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  • ‘’पिंक सिटी’’ जयपुर के रहस्यों की विवृत्ति (स्पष्ट करना)

    ‘’पिंक सिटी’’ जयपुर के रहस्यों की विवृत्ति (स्पष्ट करना)

    राजधानी होने के साथ ही शाही राजस्थान राज्य का प्रवेश द्वार, जयपुर नैश्नल हाईवे 8 पर गर्व के साथ स्थित है, जो कि गोल्डन ट्रांयगल ( सुनहरा त्रिकोण ) का एक हिस्सा भी है। अपना विशेष हिरमिची ( गुलाबी ) रंग दर्शाते हुए, जयपुर शहर जितना अन्दर की तरफ से जीवंत और ख़ूबसूरत है, उतना ही सुन्दर यह शहर बाहर की तरफ से भी है। ‘पिकसिटी’ का इतिहास, जैसा कि सर्वविदित है, सन् 1727 से शुरू होता है, जब सवाई जयसिंह द्वितीय जो कि आमेर ( राजधानी थी ) के शासक थे, उन्होंने इस ‘‘पिंकसिटी’’ जयपुर की नींव रखी थी। यहाँ पर उनकी आवश्यकतावश इसकी स्थापना करने के बावजूद जयपुर को बनाने और बसाने में उनकी पूर्ण निष्ठा और समर्पण का भाव रहा। महाराजा जयसिंह ने वास्तुकला, हस्तकला और डिजायनों से सम्बन्धित ढेरों किताबों और शास्त्रों का अध्ययन किया और साथ ही सुप्रसिद्ध और ज्ञानी वास्तुविद्, वास्तु विशेषज्ञ श्री विद्याधर भट्टाचार्य से भी शहर की योजना सम्बन्धी सलाह ली। इसके बाद जयपुर शहर उसी योजना के आधार पर बनाया तथा बसाया गया। फिर सन् 1876 में, उस समय के ‘‘प्रिन्स ऑफ वेल्स’’ एच. आर. एच. अल्बर्ट एडवार्ड के, जयपुर में स्वागत के उपलक्ष में, जयपुर शहर को गुलाबी रंग में पेन्ट करवाया गया और तभी से इस शहर ने ‘‘पिंकसिटी’’ की अपनी उपाधि और नाम अर्जित किया। इस शहर ने अपनी मूल्यवान और सम्पन्न धरोहर और इतिहास को गर्व से पेश करते हुए, पर्यटकों, यात्रियों, इतिहासकारों, कलाकारों, संस्कृति प्रेमियों और देश विदेश के ज्ञानी लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया है ताकि वे सब यहां आकर पूरा आनन्द ले सकें और वे लोग जिन्होंने घूम घूम कर इस जीवंत शहर की लम्बाई चौड़ाई नाप ली है, वे आपको बता सकते हैं कि इस शहर ने आप से कोई झूठा वादा नहीं किया है।

  • आमेर का क़िला

    आमेर का क़िला

    जयपुर शहर के मध्य से लगभग आधा घण्टे की ड्राइव करके आप आमेर फोर्ट पहुँच सकते हैं जो कि एक ‘‘यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट’’ है और राजस्थान के यह सब से ज़्यादा प्रसिद्ध पहाड़ी क़िलों में से एक माना जाता है। यह जिस पहाड़ के ऊपर खड़ा है, उसे ‘‘चील का टीला’’ ( चील पक्षी के रहने का टीला ) कहते हैं। यह ‘‘मावठा झील’’ की ओर देखता हुआ है तथा यहाँ से आमेर के भव्य क़िले का यह मनोरम दृश्य देखने लायक है। यहाँ आकर आप की आँखों को विशेष देखने लायक, आनंदित करने वाले, एक श्रृंखला में बहुत से शोभायमान महल दिखाई देंगे। मंदिर, हॉल और बगीचे भी हैं, जिन में आप असाधारण शिल्प कौशल और शानदार वास्तुकला देख सकते हैं। इस क़िले का परिसर हर रोज़ शाम को आयोजित होने वाले दृश्य और श्रव्य ( प्रकाश और ध्वनि ) के शो के लिए भी जाना जाता है और आपकी मेज़बानी करता है।

  • नाहरगढ़ का क़िला

    नाहरगढ़ का क़िला

    अरावली की पहाड़ियों के किनारे पर खड़ा जयपुर शहर को निहारता हुआ, यह एक और भव्य, प्रभावशाली स्थापत्य कला का नमूना ’नाहरगढ़ का क़िला’ है। दर्शकों को अभिभूत करने वाले दृश्य यहाँ से देखे जा सकते हैं। नाहरगढ़ का क़िला असल में जयपुर शहर को बाहरी आक्रमणों से बचाने के लिये बनवाया गया था। इस क़िले के परिसर में अब और भी बहुत से आकर्षण शामिल किए गए हैं, जिनमें एक वैक्स ( मोम के पुतलों का ) म्यूज़ियम ( संग्रहालय ), एक स्कल्पचर ( मूर्तियों ) का पार्क और साथ ही एक अल्पाहार / भोजन हेतु बढ़िया रैस्टॉरेन्ट भी है।

