ललितस्थान
ललित की नजरों से राजस्थान
ललित विजय | जुलाई 20, 2017
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पतंग महोत्सव
खम्मा घणीं यात्री। मकर संक्राति पर आसमां में उड़ती हर पतंग से यही प्रतिध्वनित होता है। यह उत्तर भारत का एक बड़ा त्यौहार है जो समृद्धि के आगमन का परिचायक माना जाता है । सचमुच मेरे लिए यह यादगार अनुभव था। शायद मुझे यह अधिक महसूस हुआ क्योंकि मैं एक व्यापारिक यात्रा पर था, कंपनी ने यात्रा के लिए भुगतान किया था, कार्ड से कुछ भी भुगतान बड़ा नहीं था और मैं खुद को और शहर को महसूस कर सकता था।
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हवा महल
आमेर जाने से पहले आईये मिलते हैं जयपुर के मुकुटमणि हवामहल से ।हवा महल का ऐसा नाम इसीलिए पड़ा क्योंकि राजघराने की महिलाऐं गली की चहल-पहल को झरोखे से झांक सकें, वो भी खुद को बाहर की नजरों से बचा कर। है न कितना रोचक !यह महल 5 मंजिला स्मारक है जो अपने आधार से 50 फीट ऊँचा है। इसके सामने का भाग मधुमक्खी के छत्ते जैसा है। जिसमें छोटे-छोटे गवाक्ष हैं। प्रत्येक गवाक्ष में एक छोटा झरोखा नक्काशीदार ग्रिल,कंगूरा और गुम्बद है। यह आधा अष्टकोण भाग /खंड की विराटता इस को स्मारक अनुपम बनाती है। मेरी और बलराम सैनी की बातचीत यहाँ आने का एक और रोचक पहलू था।बलराम इंडिया पोस्ट (भारतीय डाक )कियॉस्क चलाता है । उन्होंने मुझसे साझा किया कि कैसे वह भारत के ऐतिहासिक महत्व के बारे में अपनी जानकारी को जयपुर आने वाले लोगों विशेषकर, विदेशियों में बांटने में गर्व महसूस करता है। मैंने उससे कुछ डाक टिकट और पोस्टकार्ड खरीदे। उन्होंने मुझे भारत पोस्ट की नई मार्केटिंग रणनीतियों के बारे में भी बताया। उनका एक ईमानदार अनुरोध मेरे दिल को छू गया-वे चाहते हैं भारत पोस्ट का अधिक उपयोग करना शुरू करें। उनके कर्मचारी आलसी और अक्षम नहीं हैं और उनका संपर्क सबसे अच्छा है। मेरा अगला पड़ाव आमेर किला था।
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आमेर किला
यह महल राजपूत राजा और उनके परिवार का निवास था। आमेर अपनी कलात्मकता के लिए जाना जाता है। अपने विशाल गेट (फाटक) और द्वारों वाले मार्ग के साथ-साथ महल की प्रमुख दीवारों का सौंदर्य भी अनूठा है। चार तलों वाले आमेर के प्रत्येक तल में एक विशाल आंगन है। इस आंगन में दीवान-ए- आम, दीवार-ए- खास, शीश महल, जय मंदिर शामिल है। वहाँ से नाहरगढ़, जयगढ़ और आमेर का क्षेत्र देखना मनभावन लगता है। इस यात्रा का अगला पड़ाव बिड़ला मन्दिर था।
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बिड़ला मन्दिर
मैंने निजी बसों के कंडक्टर से बिड़ला मन्दिर जाने के लिए पूछा। ये वही जगह थी जहाँ मैं बच्चे की तरह खो गया था। उन्होंने मुझे रिजर्व बैंक आफ इण्डिया (आर.बी.आई.) उतरने और वहाँ से पैदल चल कर पहुँचने का सुझाव दिया। अगर आप पैदल चलने से थक गये हैं तो ई रिक्शा करें। वे साझा मार्गों पर मिल जाते हैं और बहुत मितव्ययी होते हैं। वाह!! मात्र 3 रूपये में ई रिक्शा करके मैं वहाँ पहुँचा। पगडण्डी पर मैंने स्थानीय लोगों को देखा। महिलाएँ सचमुच बेहद सुंदर है और मूँछ वाले पुरूष बेहद आकर्षक लगते हैं । इसने मुझे अमित त्रिवेदी फतेह खान के कोक स्टुडियो के गीत ‘चौधरी’ की याद दिला दी। मंदिर के सामने अलग ही नजारा था। एक जैसे नाम के करीब 20-30 खाने -पीने के स्टाल थे ,पंडित पाव भाजी के नाम से। हर कोई अपने को असली पंडित पाव भाजी वाला बता रहा था। मैंने अपनी किस्मत आजमाते हुए अधिक भीड़ वाले स्टाल पर जाने का निश्चय किया। फिर मैंने अपनी और भूख मिटाने के लिए मशहूर रावत की कचौरी खाने का निर्णय लिया।
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जयपुर पकवान
रावत कचौरी अपनी प्याज की कचौरी के लिए मशहूर है। यह सिंधी कैम्प बस स्टैंड से कुछ ही कदमों की दूरी (पैदल दूरी) पर है। अपने पकवानों के लिए बेहद लोकप्रिय यह शानदार स्थान जयपुर के मध्य में स्थित है। पर्यटक और स्थानीय लोगों की भीड़ यहाँ देखी जा सकती है। मैंने उनकी प्याज कचौरी , मावा कचौरी और रस मलाई खाई और तृप्त हो गया। जब भी आप जयपुर आयें यहाँ जरूर जायें। इंतजार का समय सिर्फ 2-4 मिनट ही है। जब आपके सामने ये परोसा जाता है तो उस सुख की कल्पना नहीं की जा सकती। मेरे दिन का आखिरी लम्हा अन्नू मोबाइल पान भण्डार के पान के स्वाद में घुला हुआ था। वे पान इंडस्ट्री के शाहरूख खान हैं। सेलिब्रिटी (विख्यात शख्सियत) विवाहों में उनके पान कमाल दिखाते हैं । सैफ-करीना और मीरा-शाहिद के विवाह में भी उनके पान का रंग छाया था। उनके यहाँ पान की कीमत 10 रूपये से 10,000 तक है। मैं मेरे 20 रूपये के पान में खुश था। मुझे उनके यहाँ का अग्नि पान का भी स्वाद लेना है। जयपुर!! मैं तुमसे मिलने जल्द ही वापस आऊँगा।