सुमितास्थान
सुमिता की नज़रों से राजस्थान
सुमिता | 25 जुलाई, 2018
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आपका अगला गन्तव्य उदयपुर क्यों होना चाहिए?
राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो कि देश के दैदीप्यमान और उज्जवल इतिहास को प्रसिद्वि प्रदान करता है। अपने इन कथनात्मक और विवरणात्मक प्रशस्ति वाचन और लेखन के कारण जिनमें बहादुरी, दृढ़ता और अटल विश्वास भरा हुआ है, तथा यहाँ के वीर योद्धाओं की कथाओं से भरपूर यह राज्य इतना ही रंग बिरंगा है, जितने यहाँ के लोग। राजस्थान का ऐतिहासिक महत्व और यहाँ के सुन्दर जवाहरात इतने परिपूर्ण मात्रा में हैं कि पूरे विश्व में रहने वाले लोगों ने इस राज्य को देखने के लिए अपनी यात्रा की लिस्ट में जोड़ रखा है। राजस्थान के खजाने में बहुत से पर्यटन स्थल हैं, उनमें से एक उदयपुर भी है जिसे ‘‘वैनिस ऑफ द ईस्ट’’ अर्थात पूर्वी देशों का ‘‘वैनिस’’ कहा जाता है। शाही उदयपुर भावनात्मक रूप से व्यवहारिक है तथा यहाँ आने पर जो अनुभव होता है वह जीवन भर याद रहता है। वैसे तो बहुत से कारण हैं कि आपको ‘‘भारत का सर्वाधिक विलक्षण और अद्भुत शहर’’ क्यों देखना चाहिए परन्तु - प्रचलित कुछ कारण निम्नलिखित हैं।
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‘‘द सिटी ऑफ लेक्स’’ (झीलों का शहर)
उदयपुर के लिए बहुत से प्रसिद्ध उपनामों में से यह एक है ‘‘सिटी ऑफ लेक्स’’ अर्थात झीलों का शहर और यह बहुत प्रसिद्ध नाम, अपने आप को सार्थक करता है। उदयपुर की झीलें, शहर को रोमानी नजाकत के लिए एक उपयुक्त और सुन्दरतम पृष्ठभूमि प्रदान करती हैं और यहाँ आने वाले दर्शकों को उदयपुर देखने के लिए आकर्षित करती हैं तथा लोगों के लिए सुखदायक और सुरम्य, निराला तथा चित्रमय वातावरण प्रदान करती है। पिछोला झील, उदयसागर झील, फतेह सागर झील, बड़ी झील, दूध तलाई झील, स्वरूप सागर (कुम्हारिया तालाब) यह पाँचों प्रमुख झीलें, शहर के आस-पास और चारों तरफ हैं तथा इन झीलों के शांत पानी पर की जाने वाली नाव की सैर, जिसके दौरान आप यहाँ की आसपास की हरियाली से आच्छादित पहाड़ियों के सुहावने नज़ारे देख कर दिन भर के सबसे ज्यादा व्यस्त दृश्यावलोकन के ट्रिप्स से थके शरीर और दिमाग को सुकून दे पाएंगे। अभी जिन झीलों के बारे में आपको बताया गया, उनके अलावा भी कुछ दूसरी झीलें भी हैं उदयपुर शहर में, जो कि इन झीलों से छोटी अवश्य हैं, परन्तु अपनी प्राकृतिक छटा और सुन्दरता में कहीं कम नहीं हैं, जिन में जयसमन्द लेक और बड़ी लेक (झीलें) शामिल हैं।
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ऐतिहासिक और रोमानी महल
जब आप राजस्थान राज्य के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहली चीज जो आपके दिमाग में आती है वह है यहाँ के ऊँचे और भव्य महल, जो कि अपने शाही तथा राजसी युग की अद्भुत कहानियां और अपनी स्मरणीय संस्कृति की कहानियाँ कहते नजर आते हैं। यह महल इस राज्य के लगभग सभी शहरों में प्रभावशाली, भव्य और आलीशान रूप से सर उठाए खड़े हैं। इस मामले में, उदयपुर भी इस शान से अछूता नहीं है। जैसे ही आप उदयपुर की प्रसिद्ध सुंदर झील, पिछोला झील के बारे में