  • जयगढ़ का क़िला

    जयगढ़ का क़िला

    जयपुर शहर के पास तथा आमेर के क़िले के एक दम नज़दीक एक और प्रसिद्ध शानदार क़िला है - ’जयगढ़ का क़िला’। आमेर के क़िले की बनावट से मिलते जुलते इस जयगढ़ क़िले का निर्माण, असल में आमेर के क़िले और महलों की सुरक्षा के लिए करवाया गया था। अत्यधिक दृढ़, चौड़ी और मोटी दीवारों द्वारा सुरक्षित, सुरक्षा बुर्जों से घिरा हुआ और विशाल प्रवेश द्वार के अन्दर, जयगढ़ का क़िला, आमेर क़िले से भूमिगत रास्तों द्वारा जोड़ा गया है। एक और मजे़दार और अद्भुत कारण, जिसकी वजह से जयगढ़ फोर्ट का आकर्षण और अधिक बढ़ जाता है तथा सैन्य उत्साही और इस में रूचि रखने वालों के लिए, यहाँ स्थापित की गई, दुनियाँ की सबसे बड़ी तोप है - ‘‘जयवाण’’।

  • सिटी पैलेस

    सिटी पैलेस

    जयपुर के महाराजा का सिंहासन, सिटी पैलेस जयपुर शहर के मध्य में उत्तर - पूर्वी दिशा में, जयपुर का हिस्सा है। इस महल परिसर में संग्रहालय, बग़ीचे और बड़े बड़े आंगन ( चौक ) शामिल किए गए हैं जो कि इस परिसर को और अधिक सुन्दर और आकर्षक बनाते हैं, जिनमें मुबारक महल, चन्द्र महल, महारानी का महल और मुकुट महल हैं। इस महल परिसर में स्थित भवन, राजपूत और मुगल शैली की वास्तुकला का मिला जुला स्वरूप दर्शाते हैं। यहाँ के संग्रहालय में विलक्षण प्रकृति की कला गैलेरी, भारतीय शस्त्रागार और शाही पोशाकों के साथ ही अन्य विविध वस्तुओं का अद्भुत ख़ज़ाना है।

  • हवा महल

    हवा महल

    जयपुर में देखने लायक़ जगहों में से एक मनोहर, चित्ताकर्षक भवन है ‘‘हवा महल’’ या जिसे ’’पैलेस ऑफ विन्ड्स’’ भी कहते हैं। इसका स्वरूप जो कि पाँच मंज़िला भवन इमारत है, बहुत ही अनुपम स्थल है तथा यह सम्मोहक और मन्त्रमुग्ध करने वाला है, जिसमें इसकी बनांवट बड़ी ही अभूतपूर्व है। इसमें 953 छोटी बड़ी खिड़कियाँ, झरोखे बने हुए हैं। जिनमें सुन्दर पत्थर की जाली का काम किया गया है जो कि इस इमारत रूपी महल को एक मधुमक्खी के छत्ते जैसा रूप और आकार देते हैं। यह छोटे बड़े झरोखे और खिड़कियाँ शाही परिवार की स्त्रियों (रानियों) के लिए, शहर में होने वाली हलचल, जन जीवन और मेले - त्यौहारों को देखने और उनका आनंद लेने के लिए बनाए गए थे।

  • जन्तर मन्तर वेधशाला (ऑब्ज़र्वेटरी)

    जन्तर मन्तर वेधशाला (ऑब्ज़र्वेटरी)

    महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा बनवाए गए पाँच विषुवस्थ धूप घड़ियों में सबसे बड़ी, इस जन्तर मन्तर वेधशाला को देखना बेहद महत्वपूर्ण है। यह एक ‘‘यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज साइट’’ है। इस जन्तर मन्तर में एक भव्य पत्थर का सन डायल ( सूर्य मापक यंत्र ) है, जिस के द्वारा समय की दो सैकण्ड की भी सही चाल को, स्थानीय समय के लिए मापा जा सकता है। समय को मापने के लिए इस वेधशाला में 14 भवन ( भाग ) बने हुए हैं, जिनमें तारों की चाल की जानकारी और सूर्य तथा चन्द्र ग्रहण पड़ने की भविष्यवाणी की जा सकती है। सिटी पैलेस से दाहिने हाथ की ओर तथा उसी परिसर में, यह जन्तर मन्तर आसानी से देखा जा सकता है। जयपुर शहर में एक बार यह सारे प्रसिद्ध आकर्षक स्थल देखने के पश्चात्, पर्यटक आगे बढ़कर जयपुर के बाज़ारों में ख़रीदारी तथा जलपान / अल्पाहार भी कर सकते हैं।

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