कियारास्थान
कियारा की नज़रों से राजस्थान
कियारा | 26 दिसम्बर, 2017
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पुष्कर मेला - राजस्थान की प्रतिछाया
वह उत्सव जिस की उमंग स्वप्नवत है, दृढ़ रूप से आपकी भावनाओं को बाँध कर रखती है। पुष्कर मेला, जो कि राष्ट्र का एक असाधारण पशु मेला है, राजस्थान के रंगों को सार्थक करता है। प्रतिवर्ष अक्टूबर-नवम्बर में लगने वाला यह मेला 5 से 8 दिन तक, यहाँ की हवा में, फ़िज़ा में उमंग और जोश भर देता है। सुरम्य सुन्दर और चटकीले रंगों के साथ, जादुई संगीत और लज़ीज़ खाना, थार की सुनहरी रेत की पृष्ठभूमि में बिखरा सौन्दर्य, आपको रोज़ाना की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी से दूर ले जाता है। वर्षों से लगता आया पुष्कर मेला, देशी व विदेशी पर्यटकों को अपनी तरफ खींच लाता है।
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धार्मिक पृष्ठभूमि
आज जिस ज़मीन पर ऊँटों और अन्य पशुओं के व्यापारी इकट्ठे होते हैं, वास्तव में यह भारत की आस्था की भूमि है। कार्तिक पूर्णिमा की पवित्र तिथियों में लगने वाले पुष्कर मेले में पूरे भारत के चारों कोनों से आए तीर्थ यात्री, पवित्र पुष्कर-झील में डुबकी लगाने आते हैं। भगवान ब्रह्मा जी की पूजा-अर्चना के साथ ही, तीर्थ यात्रियों का पवित्र झील में नहाने से पापों से मुक्ति मिलती है। पुष्कर के विषय में 2000 वर्ष पुराने धार्मिक ग्रन्थ ‘महाभारत’ में भी उल्लेख किया गया है।
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यह एक लम्बी दौड़ (मैराथन) से शुरू होता है
आम तौर पर पुष्कर मेले की यात्रा, अजमेर की दरगाह शरीफ से शुरू होकर, ब्रह्मा मंदिर तक चलती है। पहले दिन सुबह 6 बजे से शुरू होकर, पुष्कर मेला 5-8 दिन तक आयोजित किया जाता है। जहाँ ऊँट का सर्वाधिक महत्व है - जबकि पुष्कर मेले में अन्य पशुओं की ख़रीददारी तथा व्यापार भी होता है, परन्तु ऊँट अपना सर्वश्रेष्ठ स्थान रखता है तथा यह रेगिस्तान का जहाज यहाँ सर्वोपरि माना जाता है। मेले के लिए ऊँटों को विशेष रूप से तैयार किया जाता है। नहला कर सुन्दर सजीले कपड़े ओढ़ाए जाते हैं, पैरों में घुंघरू, गले में रंग बिरंगी मालाएं तथा सजावटी सामान पहनाया जाता है। इस प्रकार के सजावटी सामान की बहुत सी दुकानें मेला-ग्राउण्ड में लगती हैं। ऊँटों को सुन्दरता की दौड़ में, नृत्य में तथा मनोरंजक खेलों में प्रदर्शित किया जाता है।
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कुछ रोमांच और फिर कुछ मज़ा
