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ध्रुवीस्थान

ध्रुवी की नज़रों से राजस्थान

 
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ध्रुवी | 12 मार्च 2018

ध्रुवीस्थान ध्रुवीस्थान
  • खिल उठा मरूस्थल - जैसलमेर मरू महोत्सव

    खिल उठा मरूस्थल - जैसलमेर मरू महोत्सव

    फोटो कैप्शन - तेज हवा के साथ रेत के धोरों से रेत उड़ती है और रेत के टीले अपना स्वरूप बदलते रहते हैं और एक ऐसा निर्मल और बेदाग चित्रफलक बनाते हैं, जो कि मरू महोत्सव के रंगों को, संस्कृति को और इतिहास को एक नए रूप में प्रदर्शित करता है। जैसलमेर मरू महोत्सव के लिए, चमत्कारी और करिश्माई रेत के धोरे, धूप हो या चाँदनी, उनकी परर्छाइं की लहरें ऐसा समां उपस्थित करती हैं जिससे थार का मरूस्थल जीवंत हो उठता है। थार की बंजर भूमि, प्रेरणात्मक रूप से अपना रंग बदलती है, और इसमें रंग-बिरंगी, जोशीली रचनात्मकता सार्थक होती दिखाई पड़ती है।

  • कैसे शुरू होता है मरु महोत्सव

    कैसे शुरू होता है मरु महोत्सव

    रेत के धोरों के बीच, तीन दिवसीय मरू महोत्सव के दौरान अतिकाल्पनिक तथा विलक्षण रचनाएं प्रस्तुत की जाती हैं, जिनमें हैरिटेज वॉक, बी.एस.एफ. के ऊँटों की परेड तथा ऊँटों की सजावट शामिल होती है। जैसलमेर मरू महोत्सव - कुछ उत्सव संगीत के होते हैं, कुछ व्यंजनों के बारे में या संस्कृति को दर्शाते हैं परन्तु जैसलमेर मरू महोत्सव आपको मरूस्थल के अन्दरूनी भाग की सुन्दरता तथा यहाँ के जन जीवन को दिखाता है। यह प्रतिवर्ष होने वाला तीन दिवसीय मरू महोत्सव, ऊँटों की सजावट, दौड़, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता, लम्बी मूंछों की प्रतियोगिता आदि को दर्शाने वाला एवं जोशीला जलवा है, जिसमें मनोरंजन और मस्ती भरपूर है। जैसलमेर के सोनार किले के सामने होने वाले इस उत्सव से क़िले की सुन्दरता में चार चाँद लग जाते हैं। राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस उत्सव में परम्पराओं और संस्कृति को दर्शाने वाले कार्यक्रमों द्वारा राजस्थान की शाही तस्वीर दिखाई जाती है। तीन दिवसीय उत्सव की शुरूआत, रंग बिरंगे सांस्कृतिक कारवां ‘‘शोभा यात्रा’’ से की जाती है, जिसमें जैसलमेर के लोग अपने पारम्परिक सुन्दर परिधानों में सजे धजे, घोड़ों पर सवार, हाथों में तलवारें लेकर साथ में ऊँटों पर सवार लोग झूमते हुए, शहीद पूनम सिंह स्टेडियम में आते हैं, जो कि मरू महोत्सव का मुख्य स्थल है। सोनार किले का मनमोहक दृश्य सामने नजर आता है जो कि विशाल, महत्वपूर्ण किला है, जिसके अन्दर म्यूजियम, दुकानें, मकान और खाने पीने के ढाबे व होटल बनी हुई हैं। जैसलमेर शहर उत्सव के रंग में रंग जाता है और यहाँ की बंजर भूमि जीवंत और रंगों से सराबोर हो जाती है। महोत्सव की विशेषताएं - इस मरू महोत्सव में बहुत कुछ देखने के लिए है - जिनमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोक कलाकारों की प्रस्तुति, ऊँटों की दौड़, सजावट और उनकी परेड, पगड़ी बाँधने की प्रतियोगिता आदि। रंग बिरंगे, सजीले कपड़े पहने हुए यहाँ के लोग, जोशीले अंदाज में वीर रस और खुशी के गीत गाते नाचते हुए नजर आते हैं। प्रमुख आकर्षण यहाँ आए हुए सपेरे, कठपुतली वाले और लोक कलाकार होते हैं। राजस्थान में मूँछें केवल मर्दानगी का द्योतक ही नहीं है, बल्कि ये यहाँ की आन बान और शान का प्रतीक है और इसी शान को दर्शाते हैं, यहाँ की पगड़ियां और मूंछें जो कि केवल मर्दानगी की शोभा ही नहीं होते। यहाँ होने वाले पगड़ी बांधने की प्रतियोगिता, मूंछ प्रतियोगिता, ’मिस मूमल’ और ’मिस्टर डैजर्ट’ प्रतियोगिता यहाँ के शौर्य और पराक्रम को दर्शाते हैं। ख़रीदारों और खाने के शौकीनों के लिए - इस मरू महोत्सव के दौरान, आप यहाँ के लोक व्यंजनों का मजा ले सकते हैं तथा लोक हस्तकलाओं की छोटी-छोटी दुकानों से अपनी मन पसन्द चीज़ें ख़रीद सकते हैं। हाथ की कढ़ाई व बुनाई के कपड़े, शॉल, कम्बल, पत्थर व लकड़ी पर खुदाई का काम, चमडे़ पर कढ़ाई वाले बैग, ऊँटों का सजावटी सामान, पुराने पारम्परिक गहने, टैराकोटा की मूर्तियाँ तथा कई अन्य चीजें जो आप इस मेले/उत्सव में ख़रीद सकते हैं।

