लक्ष्मीस्थान
लक्ष्मी शरत | 9 दिसंबर, 2016
लक्ष्मी की नजरों से राजस्थान
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संगीत और नृत्य
उत्सव के अवसर पर शास्त्रीय गायिका शुभा मुदगल की मधुर आवाज रामगढ़ की हर तंग/संकरी गली में गूंजती है । विख्यात कलाकार, माहिर विभूतियाँ और पुरस्कार विजेता पुराने किले में प्रस्तुतीकरण से समां बाँध देते हैं। प्रख्यात नर्तकी सोनल मानसिंह कृष्ण लीला के माध्यम से आनंद का लोक रचती हैं। इस अद्भुत नगर को लोक नर्तक अपनी लय और ताल में पिरोते हैं ।
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रामगढ़ के मंदिर
रामगढ़ के मंदिरों में भव्य भित्ति चित्र, विभिन्न भगवानों को समर्पित दर्पण के साथ अलंकृत किये गये हैं जिनके बारे में दुनियाभर का आकर्षण रहा है। 300 वर्ष पहले निर्मित गंगा मंदिर आकर्षित करता है , जबकि शनि मंदिर का दमकते कांच संग प्रत्येक चित्र एक कहानी कहता है। विक्रमादित्य और उनके बेताल के साथ एक चित्र भी है । नटवर निकेतन, राम और हनुमान को समर्पित मंदिर भी हैं। इन मंदिरों में से कुछ के आस-पास पुरानी धर्मशालाएं भी हैं।
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स्मारक
आप यहाँ कुछ सबसे शानदार चित्र देखते हैं। अकेले राम गोपाल पोद्दार स्मारक में ही 500 भित्ति चित्र हैं जो बेहद आकर्षक हैं। राम और कृष्ण के जीवन का चित्रण करते हुए, ये अनोखे चित्र आपको अपने रंग में रंग देगें । प्रत्येक संगीतमय टिप्पणी या राग को समृद्ध रंगों में चित्रित किया गया है, जिससे यह जीवंत दृश्य प्रतीत होता है। एक और खूबसूरत स्मारक रामायण छतरी है जिसमें बने चित्रों को महाकाव्य को समर्पित किया गया है।
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खूबसूरत द्वार
रामगढ़ के चारों ओर एक विरासत यात्रा पर चलते हुए व्यापारियों के 300 वर्ष पुराने चित्रों को देखने का सुअवसर मिलेगा । जब रामगढ़ व्यापारिक समुदाय का घर बन गया तब पोद्दार, रुइया, अग्रवाल, खेतान हरेक के मध्य अपने परिसर को श्रेष्ठ बनाने की होड़ लग गयी । हवेली को चित्रित करने के लिए अधिकतर बेगारी पर लगाये गये कलाकारों की अपूर्व कल्पना को जो भी देखते हैं वे मुग्ध हो जाते हैं । देवी- देवताओं,सुंदर पुरुष -महिलायें, सामाजिक जीवन का चित्रण ,कारों और ट्रेनों के विकास की कहानी दिखाते प्रत्येक भित्ति चित्र (फ़्रेस्को) विशिष्ट हैं ।इन कलाकारों द्वारा उपयोग किए गए प्राकृतिक और रासायनिक रंगों की विकासयात्रा को भी हम जान सकते हैं। पुराने खंडहरों की सैर कीजिये और अनंत रहस्यों से पार पाईये। जगन्नाथ पोद्दार ,अनंतराम पोद्दार, बशेश्वरलाल पोद्दार, की हवेली, जिन पर कभी रूइया का स्वामित्व था,भी देखी जा सकती हैं ।
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शेखावाटी का स्थापत्य वैभव
हवेलियों की स्थापत्य कला, लकड़ी पर बारीक नक्काशियां, पुराने द्वार और झरोखे बड़े मनमोहक लगते हैं ।यदि आप प्राचीन वस्तुएं और स्थापत्य कला शैली में रूचि रखते हैं तो आप यहां कई कार्यशालाएं पायेगें। इनमें केवल चित्र ही नहीं है, जो हमें अपने रंग में रंग दें , लाख की चूड़ियां निर्मित करने की परंपरा यहाँ की प्रत्येक महिला की कलाईयों को सजा देती है जो शादी में दिए जाने वाले दहेज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आप इसे पहनकर देख सकते हैं और अपने लिए कुछ चूड़ियाँ खरीद सकते हैं।