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  • परिचय

    परिचय

    अपने बँधे-बँधाये दायरे से बाहर निकलना मुश्किल होता है पर कभी-कभी नयी राहें खुशनुमा मोड़ों की ओर ले जाती हैं । वरीयता के आधार पर राजस्थान अपने प्रतिष्ठित शहरों जैसे जयपुर, जोधपुर, उदयपुर के लिए विश्वविख्यात है। पर यहाँ और भी कई गुप्त रत्न हैं / छिपे हुए खजाने हैं। बस आपको पता होना चाहिए कि वह कहाँ है ? अगर आप लीक से अलग हटकर चलना चाहते हैं तो चुरू आपके लिए एक अच्छा चुनाव /विकल्प है। किसी भी पर्यटक के लिए अप्रतिम !

  • चुरू चलिए

    चुरू चलिए

    थार रेगिस्तान के क्षेत्र में स्थित चुरू राजस्थान का अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है। चुरू को ‘थार का सिंह द्वार ’ भी कहा जाता है। सड़क या रेल द्वारा चुरू की यात्रा की जा सकती है। चुरू एनएच 65 पर स्थित है और सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यह दिल्ली से 265 किलोमीटर दूर है और कार द्वारा वहाँ से यहाँ तक पहुँचने में करीब 6 घंटे लगते हैं।जंक्शन के रूप में दिल्ली-रेवाड़ी- बीकानेर-चुरू सरायरोहिला स्टेशन से शुरू होने वाली तीन रेल गाड़ियों के माध्यम से जुड़ा है। यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: जब सर्दियाँ होती हैं तब चुरू में धूप सुहानी लगती है। अक्टूबर से मार्च के महीनों और मानसून का मौसम यात्रा करने का सबसे अच्छा समय है। इसकी तुलना में गर्मी के मौसम में यहाँ आने की कम से कम सलाह दी जाती है क्योंकि उस समय पारा 55 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा बढ़ सकता है।

  • चुरु में आप क्या -क्या कर सकते हैं

    चुरु में आप क्या -क्या कर सकते हैं

    राजस्थान के नक्शे में हर स्थान पर नजर आते महल और किलें यहाँ नहीं हैं पर यहाँ जो है वो कहीं और नहीं !!  अलग छवि –चुरू में रंगीन भित्ति चित्रों और शानदार फ़्रेस्को के साथ सुंदर और भव्य हवेली है।  छत: ये हवेली स्थापत्य कला के प्रेमियों के लिए एक अनुभव है,एक छायाचित्रकार की खुशी है और इतिहास के प्रशंसकों के लिए एक सपना !  विरासत की सैर करें: इस तरह के टूर पर्यटन को प्रोत्साहित करते हैं।  स्थानीय भोजन का आनंद लें: यहां पर स्थानीय भोजन स्वादिष्ट पारंपरिक राजस्थानी व्यंजन भी शामिल हैं। भोजन में बाजरा की रोटी, केर सांगरी - एक तीखी –मीठी स्थानीय विशेष और मसालेदार, गट्टे की सब्जी और पापड मंगोड़ी।  चुरु की गलियों में खरीदारी /स्ट्रीट शॉपिंग: चुरु में सड़क के बाज़ारों में आप लकड़ी पर चंदन की कलात्मक नक्काशी से बनी वस्तुएं खरीद सकते हैं,चन्दन के बादाम आकृति,कब्जे में टिकी हुई डिबिया , और इसे खोलने पर छोटे से देवता की छवि नजर आती है ।जो लोग खरीदारी करना पसंद करते हैं वे और भी देख सकते हैं जैसे लॉकेट, छिपे हुए खांचो के साथ फूलों के पौधे, जो चंदन के देवता या गांव की छवि को प्रकट करने के लिए एक -एक कर खुलते जाते कपाट/बॉक्स वाले खिलौने यहाँ हैं। साथ ही आकर्षक बंधेज दुपट्टे लेना न भूलें ,इसके बिना आपकी खरीदारी पूरी नहीं होगी।

  • वे पांच जगह,जहां पर आपको जरुर जाना चाहिए

    वे पांच जगह,जहां पर आपको जरुर जाना चाहिए

    मंत्री की हवेली: चुरु में मंत्री हवेली 18 वीं सदी में बनाया गया था, और समृद्ध इतिहास और भव्यता को दर्शाता है।राजपूत युग की यह हवेली पूरी तरह से सुंदर चित्रों के साथ आच्छादित है और भीतर से अति सुंदर है ।कांच का काम ,अलंकृत पुष्प, रूपांकनों, और शानदार छज्जे और ताक़/आला , इसकी कलाकृति और वास्तुकला में एक अलग राजपूताना स्पर्श है।  सालासर धाम: सालासर बालाजी हिंदुओं के लिए धार्मिक महत्व का स्थान है।  मंदिर में मुख्य देवता भगवान हनुमान हैं और अन्य तीर्थस्थल की तुलना में बालाजी मंदिर निकट है।  जैन मंदिर: स्वर्ण रंगों में पेंट की गई अद्भुत चित्रों की एक झलक के लिए जैन मंदिर की एक यात्रा जरूरी है। यह मंदिर कुछ सदियों पहले बनाया गया था और कोठारीयों द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है।  सेठानी का जोहरा: सेठानी का जोहरा एक जल भंडार है. जब इस इलाके में एक भयंकर अकाल देखा गया था तो इसे बनाया गया था। 1956 में यह भगवान दास बागला की विधवा पत्नी द्वारा बनाया गया था।  ताल छापर अभयारण्य: ताल छापर अभयारण्य एक वन्यजीव अभ्यारण्य है जो कृष्णमृग के लिए जाना जाता है ।यहाँ विविध जीव जंतु पाए जाते हैं।।

  • चुरू में रहने का स्थान

    चुरू में रहने का स्थान

    यद्यपि चुरु छोटा शहर है पर चुरु में रहने के लिए कुछ बेहतरीन विकल्प हैं, जैसे मॉल जी का कमरा , भवानीकोठी और होटल सन सिटी पैलेस। तीनों में से, मॉल जी का कमरा पर्यटक की पहली पसंद है । यह 110 वर्ष पुराना है । फ़िरोज़ा रंग का सफेद आइवरी से निर्मित है। कमरे आरामदेह हैं और यहाँ मूल भित्ति चित्र हैं । चुरू में विरासत के आकर्षण, मंदिरों और स्मारक इतने सारे हैं कि आप हर मोड़ पर इतिहास की यात्रा करेंगे। हमें यकीन है कि आप आ रहे हैं!

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