शरदस्थान
शरद की नज़र से राजस्थान
शरद | नवम्बर 28, 2017
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राजस्थान के अनदेखे महल
एक अनसुलझी पहेली को सुलझाने के लिए लोग यात्रा करते हैं, जिससे उनकी आत्मा तृप्त होती है और उनके फोटो एलबम भी भर जाते हैं। आपके यात्रा करने के परम आनन्द को देखते हुए यह कोई मायने नहीं रखता कि आप किसी जगह पहली बार जा रहे हैं या अपनी किसी पसन्द की जगह। भारत की वास्तुकला और प्राकृतिक सुन्दरता आपकी रूह को सराबोर कर देती है। और यदि कहीं कोई राज्य है, जो किसी भी यात्री की आत्मा को तृप्त कर देता है, तो वह राजस्थान है! मश्हूर कहावत है कि यात्रा आपको निःशब्द कर देती है और आपको फिर एक कहानीकार में बदल देती है - राजस्थान ही वह राज्य है जो इस कहावत को चरितार्थ करता है। यहाँ के इतिहास और संस्कृति का समन्वय और लोक जीवन, तथा प्राकृतिक सौन्दर्य, संगीत-नृत्य आपको अविस्मरणीय यादें देते हैं। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आप यहाँ कितनी बार आए हैं, परन्तु कोई ऐसा इन्सान नहीं है जो यह कह सके कि राजस्थान-महाराजाओं की भूमि के सभी रहस्य वह जानता है। लाखों बार सुनने से अच्छा है कि कुछ देखा जाए और इसीलिए हमारे पास यहाँ के महलों की एक छोटी सूची है, जिन्हें देखकर आप यहाँ के अनदेखे और अनजाने इतिहास में रम जाएंगे।
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भामाशाह की हवेली
इस धरती पर रहने वाला हर इन्सान अपने पीछे ऐसी छाप छोड़ जाए जो उसकी हमेशा याद दिलाए, ऐसा सम्भव नहीं है। परन्तु कुछ ऐसे लोग हुए हैं जो असाधारण थे तथा अपनी बुद्धिमता और कला कौशल से अपना नाम इतिहास के पन्नों पर लिखवा गए। ऐसे एक व्यक्ति थे ‘भामाशाह’, जो कि महाराणा प्रताप के मंत्री थे। राजपूत नेता के नेतृत्व में उन्होंने अपने भाई ताराचन्द के साथ युद्ध में अपना कौशल दिखाया। ऐसा कहा जाता है कि मुगलों के विरूद्ध हल्दीघाटी के युद्ध के समय महाराणा प्रताप के पास धन की कमी पड़ गई थी, तो भामाशाह और ताराचन्द ने उन्हें अपनी दौलत दे दी। उदयपुर में स्थित भामाशाह के स्मारक के बारे में बहुत लोग जानते हैं, उनके सम्मान में एक डाक-टिकिट भी जारी किया गया था, विद्यार्थियों को सम्मानित करने के लिए ‘भामाशाह अवॉर्ड’ भी दिया जाता है और अब राजस्थान सरकार की भामाशाह योजना, परन्तु बहुत कम लोग जानते होंगे कि चित्तौड़ में भामाशाह की हवेली भी है। पर्यटकों की हलचल से दूर, हरियाली के बीच में यह हवेली एक शांतिपूर्ण स्थल है। जैसे ही आप इसके मुख्य द्वार के पास से गुजरेंगे, आपको इसकी शानो-शौकत के निशान नज़र आएंगे, जो कि देश के विभिन्न क़िलों के दीवाने-आम के मुक़ाबले के हैं। तीन मंज़िला इस हवेली के पीछे की तरफ पानी इकट्ठा करने का एक सुन्दर पोखर है, जो कि इस हवेली की शान की कहानी कहता है।
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भैंसरोड़गढ़ का क़िला
ब्रिटिश इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने एक बार कहा था कि यदि उन्हें राजस्थान में रहने के लिए कोई जगह दी जाए तो वह भैंसरोड़गढ़ को चुनेंगे। इतना जानने के बाद भी यदि आप इस क़िले की सुन्दरता और यहाँ आने की इच्छा नहीं रखते तो मैं नहीं कह सकता कि फिर आपको क्या पसंद आएगा। दूसरी शताब्दी (बीसी) में बना यह क़िला लगभग 200 फुट की ऊँची पहाड़ी की खड़ी चढ़ाई पर बना हुआ है तथा ब्राह्मनी और चम्बल की नदियों से घिरा है। अब इसे एक विरासत होटल में तब्दील कर दिया गया है, जहाँ आप इसके सभी कमरों में आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ, अतीत की शानो शौकत का भी आकर्षण पाएंगे। इसे देखने का सर्वोत्तम समय मानसून का मौसम है, जब दोनों नदियाँ अपने पूर्ण भराव पर होती हैं तथा चारों तरफ बिखरी हरियाली आपको मन्त्रमुग्ध कर देती है। इसके एक हिस्से में आज भी शाही परिवार रहता है तथा आपसे किसी भी समय मिलने और बातचीत करने के लिए उपलब्ध है। आपकी यात्रा की योजना में शामिल करने के लिए यह क़िला अपने हरे-भरे और शांत वातावरण में तथा शाही मेहमान नवाज़ी का आनन्द लेने के लिए तैयार है।
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गागरोन का क़िला
8वीं से 18वीं सदी के बीच बिना किसी नींव के बना, मजबूत और शान से खड़ा यह क़िला, आहू और काली सिंध नदियों से घिरा है। इसके पीछे के हिस्से के रक्षक मुकुन्दरा हिल्स और घने जंगल हैं। हालांकि स्थानीय लोग अक्सर यहाँ आते जाते हैं, परन्तु इसकी प्रसिद्धि पर्यटक स्थल के रूप में फिर भी कम है। इस क़िले की अद्भुत और अनोखी वास्तुकला, वैभव और महत्त्व, इसकी आभा को चार चाँद लगाते हैं। यहाँ के दो बुर्ज़, जो कि इसके रक्षक की तरह खडे़ हैं, इन पर क़िले की रक्षा हेतु सिपाही तैनात किए जाते थे। पुराने समय में क़िले के अन्दर जाने के लिए लकड़ी का एक पुल बना हुआ था, जहाँ अब सीमेन्ट की सड़क बना दी गयी है। राज्य के वास्तविक तथा विविध इतिहास की गवाही, इसमें मौजूद तुर्की, राजपूती तथा मुग़ल काल की वास्तुकला देते हैं। चलिए, शुरूआत कीजिए अपनी यात्रा की, जो आपको, अनदेखे रास्ते, राजस्थान की अलौकिक सुन्दरता और अद्भुत शानो-शौकत में छिपे आनन्दमयी ख़जाने से आपकी आत्मा को तृत्प कर देंगे।