सुनितास्थान
राजस्थान सुनीता की नजरों से
सुनीता | 11अगस्त, 2017
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जयपुर के आसपास ऑफबीट ट्रिप (लीक से हटकर)
राजस्थान की स्थानीय संस्कृति से रूबरू होना है तो राजस्थान के खुले बाजार और ऐतिहासिक स्मारकों और संग्रहालयों के पीछे छुपी कहानियां खोजिए। यूँ तो जयपुर के चप्पे –चप्पे को करीब से देखा है और पसंद भी किया है पर इस बार जयपुर के आस-पास के रोमांच की खोजबीन करते हुए हमें मिला दौसा। दौसा राष्ट्रीय राजमार्ग ।। पर स्थित है। जयपुर से इसका संपर्क सड़क मार्ग से भली –भांति जुड़ा हुआ है ।
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हमारा अनुभव
हम सुबह -सुबह जल्दी ही दिल्ली से निकल गये थे और जयपुर पहुँच भी गये। हमने नाश्ता जयपुर में किया और अपनी दौसा यात्रा शुरू की।
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सांगानेर
जयपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सांगानेर अपने जैन मन्दिरों,हाथ के बने (हैंडमेड) कागज, ब्लॉक प्रिटिंग वस्त्र और जयपुर ब्लू पॉटरी के लिए प्रसिद्ध है। हमने श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मन्दिर देखा और कुछ खरीदारी (शापिंग) की। यहाँ के छोटे-छोटे कलात्मक शिल्प और सुंदर वस्त्रों की शॉपिंग से आप भी खुद को नहीं रोक पायेंगे।
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दौसा
ठीक 2 घंटे बाद हम दौसा में थे। ये जगह शांत है और ज्यादा लोग नहीं है। हम थोड़ा और आगे गये तो हमने एक ऐसा राजसी क्षेत्र देखा जिसे बाद में छोड़ दिया गया था। इसे देवनागरी के नाम से जाना जाता है। दौसा में और भी कई प्रमुख स्थान है जैसे आभानेरी, भण्डारेज, भानगढ़, मेंहदीपुर बालाजी। और भी दर्शनीय स्थल हैं जैसे नीलकंठ महादेव मंदिर, हर्षत माता, चाँद बावड़ी, भंडारेज बावड़ी। भंडारेज दौसा से लगभग 10 किलोमीटर दूर है और 150 सीढ़ी वाली भंडारेज बावड़ी और भद्रावती महल के लिए विख्यात है। भद्रावती महल उस समय का गौरव और भव्यता का दर्शाता है। इस क्षेत्र के कालीन और उनको बनाने वाले नायाब कारीगरों से मिलिए, अपने घर के लिए खरीदारी कीजिए। हमारा अगला पड़ाव भंडारेज से 25 किलोमीटर दूर आभानेरी हैं, इस ऐतिहासिक गाँव में विश्व प्रसिद्ध खूबसूरत चाँद बावड़ी और 10 वीं शताब्दीं में निर्मित हर्षत माता मन्दिर भी यहीं स्थित है।
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अंतिम दिन
हम दौसा से 78 किलोमीटर दूर शाहपुरा कस्बे में पहुँचे हैं। यह अपने प्राचीन मन्दिरों और स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। हम साँभर तक पहुँचने के लिए दो घंटे और यात्रा करनी होगी जो फुलेरा रोड पर है। सांभर सबसे बड़ी नमक झील के लिए प्रसिद्ध है। झील के आसपास की शांति और खूबसूरती लुभाती है। यहाँ आपको हजारो प्रवासी पक्षियों की झलक देखने को मिल सकती है। जैसे राजहंस (फ्लेमिंगो), सर्दियां में यहाँ आने वाले साइबेरियन सारस । जब सांभर में थे तो शाकम्भरी माता का मन्दिर, देवयानी कुण्ड, शर्मिष्ठा सरोवर और नरैना और भैराना जैसे तीर्थस्थलों के भी दर्शन किये। कुल मिलाकर सुखद सप्ताहंत यात्रा जिसने हमें फिर से तरोताजा कर दिया। राजस्थान के शेष रहस्यों को खोजना अब हमारा लक्ष्य रहेगा।