रोमांच में रूचि रखने वालों के लिए पुष्कर मेला सबसे अच्छी जगह है। कई टूर-कम्पनियाँ इस मेले में हॉट-एयर बैलून द्वारा उड़ान की व्यवस्था भी करती हैं, जिससे लोगों को इस अद्भुत, हलचल भरे मेले को ऊपर से देखने का अवसर मिलता है। चटकीले रंगों से भरपूर इस मेले में कई प्रकार के खेल भी आयोजित किए जाते हैं, जिनमें विदेशी पर्यटक बड़ी रूचि से भागीदारी करते हैं - जैसे - लंग्ड़ी टांग, रस्साकशी, क्रिकेट मैच आदि। पुष्कर मेले में रोमांचकारी मनोरंजन भी होता है जैसे - कैमल - सफारी, घुड़सवारी, पैरा - मोटर्स और ट्रेक्टर - दौड़ आदि। पर्यटकों को लुभाने वाले खेल - मटका दौड़, दूल्हा - दुल्हन प्रतियोगिता तथा जोशीली ‘मूंछ प्रतियोगिता’ जो कि आदमियों के लिए होती है, जिसमें स्थानीय आदमी बड़े जोश से भाग लेते हैं। राजस्थान की संस्कृति का अभिन्न अंग है यहाँ का संगीत और नृत्य और पुष्कर मेले में आपको इसकी झलक अवश्य मिलती है। पुष्कर मेले में कई राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त बैण्ड वादकों को भी सुनने का मौक़ा मिलता है। ‘इण्डियन ओशन’ नामक भारतीय बैण्ड वर्षों से पुष्कर-मेले की रौनक़ बढ़ाता आया है। सौग़ात, भोजन और हस्तकलाओं की स्टॉल लगती है जहाँ से आप अपने साथ यहाँ की निशानी के रूप में कई सौग़ातें ले जा सकते हैं। इस प्रकार की ख़रीददारी के लिए आपको शिल्पग्राम हैण्डीक्राफ्ट बाजार में चांदी के आभूषण, पैचवर्क के लिबास, राजस्थानी छपाई के वस्त्र तथा चमड़े की विशेष जूतियाँ, यहाँ मिल सकती हैं। मनोरंजन के साथ यहाँ का खाना भी विशेष है। पुष्कर में उपलब्ध भोजन मुँह में पानी ला देता है। यहाँ का दाल-बाटी-चूरमा, भेल-पूरी, छोले, आलू टिक्की, चाट, मिर्ची के टिपोरे, पोहा, पिज़ा, पकवान, मालपुए, मखनिया लस्सी इत्यादि। यदि आपको भूख नहीं है तो यहाँ आने से पहले अपनी भूख जगाइए, अपनी ख़ुराक बढ़ाइए।
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नए युग के मनोरंजन
पुष्कर मेले की सर्वाधिक आश्चर्यजनक महत्ता जो कि इस मेले को सभी अन्य मेलों से अलग दर्शाती है वह यह है कि इस मेले ने प्रतीकात्मक रूप से अपने रंग को अतीत के धार्मिक महत्त्व के साथ, वर्तमान के समाज, पर्यावरण तथा वातावरण के अनुकूल बनाया है। यहाँ हर उम्र के व्यक्ति के लिए बहुत कुछ है, हरेक वर्ग के लोगों को यहाँ की मिली जुली संस्कृति और हलचल आकर्षित करती है। यहाँ के जादुई आकर्षण और सुन्दरता से भरपूर व्यक्तित्व तथा कैम्पिंग साइट दोनों ही आपको इस मेले में, थार रेगिस्तान की रेत पर ठहरने के लिए विश्वस्त करते हैं। इस मेले में आने व रूकने के लिए बेहतर होगा कि आप एक - दो दिन पहले आकर अपना प्रबन्ध कर लें जिससे आपके पैसे भी बचेंगे। वैसे यहाँ पर उचित दरों पर ठहरने के लिए गेस्ट हाउस तथा हैरिटेज होटल भी हैं। भव्य-समापन - पुष्कर के पवित्र सरोवर पर महाआरती से शुरू हुआ यह मेला शाम को ऊँचाई से की गई आतिशबाजी के साथ समाप्त होता है, जोकि बूढ़े, जवान, बच्चे सभी को उल्लासित कर देता है। इन सभी आनन्दमयी क्षणों को आपकी ज़िन्दगी में जोश भर देने के लिए पुष्कर मेले में आपकी उपस्थिति मायने रखती है। जीवन को और अधिक उत्साहित और रौशन करने के लिए पुष्कर मेले में अवश्य आएं और ठहरें!