाते हैं और इन गट्टों को मसाला बनाकर तेल में प्याज़ के पेस्ट के साथ पकाया जाता है।

अधिकतर मसाले में दही मिलाकर मसाले को गाढ़ा बनाया जाता है तथा इसमें गट्टे पकाकर, रोटी या चावल के साथ मज़ेदार व्यंजन परोसा जाता है। मछली जयसमंदी - राजस्थान के उदयपुर ज़िले की जयसमंद झील में पाई जाने वाली मछली के छोटे टुकड़ों को हरी चटनी और दही के साथ मिलाकर मैरिनेट करने के लिए 2-3 घन्टे रखा जाता है। फिर लहसुन, प्याज, अदरक के मसाले में भूना जाता है। मसालेदार चटपटी ग्रेवी में पका यह व्यंजन आपकी भूख को और बढ़ा देता है। यह राजस्थानी व्यंजन चावल या रोटी के साथ परोसा जाता है तथा हरा धनिया व पोदीना इसका स्वाद दोगुना कर देते हैं।

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कचोरी

राजस्थान में नाश्ते के लिए कचोरी बनाई जाती है। यह तीखी मसालेदार तथा मावे की मीठी कचोरी बेहद प्रसिद्ध है, जिसमें प्याज़ की नमकीन मसालेदार कचोरी और मीठी मावा कचोरी जिसमें सूखे मेवे डाले जाते हैं तथा चीनी की चाश्नी में डुबोकर खाया जाता है, बहुत पसन्द की जाती है। पूरे भारत में, राजस्थानी रेस्टॉरेन्ट्स ने इस व्यंजन को बहुत प्रसिद्धि दिलाई है तथा देशी व विदेशी पर्यटक भी इसका स्वाद अवश्य चखना चाहते हैं।

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शाही गट्टे

शाही गट्टे या ’गोविन्द गट्टे’ के नाम से जाना जाने वाला यह व्यंजन बेसन (चने का आटा) से बनाया जाता है। बेसन को मसालों के साथ गूंध कर हाथ से रोल बनाकर, काटकर फ्राई किया जाता है। इनमें सूखे मेवे भी काटकर डाले जाते हैं और इन गट्टों को मसाला बनाकर तेल में प्याज़ के पेस्ट के साथ पकाया जाता है।

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मछली जयसमंदी

राजस्थान के उदयपुर ज़िले की जयसमंद झील में पाई जाने वाली मछली के छोटे टुकड़ों को हरी चटनी और दही के साथ मिलाकर मैरिनेट करने के लिए 2-3 घन्टे रखा जाता है। फिर लहसुन, प्याज, अदरक के मसाले में भूना जाता है। मसालेदार चटपटी ग्रेवी में पका यह व्यंजन आपकी भूख को और बढ़ा देता है। यह राजस्थानी व्यंजन चावल या रोटी के साथ परोसा जाता है तथा हरा धनिया व पोदीना इसका स्वाद दोगुना कर देते हैं।

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मिर्ची बड़ा

बरसात के सुहावने मौसम में राजस्थान के जोधपुर शहर में चटपटा मसालेदार मिर्ची बड़ा विशेष रूप से बहुतायत में मिलता है तथा बड़े चाव से खाया जाता है। बड़ी बड़ी हरी मिर्ची को चीर कर बीज निकाल कर चटपटा खट्टा मसाला भरा जाता है जिसके साथ उबले आालू, सिका हुआ बेसन व अमचूर भी भरते हैं। फिर इन हरी मिर्ची को उक्त तैयार मसाले से भरकर तेल में तला जाता है। इसे खट-मिट्ठी चटनी के साथ खाया जाता है। जोधपुर के चौधरी, सूर्या नमकीन तथा राजू का मिर्ची बड़ा दूर दूर तक मश्हूर है तथा इस शाही राज्य के इस मज़ेदार व्यंजन का मज़ा लिए बिना यहाँ की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती।

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घेवर

राजस्थान की राजधानी जयपुर में बनने वाला घेवर पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यहाँ पर तीज उत्सव तथा रक्षाबन्धन के त्यौहार के समय घेवर की मिठाई बहुतायत से बनती तथा बिकती है। गोल प्लेट के आकार में बनी यह मिठाई, आटे/मैदे से बनाई जाती हैं और फ्राई करने के बाद चीनी की चाश्नी में डुबो कर निकाली जाती है। सादा घेवर, मावे का घेवर और मलाई का घेवर, अलग अलग तीन तरह के मिलते हैं।

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कैर सांगरी

राजस्थान की मरू भूमि पर उगने वाला खेजड़ी का पेड़ जानवरों के चारे के अलावा मरूस्थल में हमारी रसोई में पकाई जाने वाली स्वादिष्ट सांगरी भी देता है। एक अन्य झाड़ी में उगने वाला कैर तथा सांगरी का मज़ेदार व्यंजन, लाल मिर्च, अजवाईन, नमक, हल्दी, ज़ीरा आदि के साथ पकाया जाता है। यह व्यंजन स्वादिष्ट मसालेदार, चटपटा होता है तथा सूखा बनाया जाता है, जिससे इसे काफी दिनों तक रख कर खाया जा सकता है। मारवाड़ी शादियों में इस सब्जी को अवश्य परोसा जाता है तथा यह राजस्थान का मूल रूप से असली भोजन माना जाता है।