सोचते हैं, तो उसके किनारों पर बने हुए सुसमृद्ध और शाही महल देखने वालों का दिल जीत लेते हैं। उदयपुर शहर में अनगिनत सुन्दर और आकर्षक महल बनाए गए हैं, जो कि मेवाड़ की जानी मानी संस्कृति की विलासिता और सदियों पुरानी राजसी छाया-आकृति तथा असल समृद्धि को दर्शाते हैं। इनमें सर्वाधिक प्रसिद्ध, अत्यलंकृत, बनाया गया सिटी पैलेस है। इनमें दूसरा नाम मॉनसून पैलेस का आता है, जो कि पहाड़ी के ऊपर, महाराणा का आलीशान शोभायमान और विशाल राजनिवास है तथा फतेहसागर झील की ओर देखता नजर आता है। उदयपुर के दूसरे दिलचस्प, रोचक, चित्ताकर्षक और आनंददायक महलांें में बागोर की हवेली, लेक-पैलेस और जग मंदिर पैलेस शामिल हैं।
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जी भर कर खरीदारी करें
किसी भी खरीदार के लिए, उदयपुर शहर की गलियाँ स्वर्ग से कम नहीं हैं। पारम्परिक कलाओं, पुराने ‘एंटीक’ सामान से लेकर मौलिक कलाकृतियाँ और भी बहुत कुछ, उदयपुर के बाजारों में सिर्फ देखने लायक ही नहीं है बल्कि आपके बजट के हिसाब से भी उचित मूल्य पर यहाँ सभी प्रकार की हस्तकलाएं व अन्य सामान उपलब्ध है। इन बाज़ारों में निश्चित तौर पर सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण यहाँ का हाथी पोल बाजार है। हाथी पोल बाजार जितना अधिक यहाँ के रहने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध है, उतना ही पर्यटकों के लिए भी लोकप्रिय है। यहाँ पर बहुत सारी दुकानें हैं जो कि राजस्थान की कला और सुन्दरता को दर्शाती हैं, जहाँ से आप अद्भुत हस्तकला का सामान, कपड़े और जूतियां खरीद सकते हैं। दूसरे बाज़ारों में जगदीश चौक मार्केट है जहां से आप घर का सजावटी सामान ले सकते हैं तथा चाँदी के आभूषणों व हस्तकलाओं के लिए तथा पुरानी लकड़ी के सामान के लिए घन्टाघर (क्लॉक टॉवर) के पास वाला बाजार उत्तम है। बापू बाजार में हरेक की पसन्द का सभी तरह का सामान मिलता है और शिल्पग्राम हाथ से बनाए गए सामान व कलाकृतियों आदि के लिए जाना जाता है।
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संस्कृति
विशाल भवनों और महलों से लेकर पुरानी चीजों के बाजारों तक, उदयपुर शहर पूरी तरह से संस्कृति में डूबा हुआ नजर आता है। जहाँ संस्कृति की बात आती है तो सबसे अधिक प्रसिद्ध आकर्षक उदयपुर की ‘‘धरोहर’’ है बागोर की हवेली, जहाँ रोजाना शाम को आप वहाँ होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा बन सकते हैं, भागीदारी कर सकते हैं, जिसमें राजस्थान के प्रामाणिक और सुप्रसिद्ध नृत्यों के साथ ही लोेक गायन प्रस्तुत किया जाता है। आपकी भावनाआंे और मन-मस्तिष्क को सुकून देने वाले इन लोक नृत्यों और गायन के साथ ही आप राजस्थान राज्य की जीवन्त और झन्कृत करने वाली संस्कृति का हिस्सा बन जाते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि उदयपुर में इतने सारे आकर्षण और सुनाने के लिए इतनी कहानियां हैं कि यह शहर हरेक के लिए देखने लायक, घूमने लायक हैं और एक बार फिर से आपको यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य कर देता है कि आपको अपने अगले या़त्रा कार्यक्रम में उदयपुर शहर को भी ज़रूर जोड़ना है।