  • रेगिस्तान का जहाज़ - ऊँट

    रेगिस्तान का जहाज़ - ऊँट

    रेगिस्तान में कोई भी उत्सव ‘रेगिस्तान के जहाज़’ ऊँट के बिना अधूरा है। उत्सव का प्रमुख रोल ऊँट ही निभाता है तथा कई कार्यक्रमों का केन्द्र बिन्दु दिखाई देता है जैसे कैमल टैटू शो (गोदना व ऊँट के बालों की डिजाइनदार कटाई) ऊँट दौड़, ऊँट पोलो, ऊँट कारवां, ऊँट पर लगाए गई सजावटी काठी, लोक नृत्य आदि। ऊँटों की जैसलमेरी नस्ल अपनी दौड़ने की रफ्तार तथा चपलता के लिए काफी प्रसिद्ध है। अगला परिदृश्य होता है ऊँट पोलो मैच, जो कि ‘रॉयल सफारी जैसलमेर’ तथा ’बी.एस.एफ.’ (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स) के बीच खेला जाता है। और यदि आप ऊँटों से और अधिक मनोरंजन चाहते हैं तो रेगिस्तान की सुन्दरता और भव्यता देखने के लिए ऊँट सफारी पर चलें। समापन दिवस - हिन्दू तिथि माघ माह की पूर्णिमा के दिन, मरू उत्सव का अन्तिम दिन होता है। सजीले वस्त्रों में यहाँ के लोग, राजस्थान की शौर्य गाथाओं के गीत गाते हैं, नृत्य करते हैं। जैसलमेर शहर के जन जीवन को रौशन करने के लिए, आकाश में आतिशबाजी की रौशनी जगमगा उठती है। प्रतिवर्ष इसी प्रकार के सभी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं परन्तु हर बार कुछ नई प्रतियोगिताएं, नए खेल, उत्सव को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए जोड़े जाते हैं। जैसलमेर मरू महोत्सव, रेगिस्तान की भूमि की शुष्क जलवायु के बिल्कुल विपरीत मनोरंजक होता है तथा जैसलमेर क़िले के चारों तरफ के वातावरण को खुशनुमा बना देता है। सूर्य की रौशनी में चमकती बालू रेत और चाँद की रोशनी में दमकते रेत के कण, लगता है तारे ज़मीन पर उतर आए हों। मरू महोत्सव शानदार, भव्य और मनोरंजक होता है और आपकी यादों में लम्बे समय तक बना रहता है।

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